Swine Flu: छत्तीसगढ़ में बढ़ने लगे स्वाइन फ्लू के मरीज, जानें लक्षण, बचाव और इलाज
रायपुर, एनपीजी न्यूज। छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू से 4 लोगों की मौत हो चुकी है। बढ़ते स्वाइन फ्लू ने स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है। आज हम आपको बताएंगे स्वाइन फ्लू के लक्षण, इससे बचाव और इलाज के बारे में...
रायपुर, एनपीजी न्यूज। छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू से 4 लोगों की मौत हो चुकी है। बढ़ते स्वाइन फ्लू ने स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है। आज हम आपको बताएंगे स्वाइन फ्लू के लक्षण, इससे बचाव और इलाज के बारे में...
स्वाइन फ्लू के बारे में जानें
स्वाइन फ्लू H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, जो मूल रूप से सूअरों को संक्रमित करता है। यह वायरस इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है। स्वाइन फ्लू एक ऐसी बीमारी है जिसमें लक्षण फ्लू की तरह ही नजर आते हैं और ये धीरे-धीरे शरीर में बढ़ते रहते हैं। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो इसके जरिए स्वाइन फ्लू फैलता है। इसके अलावा वायरस से दूषित सतहों को छूने और फिर चेहरे को छूने से संक्रमण हो सकता है।
एक-दूसरे में बीमारी फैलने की गति बेहद तेज
इंसानों में इसका संक्रमण रेट यानी एक व्यक्ति से दूसरे में फैलने की गति काफी तेज है। इसके H1N2 और H1N3 वैरिएंट भी हैं। हालांकि इंफ्लुएंजा के ये वेरिएंट इंसानों में उतनी तेजी से नहीं फैलते हैं।
साल 2009 में स्वाइन फ्लू पहली बार इंसानों में पाया गया
साल 2009 में स्वाइन फ्लू पहली बार इंसानों में पाया गया था, जिसने दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया था। ये इतनी तेजी से फैला था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे महामारी घोषित कर दिया था। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, साल 2009 में स्वाइन फ्लू से दुनियाभर में तकरीबन 5 लाख 75 हजार लोगों की मौत हुई थी। हालांकि बाद में ये बीमारी कंट्रोल हो गई और महामारी नहीं रह गई। अब इसका इलाज भी संभव है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
बुखार, ठंड लगना, खांसी, गले में खराश, भरी हुई या बहती नाक, लाल और पानी वाली आंखें, शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकान, दस्त, उल्टी और मतली
बीमारी गंभीर होने पर ये लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं
सांस लेने में कठिनाई या सांस फूलना, छाती में दर्द, लगातार चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द या गंभीर कमजोरी
बच्चों में ये लक्षण शामिल हो सकते हैं-
सांस की तकलीफ, नीले होंठ, सीने में दर्द, निर्जलीकरण यानि डिहाइड्रेशन, मांसपेशियों में तेज दर्द
सीवियर केस में रेस्पिरेटरी फेल्योर हो सकता है या मौत तक हो सकती है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग ज्यादा रिस्क पर होते हैं।
स्वाइन फ्लू होने की वजह
स्वाइन फ्लू H1N1 इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होता है, जो नाक, गले और फेफड़ों को लाइन करने वाली कोशिकाओं पर आक्रमण करता है। स्वाइन फ्लू एक संक्रामक श्वसन संक्रमण है और यह मौसमी फ्लू की तरह ही फैलता है। जब संक्रमित लोग खांसते या छींकते हैं, तो वे वायरस की छोटी बूंदें हवा में छोड़ देते हैं। अगर कोई इन बूंदों के संपर्क में आता है या इस वायरस से युक्त दूषित सतह को छूता है, तो व्यक्ति को स्वाइन फ्लू हो सकता है।
अस्थमा और डायबिटीज वालों को ज्यादा खतरा
जिन लोगों को अस्थमा और डायबिटीज है, उनमें इनके लक्षणों को और भी अधिक बढ़ा सकता है। स्वाइन फ्लू एक श्वसन संबंधित बीमारी (respiratory illness) है, जो स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस या एसआईवी (SIV) के कारण होता है। स्वाइन फ्लू महामारी H1N1 के सब टाइप एसआईवी के कारण फैला था। हालांकि, दूसरे Subtypes एच1एन2, एच1एन3, एच3एन1, एच3एन2 और एच2एन3 भी इस बीमारी के होने का कारण बन सकते हैं।
वायरस को H1N1 इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें मुख्य रूप से दो तरह के एंटीजन हेमाग्लगुटिनिन 1 (hemagglutinin 1) और न्यूरोमिनिडेज (neuraminidase) नजर आए थे। लक्षण दिखाई देने से एक दिन पहले और बीमारी होने के 7 दिन बाद तक आप एक व्यक्ति के जरिए इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
स्वाइन फ्लू का पता लगाने के लिए होता है लैब टेस्ट
कोई व्यक्ति स्वाइन फ्लू से पीड़ित है या नहीं, उसे जानने के लिए लैब टेस्ट होता है, क्योंकि इसके लक्षण इन्फ्लूएंजा के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। डॉक्टर स्वाइन फ्लू का पता लगाने के लिए स्वाब टेस्ट करवा सकता है। यह टेस्ट स्वाइन फ्लू का पता लगाने के लिए आपकी नाक या गले में किया जाता है।
स्वाइन फ्लू का इलाज
- स्वाइन फ्लू पॉजिटिव आने पर इसका इलाज तुरंत शुरू किया जाता है। अगर इसका इलाज शुरुआती अवस्था में हो जाए, तो ये जल्दी ठीक हो जाता है।
- इसमें पीड़ित व्यक्ति को एंटी-वायरल दवाएं ओसेल्टामिविर (Oseltamivir) (टैमीफ्लू/फ्लुविर) (Tamiflu/Fluvir) और जैनामिविर (रिलेन्जा) zanamivir (Relenza) दी जाती हैं। ओसेल्टामिविर वयस्कों के साथ-साथ 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दिया जाता है।
- जब स्वाइन फ्लू का पहले लक्षण दिखे, तो उसके 48 घंटों के भीतर ही दवाएं दी जानी चाहिए।
- स्वाइन फ्लू में एंटीबायोटिक्स नहीं दी जाती हैं, क्योंकि यह वायरस के कारण होता है।
- दर्द और बुखार जैसे लक्षणों से राहत पाने के लिए एंटीवायरल के साथ-साथ पेन किलर्स दिया जाता है। डॉक्टर्स के अनुसार, एस्पिरिन, ओटीसी दवा बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए।
NOTE- कोई भी दवाई बिना डॉक्टर की सलाह के अपने मन से खुद नहीं लें... लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से दिखाएं।
स्वाइन फ्लू से बचाव
- टीकाकरण: एच1एन1 स्ट्रेन सहित फ्लू के खिलाफ टीका लगवाना।
- अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं, खासकर खांसने या छींकने के बाद और खाने से पहले या अपना चेहरा छूने से पहले।
- खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को अपनी कोहनी से ढंकें।
- जो लोग बीमार हैं, उनके साथ निकट संपर्क से बचने की कोशिश करें।
- अगर आप बीमार हैं या आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही, तो अपने आसपास के लोगों से दूर हो जाएं।
- बार-बार छुई जाने वाली सतहों और वस्तुओं, जैसे दरवाजे के हैंडल, काउंटरटॉप्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नियमित रूप से साफ और कीटाणुरहित करें।
NOTE- कोई भी दवाई बिना डॉक्टर की सलाह के अपने मन से खुद नहीं लें... लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से दिखाएं।