Sexual Content Ka Bachho Par Kya Prabhav Padta Hai: कैसे बन रही बच्चों में अश्लील कंटेंट देखने की खतरनाक आदत, जानिए इस लत से बचने के आसान तरीके!
Sexual Content Ka Bachho Par Kya Prabhav Padta Hai: इस लेख में हम एक ऐसी गंभीर समस्या के बारे में चर्चा करने वाले है जिसे समाज में खासकर बच्चों से तो छिपाया ही जाता है और यह समस्या काफी तेजी से बच्चों को अपने चपेट में ले रही है। यह समस्या है वायरल MMS और अश्लील S*X वीडियो देखने की आदत, जो धीरे-धीरे एक गंभीर मानसिक रोग का रूप ले लेती है..

Sexual Content Ka Bachho Par Kya Prabhav Padta Hai: वर्तमान की डिजिटल दुनिया में बड़ों से लेकर छोटे–छोटे बच्चों तक स्मार्ट फोन की आसान पहुंच हो चुकी है। बच्चों में आउटडोर एक्टिवीटी पूरी तरह से खत्म होती जा रही है। पहले के समय में बच्चे अपने टाइम पास के लिए कही बाहर खेलने चले गए, तो घर के अंदर ही परिवार वालों के साथ समय बिता लिए ऐसा कुछ कार्य किया करते थे, परंतु अभी के समय में बच्चे अपने खाली समय में फोन चलाना, वीडियो देखना पसंद करते है। बच्चों में बिगड़ने की शुरुआत यही से होती है जब उनके लापरवाह मां बाप उन्हें फोन की आसान पहुंच सुनिश्चित करा देते है।
इस लेख में हम एक ऐसी गंभीर समस्या के बारे में चर्चा करने वाले है जिसे समाज में खासकर बच्चों से तो छिपाया ही जाता है और यह समस्या काफी तेजी से बच्चों को अपने चपेट में ले रही है। यह समस्या है वायरल MMS और अश्लील S*X वीडियो देखने की आदत, जो धीरे-धीरे एक गंभीर मानसिक रोग का रूप ले लेती है। हाल ही में सोशल मीडिया पर 19 मिनट 34 सेकंड का एक वायरल mms वीडियो आग की तरह फैला था और लोग इस वीडियो को पाने के पीछे पागल से हो गए थे। इसलिए इस चीज पर बात करना बहुत जरूरी है कि क्यों छोटे बच्चे और युवा इस तरह से इसके शिकार हो जाते है। आखिर कैसे इसकी लत बच्चों को अपनी ओर खींचती है। आइए विस्तार से समझते है कि ऐसे कंटेंट का हमारे दिमाग और मन पर क्या प्रभाव पड़ता है और इससे कैसे बचा जाए।
पोर्नोग्राफी इंडस्ट्री का असली सच
जो लोग अधिक मात्रा में पोर्नोग्राफी देखते हैं तो उनका दिमाग स्क्रीन पर दिखाई गई काल्पनिक दुनिया से अपनी वास्तविक जीवन की तुलना करने लग जाता है। पोर्नोग्राफी में दिखने वाली मॉडल की सुंदरता और इंटिमेट पार्ट की सफाई ये सभी एक सर्जरी या एडिटिंग का हिस्सा होती है। जो वीडियो में दिखता है वह बिल्कुल भी वास्तविक नहीं होता। यही वजह है कि पोर्नोग्राफी देखने वालों में एक अलग तरह की उत्तेजना पैदा होती है और वे अपनी रियल लाइफ में भी यही माहौल चाहते हैं जो उन्हें नहीं मिल पाता। जिसके कारण वे अलग अलग कैटगरी के पोर्नोग्राफी देखना और हिंसक तरीकों से अपने आप को खुश करना पसंद करते है, इससे उनका समय और प्रोडक्टिविटी दोनों खत्म होती जाती है।
यह एक मीठे जहर के समान होता है। शुरुआत में तो अच्छा लगेगा पर धीरे धीरे इसके चपेट में आते ही इसकी लत लग जाएगी और शरीर अंदर से खोखला होता जाएगा। ज्यादा ही पोर्नोग्राफी देखने से मास्टरबेशन की आदत लग जाती है। इन्हें देखने के बाद बॉडी में एक खास तरह की उत्तेजना पैदा होती है और इससे आप मास्टरबेट करने लगते हैं। लगातार मास्टरबेट करने से मस्तिष्क के सिंगुलेट कॉर्टेक्स (Cingulate cortex) में कमजोरी आ जाती है, यह शरीर का वह हिस्सा है जहां से हमारे सोचने समझने की क्षमता कंट्रोल होती हैं।अगर आपने इसे नियंत्रित नहीं किया तो आपको इससे भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं और यही चीज किशोरों को काफी ज्यादा प्रभावित कर रही है।
इन वीडियो का दिमाग पर बायोलॉजिकल प्रभाव
जब कोई व्यक्ति अश्लील या सेक्सुअल कंटेंट देखता है तो उसके दिमाग में एक केमिकल रिएक्शन शुरू हो जाती है जो बहुत गहरी और खतरनाक है। हमारे दिमाग में डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन(Oxytocin) और एंडोर्फिन (Endorphin) नाम के फील गुड हार्मोन होते है जो व्यक्ति को खुशी और संतुष्टि का अनुभव कराते है। जब हम कोई अच्छी चीज करते हैं जैसे खाना खाते हैं, एक्सरसाइज करते हैं तब यह डोपामाइन(Dopamine) थोड़ी सी ही मात्रा में रिलीज होता है। लेकिन जब कोई व्यक्ति पोर्नोग्राफी या वायरल MMS जैसी चीजें देखता है, तब यह डोपामाइन बहुत ज्यादा मात्रा में रिलीज होता है और यह स्थिति घंटों तक बनी रहती है।
इस प्रकार डोपामाइन की भारी मात्रा आपके दिमाग को काफी ज्यादा खुशी देती है यह खुशी ठीक उसी प्रकार की होती है जैसे किसी गंजेड़ी को गांजा पीने पर होता है और व्यक्ति को इस प्रकार के कंटेंट देखने की लत लग जाती है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखे तो जो लोग ज्यादा मात्रा में ऐसे कंटेंट देखते हैं उनके दिमाग में ग्रे मैटर (Grey matter) का हिस्सा कम हो जाता है। ग्रे मैटर वह हिस्सा है जो गहरी सोच और फैसला लेने की क्षमता के लिए जिम्मेदार होता है। इस लेख को यहां तक पढ़ने पर आपको कुछ तो पता चल ही गया होगा कि यह कितना खतरनाक है, अब आप सोचिए कि बच्चों पर इसका या असर होता होगा। अब समझिए कि इसका हमारे जीवन के अलग अलग पहलुओं पर क्या असर होता है?
मानसिक स्वास्थ्य में काफी कमजोरी आना
अश्लील कंटेंट देखने का सबसे बड़ा नुकसान मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसी चीजें रोज ग्रहण करने वाले लोगों में चिंता और तनाव की समस्या बहुत आम हो जाती है फिर धीरे धीरे एक गंभीर मानसिक रोग की शुरुआत है। जब कोई व्यक्ति बार-बार ऐसी चीजें देखता है उसके मन में शर्म की भावना आ जाती है और वह किसी अपराध होने जैसा महसूस करने लग जाता है। पोर्नोग्राफी कंटेंट बच्चों में डिप्रेशन और एंजाइटी जैसी बीमारियों को कई गुना तक बढ़ा देती है।
पारिवारिक रिश्तों पर बुरा प्रभाव
एडल्ट कंटेंट की लत का सबसे ज्यादा नुकसान व्यक्ति के निजी रिश्तों पर पड़ता है। जब कोई व्यक्ति लगातार ऐसे चीजों को देखता है तो उसकी यौन सम्बन्धों को देखने की क्षमता और नजरिया दोनों बदल जाते है। इंसान एक ऐसे चक्र में फंसा रह जाता है जहां वह कभी न पूरे होने वाले अपेक्षाएं करने लगता है। इस तरह की सोच का सीधा असर विवाह या पार्टनरशिप पर पड़ता है और व्यक्ति किसी भी महिला को एक सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में भी देखने लग जाता है।
बच्चों/किशोरों पर सबसे ज्यादा असर
वर्तमान में बच्चे अपने मां के पेट से ही मोबाइल चलाना सीखकर पैदा होते है, ऐसा कहना कोई गलत बात नहीं होगी क्योंकि कई वीडियोज है जो आपको इंस्टाग्राम या फेसबुक पर मिल जाएंगे जिसमें 2 से 3 साल के बच्चे फोन का इस्तेमाल कर रहे होते है और यही बच्चे जब थोड़े बड़े होते है और फोन से ही ऐसे कंटेंट के संपर्क में आते हैं तो उनकी सोचने और समझने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होती है जिससे यौन हिंसा जैसे नकारात्मक परिणाम सामने आते है। बच्चों की याददाश्त भी कमजोर होने लगती है। छोटी बच्चियों में शरीर के प्रति असंतुष्टि और लड़कों में हिंसा जैसी भावनाएं जन्म ले लेती है।
बचाव के तरीके
- सबसे पहले आपको यह स्वीकार करना होगा कि आपको इसकी लत है और आप इसे पूरी तरह छोड़ने के लिए तैयार है।
- यदि आपको ऐसे वीडियो से दूर रहना मुश्किल हो रहा है, तो तुरंत किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।
- यदि आपके बच्चे आपका फोन use करते है तो अपने फोन और डिवाइस पर पैरेंटल कंट्रोल्स और कंटेंट फिल्टर्स लगाने चाहिए।
- यदि आपका बच्चा एकांत ढूंढने लगता है,इंटरनेट के उपयोग को छिपाने लगता है या उसके पढ़ाई और कामकाज में गिरावट नजर आए तो यह समस्या के संकेत हो सकते है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- सोशल मीडिया के उपयोग को सीमित कर परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताएं ताकि आप व्यस्त रहे और अश्लील चीजों का ख्याल न आए।
- जब भी ऐसी कंटेंट देखने की इच्छा हो, तो किसी प्रोडक्टिव गतिविधि में लग जाना चाहिए। जैसे– डांस, स्पोर्ट्स, म्यूजिक आदि।
- माता-पिता को अपने बच्चों के साथ डिजिटल सुरक्षा और ऐसे कंटेंट के खतरों के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। बच्चों को रोकना-टोकना या डांटना समाधान नहीं है।
- बच्चों की स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण रखना चाहिए और उनके ऑनलाइन एक्टिविटी पर भी नजर रखनी चाहिए, लेकिन इतना भी नहीं कि वे दबाव महसूस करने लगे।
अस्वीकरण(Disclaimer): यह लेख केवल सामान्य जानकारी और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इस लेख में दी गई जानकारी और उपाय के लिए NPG.NEWS किसी भी तरह से जिम्मेदारी का दावा नहीं करता। धन्यवाद!
