आपका लिवर खराब तो नहीं: शरीर के इन संकेतों से जानें आपका लिवर ठीक ढंग से काम कर रहा है या नहीं, यदि ऐसा हुआ तो...
शरीर में कुछ खास संकेतों से बचा जा सकता है लिवर फेल की समस्या से
NPG डेस्क, 15 अप्रैल 2022। आपका लिवर ठीक ढंग से काम कर रहा है या नहीं? आपको यह जानना बेहद जरूरी है। हम जो खाना खाते हैं, उसे पचाने से लेकर शरीर में संतुलन बनाए रखने जैसे जरूरी काम लिवर करता है। खून से विषाक्त पदार्थों को निकालने की जिम्मेदारी भी लिवर की होती है। लिवर में कोई भी खराबी से पूरे शरीर का संतुलन गड़बड़ा जाता है। चिकित्सकों के मुताबिक कुछ ऐसे संकेत हैं, जिन पर गौर करें तो लिवर फेल होने या ऑर्गन ट्रांसप्लांट की स्थिति से बचा जा सकता है।
पीलिया- पीलिया में नाखून, त्वचा और आंखों का सफेद हिस्सा पीले रंग का हो जाता है। पेशाब भी पीली हो जाती है। यह संकेत है कि लिवर ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा है। पीलिया तब होता है, जब लिवर लाल रक्त कोशिकाओं को सही ढंग से संचालित नहीं कर पाता और इस वजह से बिलीरूबिन बन जाता है। स्वस्थ लिवर बिलीरुबिन को अवशोषित करता है और इसे पित्त में बदल देता है। इससे पाचन को सही रखने में मदद मिलती है।
त्वचा में खुजली- लिवर के फंक्शन में जैसे ही खराबी आती है तो त्वचा में पित्त नमक जमा होने लगता है। इससे त्वचा में एक परत जमा होती है और खुजली होने लगती है। त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं सीधे तौर पर लिवर से जुड़ी होती हैं।
भूख में कमी- भूख नहीं लगना भी लिवर में खराबी का एक संकेत है। लिवर एक तरह का पित्त रस बनाता है जो खाने को पचाने में मदद करता है। जब लिवर ठीक से काम नहीं करता है तो इसका सारा फंक्शन बिगड़ जाता है। इससे भूख में कमी आने लगती है। इस कारण वजन कम होना, मितली और पेट में दर्द की भी शिकायत आती है।
घाव ठीक होने में देरी- यदि बार-बार चोट लगती है और घाव को ठीक होने में समय लगता है तो भी यह लिवर से जुड़ी दिक्कत हो सकती है और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। चोट लगने के बाद खून बहना बंद नहीं होना एक आवश्यक प्रोटीन की कमी से होता है। इस प्रोटीन को बनाने का काम लिवर करता है। कुछ ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जिसमें लिवर की समस्या से पीड़ित लोगों को शौच या उल्टी में खून आता है।
एकाग्रता की कमी- लिवर जब खून से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर नहीं कर पाता, जब यह शरीर के अन्य कार्यों में बाधा डालने लगता है। टॉक्सिन यानी विषाक्त पदार्थ बनने का असर याददाश्त और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ने लगता है। इस कारण एकाग्रता में कमी, भ्रम, मेमोरी लॉस, मूड स्विंग्स और व्यक्तित्व में बदलाव होने लगता है।