रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बन रहे गौठान, गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को अब तक 526 करोड़ रूपए से ज्यादा का भुगतान
रायपुर 24 जुलाई 2023। हरेली तिहार को रोजगार और आय से जोड़ते हुए गोधन न्याय योजना की शुरूआत हरेली के ही दिन 20 जुलाई 2020 को हुई थी। अब यह योजना अपनी सफलता के लिए एक नजीर बन चुकी है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बना जिसने 2 रूपए किलों में गोबर खरीदकर उससे जैविक खाद का निर्माण किया, बिजली बनाई, प्राकृतिक पेंट का निर्माण किया। इस सब कामों के माध्यम से छत्तीसगढ़ ने देश को महिला सशक्तिकरण की नई राह दिखाई। देश के अनेक राज्य हमारी गोधन न्याय योजना का लगातार विस्तार किया है। गोबर से जैविक खाद बनाने के साथ-साथ गोमूत्र से जैविक वृद्धिवर्धक और जैविक कीटनाशक भी बना रहे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 17 जुलाई को हरेली तिहार के अवसर पर गौठानों में गोबर बेचने वाले ग्रामीण पशुपालक किसानों सहित गौठान समितियों और महिला समूहों को 16 करोड़ 29 लाख रूपए की राशि का अंतरण सीधे उनके बैंक खातों में किया। गोधन न्याय योजना के तहत ऑनलाईन राशि अंतरण का यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में हरेली तिहार उत्सव के अवसर पर आज शाम आयोजित हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इनमें जुलाई माह की प्रथम पखवाड़े में गौठानों में गोबर विक्रय करने वाले 59,729 किसानों को 3 करोड़ 96 लाख रूपए तथा गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 12 करोड़ 33 लाख रूपए की राशि जारी किया। गौठानों में जुलाई माह के प्रथम पखवाड़े में एक लाख 98 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी गोधन न्याय योजना के तहत की गई है। गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना अंतर्गत आज 17 जुलाई को 16.29 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद हितग्राहियों को अब तक 526.37 करोड़ रूपए का भुगतान हो चुका है।
रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बन रहे गौठान
अब अपने गौठानों को हम रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में उन्नत कर रहें है। प्रदेश में रीपा योजना शुरू की गई है। इस योजना में 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्कों की स्थापना की गई है। गोधन न्याय योजना से 03 लाख 58 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ हो रहा है। 17 हजार 834 स्व-सहायता समूहों के 02 लाख 09 हजार 750 सदस्यों कों इस योजना से आजीविका मिल रही है। इस योजना ने हमारी माताओं और बहनों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाकर उनका आत्मविश्वास मजबूत किया है। प्रदेश में 10 हजार 327 गौठान स्वीकृत किए गए है, जिनमें से 10 हजार 263 गौठानों को निर्माण पूरा हो चुका है। याने 99.38 प्रतिशत गौठानों का निर्माण हमने कर लिया है। हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि हमारे गौठान तेजी से स्वावलंबी भी हो रहे है।
66 करोड़ 96 लाख की गोबर खरीदी
10 हजार 263 गौठानों द्वारा स्वयं की राशि से गोबर की खरीदी की जा रही है अभी तक 5 हजार 960 स्वावलंबी गौठानों द्वारा 66 करोड़ 96 लाख रूपए के गोबर की खरीदी की जा चुकी है। गोधन न्याय योजना मे अभी तक कुल 125.54 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। इसकी एवज में 251 करोड़ रूपए का भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया जा चुका है। इसी तरह गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 257 करोड़ 29 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है।
‘रोका-छेका’ कर पशुओं के लिए चारे-पानी की व्यवस्था
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों, किसानों, सरपंचों, ग्राम पटेलों, गौठान समितियों और अधिकारियों से गांव में 6 जुलाई से 17 जुलाई तक ‘रोका-छेका’ करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मानसून के आगमन के साथ गांवों में बोनी और रोपा का काम भी शुरू हो गया है। ऐसे में फसलों की रखवाली भी जरूरी है। अब ‘रोका-छेका’ का समय आ गया है। ‘रोका-छेका’ से आवारा मवेशियों से फसलों को बचाने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने ‘रोका-छेका’ के लिए गांवों में मुनादी कराने तथा गौठानों में पशुओं के लिए चारे-पानी की व्यवस्था कराने का आग्रह किया।
48 लाख 20 हजार हेक्टेयर में बोनी का लक्ष्य
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश में कई इलाकों में अच्छी बारिश हो रही है। बोनी का काम शुरु हो गया है, बीजों का चयन किस तरह करना है, इसके बारे में आप लोगों को ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है। तब भी मैं कहना चाहूंगा कि कृषि विभाग से मार्गदर्शन लेते रहें, क्योंकि अनुभव के साथ विज्ञान के मेल से और भी अच्छे परिणाम मिलते हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक प्रदेश में 03 लाख 33 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसल की बोनी हो चुकी है। इस सीजन के लिए 48 लाख 20 हजार हेक्टेयर में बोनी का लक्ष्य है।
खरीफ की अन्य फसलों का रकबा बढ़ाएं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों से धान के साथ-साथ खरीफ की अन्य फसलों का रकबा बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा कि आज छत्तीसगढ़ में सभी फसलों का अच्छा मूल्य मिल रहा है। किसानों को धान के अलावा खरीफ की अन्य फसलें भी लेनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद-बीज की कमी नहीं होने दी जाएगी, हमारे गौठानों में भी पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद उपलब्ध है। उन्होंने इस मौके पर किसानों को खरीफ सीजन में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का उपयोग करने की अपील की। छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता रहा है। पिछले खरीफ मार्केटिंग सीजन में छत्तीसगढ़ ने केंद्रीय पुल में न सिर्फ सबसे ज्यादा योगदान दिया था, बल्कि देशभर में धान बेचने वाले कुल किसानों में छत्तीसगढ़ के किसानों की संख्या सबसे ज्यादा थी। पिछले साल 107 लाख 53 हजार मीटरिक टन धान खरीदा था। लगभग 24 लाख किसानों ने धान बेचा था।