Sote samay achanak jhatka kyo lagta hai: क्या आपको भी सोते समय ऊंचाई से गिरना और अचानक झटका लगने जैसा महसूस होता है? जानिए क्या है असली वजह!
Sote samay achanak jhatka kyo lagta hai: जब आप गहरी नींद में होते हैं और आपको अचानक महसूस होता है कि आप किसी ऊंची जगह से गिर रहे हैं, तो आपका शरीर एक झटके के साथ जाग जाता है। क्या आपने कभी सोचा कि ऐसा क्यों होता है? दुनिया में लगभग 80% लोगों को यह अनुभव एक न एक बार महसूस हो चुका है। यह घटना आपको थोड़ी परेशान करने वाली लग सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नेचुरल है। चिकित्सा विज्ञान में इस घटना को ’हाइपनिक जर्क’ या ’हाइपनागोगिक जर्क’ कहा जाता है। यह घटना इतनी तीव्र हो सकती है कि व्यक्ति को पूरी तरह से जगा दे। आइए समझते है इसके पीछे की साइंस।

Sote samay achanak jhatka kyo lagta hai: जब आप गहरी नींद में होते हैं और आपको अचानक महसूस होता है कि आप किसी ऊंची जगह से गिर रहे हैं, तो आपका शरीर एक झटके के साथ जाग जाता है। क्या आपने कभी सोचा कि ऐसा क्यों होता है? दुनिया में लगभग 80% लोगों को यह अनुभव एक न एक बार महसूस हो चुका है। यह घटना आपको थोड़ी परेशान करने वाली लग सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नेचुरल है। चिकित्सा विज्ञान में इस घटना को ’हाइपनिक जर्क’ या ’हाइपनागोगिक जर्क’ कहा जाता है। यह घटना इतनी तीव्र हो सकती है कि व्यक्ति को पूरी तरह से जगा दे। आइए समझते है इसके पीछे की साइंस।
शरीर में ऐसा क्यों होता है?
हाइपनिक जर्क को समझने के लिए सोने की प्रक्रिया को समझना बहुत जरूरी है। जब आप सोने की तैयारी कर रहे होते हैं तो आपका शरीर धीरे-धीरे आराम की स्थिति में जाने लगता है। आपकी मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती हैं, सांसों की गति धीमी हो जाती है और दिल की धड़कन भी सामान्य से कम होने लगती है। यह सब शरीर की स्वाभाविक प्रक्रियाएं हैं जो नींद आने पर होती हैं और यह जर्क मुख्य रूप से नींद के पहले चरण में आता है।
नींद आने की प्रक्रिया को हमारा दिमाग गलत तरीके से समझ लेता है। जब नींद में शरीर ढीला पड़ना चालू होता है तो हमारे दिमाग को लगता है कि यह गिरने का संकेत है। यह एक तरह की गलतफहमी होती है जहां दिमाग सोचता है कि कुछ गलत हो रहा है और आपको खतरा है। इसी गलतफहमी की वजह से दिमाग मांसपेशियों को तुरंत झटका देता है जिससे आप उठकर खुद को संभाल पाए। यह पूरी प्रक्रिया सेकंड से भी कम समय में घट जाती है। यही कारण है कि हाइपनिक जर्क महसूस होने पर अक्सर दिल की धड़कन तेज हो जाती है।
मस्तिष्क की गलतफहमी
वैज्ञानिकों ने इस घटना को समझने के लिए कई सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं। सबसे प्रचलित सिद्धांत यह है कि नींद की शुरुआती अवस्था में मस्तिष्क कभी-कभी भ्रमित हो जाता है। नींद का यह चरण इतना हल्का होता है कि मस्तिष्क इस अवस्था में व्यक्ति को जागा हुआ समझ लेता है लेकिन साथ ही यह भी पहचान लेता है कि मांसपेशियां हिल नहीं रही हैं। इस स्थिति में मांसपेशियों को चेक करने के लिए मस्तिष्क एक तेज़ संदेश(झटके) भेजता है। यह एक तरह की सुरक्षा जांच होती है।
हाइपनिक जर्क आने का मुख्य कारण
हाइपनिक जर्क ज्यादातर मामलों में बिना किसी विशेष कारण के स्वस्थ लोगों में होता हैं। सबसे आम कारण है अत्यधिक थकावट और नींद की कमी। जब आप बहुत थके हुए होते हैं या लंबे समय से पर्याप्त नींद नहीं ले पा रहे हैं, तो आपका मस्तिष्क जल्दी से नींद की स्थिति में जाने की कोशिश करता है। इसी जल्दबाजी में शरीर की मांसपेशियां पूरी तरह से शिथिल नहीं हो पाती, जिससे झटका लगने की संभावना बढ़ जाती है। अनियमित नींद लेने वाले लोगों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। इससे बचने के लिए भरपूर 8 घंटे की नींद जरूर लें।
