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Sperm Donation India: 100 बच्चों के 'पिता' बने अरबपति! स्पर्म डोनेशन से बदल रही है पेरेंटहुड की परिभाषा? जानें इसका प्रोसेस, कानून और सामाजिक बदलाव

Sperm Donation Trend: हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जाता है, जिसका मकसद जनसंख्या से जुड़े मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना होता है।

Sperm Donation India: 100 बच्चों के पिता बने अरबपति! स्पर्म डोनेशन से बदल रही है पेरेंटहुड की परिभाषा? जानें इसका प्रोसेस, कानून और सामाजिक बदलाव
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By Ragib Asim

Sperm Donation Trend: हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जाता है, जिसका मकसद जनसंख्या से जुड़े मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना होता है। ऐसे में एक ट्रेंड जो हाल के वर्षों में तेजी से उभर कर सामने आया है, वह है – स्पर्म डोनेशन (Sperm Donation) के जरिए पेरेंटहुड की चाहत।

यह ट्रेंड न सिर्फ आम लोगों, बल्कि अमीरों और टेक्नोक्रेट्स के बीच भी लोकप्रिय होता जा रहा है। यह केवल संतान प्राप्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के सोचने के ढंग में आ रहे गहरे बदलाव की ओर भी इशारा करता है।

जब अरबपति बनें ‘पिता’ | When Billionaires Become Fathers via Donation

टेलीग्राम ऐप के को-फाउंडर पावेल दुरोव ने हाल ही में खुलासा किया कि वे 100 से अधिक बच्चों के जैविक पिता बन चुके हैं – और यह सब संभव हुआ है स्पर्म डोनेशन की मदद से। उनका मानना है कि यह उनका नागरिक दायित्व (Civic Duty) है। उन्होंने यह पहल अपने एक मित्र की प्रजनन संबंधी समस्या को देखते हुए शुरू की थी, लेकिन अब इसे वे एक सामाजिक योगदान मानकर लगातार कर रहे हैं।

दुरोव कहते हैं कि दुनिया में अच्छे डोनर्स की कमी को देखते हुए उन्होंने अपनी जेनेटिक जानकारी (Genetic Code) को “ओपन-सोर्स” बनाने की योजना बनाई है, ताकि उनके बच्चे एक-दूसरे को जान सकें और कनेक्ट हो सकें।

कौन लोग ले रहे हैं स्पर्म डोनेशन का सहारा?

Who Are Choosing Sperm Donation as a Path to Parenthood?

  • •वे पुरुष जो नपुंसकता या इनफर्टिलिटी का सामना कर रहे हैं।
  • •अकेली महिलाएं जो संतान चाहती हैं।
  • •समलैंगिक जोड़े (LGBTQ Couples) – चाहे दो पुरुष हों या दो महिलाएं।
  • •कुछ लोग को-पेरेंटिंग के बिना भी पैरेंट बनना चाहते हैं।

यह विकल्प उन सभी के लिए एक नई उम्मीद की किरण बन कर उभर रहा है, जो पारंपरिक तरीकों से माता-पिता नहीं बन सकते।

क्यों बढ़ रहा है यह ट्रेंड? Why Is Sperm Donation Becoming a Popular Choice?

कुछ लोग इसे अपनी विरासत को आगे बढ़ाने का माध्यम मानते हैं। दूसरों को इससे आत्मिक संतोष (Emotional Fulfilment) मिलता है कि वे किसी की मदद कर पा रहे हैं। कुछ मामलों में यह वित्तीय लाभ का जरिया भी बनता है, हालांकि भारत में ऐसा करना कानूनन वर्जित है।

क्या हैं इसके कानूनी और नैतिक नियम? What Are the Legal and Ethical Aspects in India?

भारत में Assisted Reproductive Technology (Regulation) Act, 2021 के अंतर्गत स्पर्म डोनर की पहचान को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है। माता-पिता बनने की इच्छा रखने वाले कपल्स सीधे डोनर का चयन नहीं कर सकते, बल्कि उन्हें स्पर्म बैंक के ज़रिए ही विकल्प मिलता है।

कुछ देशों में संतान 18 साल की उम्र के बाद डोनर की पहचान जान सकती है, लेकिन भारत में यह जानकारी पूरी तरह सीक्रेट रहती है। लोगों को अक्सर चिंता होती है कि डोनर बच्चा उनसे न मिलता-जुलता हो, जबकि हकीकत यह है कि बच्चे को मां से भी 50% जेनेटिक गुण मिलते हैं, जिससे वह माता-पिता से मिलता-जुलता ही नजर आता है।

क्या सेहत को लेकर कोई गारंटी मिलती है?Is There Any Health Assurance for the Child?

सामान्यतः सिर्फ हेल्दी और जेनेटिकली क्लियर डोनर्स का ही चयन किया जाता है। फिर भी, कोई संस्था यह पूर्ण गारंटी नहीं देती कि भविष्य में कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं होगी। वंशानुगत बीमारियों की संभावना को कम करने के लिए हर स्पर्म डोनर की मेडिकल स्क्रीनिंग होती है, लेकिन 100% सेफ्टी आज भी किसी प्रक्रिया में मुमकिन नहीं है।

क्या यह सोच समाज में बड़ा बदलाव दर्शाती है? Does This Reflect a Major Social Shift?

बिना शादी या पार्टनर के भी अब लोग पेरेंट बनने के बारे में सोच रहे हैं। यह सिर्फ तकनीक की प्रगति नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सोच की आज़ादी की तरफ इशारा करता है। चाहे सिंगल मदर हों या सेम-सेक्स कपल, स्पर्म डोनेशन ने उन्हें जीवन में नया विकल्प दिया है।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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