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Planet and Test Relation : प्रत्येक ग्रह का संबंध किसी एक स्वाद के साथ... वात, पित्त और कफ को करता है control

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक ग्रह का संबंध छह में से किसी एक स्वाद के साथ है. यह हमें ग्रहों और उनकी ऊर्जा को प्रभावशाली ढंग से जोड़ने की अनुमति देता है.

Planet and Test Relation : प्रत्येक ग्रह का संबंध किसी एक स्वाद के साथ... वात, पित्त और कफ को करता है control
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By Meenu

आयुर्वेद के अनुसार, संस्कृति में छह प्रकार के स्वाद का वर्णन मिलता है, जिन्हें रस कहा जाता है. ये रस सभी जड़ी-बूटियों और खाने की चीजों को वर्गीकृत करते हैं. हर स्वाद पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के पंचतत्व में से किन्हीं दो से मिलकर बना है, जिसके माध्यम से इसके गुणों को समझा जा सकता है.

सूर्य वह शक्ति है जिसके कारण पौधे बढ़ते हैं, जबकि चंद्रमा उनके रस पर शासन करता है, जिसकी वजह से वो जीवित और पोषित रहते हैं. इसके अलावा, अन्य ग्रह भी कुछ हद तक पौधों को प्रभावित करते हैं.

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक ग्रह का संबंध छह में से किसी एक स्वाद के साथ है. यह हमें ग्रहों और उनकी ऊर्जा को प्रभावशाली ढंग से जोड़ने की अनुमति देता है. प्रत्येक स्वाद की एक विशिष्ट क्रिया भी होती है- तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को बढ़ाना या घटाना.



शुगर या स्टार्क में पाए जाने वाला मीठा स्वाद कफ ग्रहों चंद्रमा, बृहस्पति और शुक्र के साथ संबंध रखता है. वैदिक ज्योतिष खासतौर से मीठे स्वाद के साथ बृहस्पति की पहचान पर जोर देता है, क्योंकि यह शरीर का वजन बढ़ाने वाला मुख्य ग्रह है, जो कि इस स्वाद और इसके पृथ्वी और जल तत्वों से प्राप्त होता है.

वहीं, कसैला स्वाद मुख्य रूप से चंद्रमा से संबंध रखता है. कसैले स्वाद के गुणों में मुख्य रूप से वात होता है, जो शरीर में रूखेपन को बढ़ाता है. इस लिहाज से यह कभी-कभी शनि से संबंधित होता है, जो कसैले स्वाद की तरह हमारी ऊर्जा के सिकुड़ने का कारण बनता है और पसीने या ब्लीडिंग जैसी प्रक्रियाओं पर रोक लगाता है.


तीखा स्वाद जिसमें ताप और उत्तेजक ऊर्जा शामिल होती है, पित्त ग्रहों से संबंध रखता है. इसका संबंध मुख्य रूप से सूर्य के साथ कुछ हद तक मंगल के साथ होता है. अदरक, लाल मिर्च, काली मिर्च जैसी चीजें सौर ऊर्जा का स्टोरहाउस हैं. वहीं, कड़वा स्वाद वात के गुणों को दर्शाता है. इसकी क्रियाओं में ठंडा, ड्राई, वजन कम करने वाले भाव शामिल होते हैं. इस मामले में यह शनि ग्रह की तरह दिखता है, जो सामान्य रूप से वात दोष पर शासन करता है. हालांकि ये अन्य वात ग्रहों को भी दर्शाता है.

कड़वा स्वाद मानसिक गतिविधि को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह दिमाग में सक्रिय वायु और आकाश तत्वों को बढ़ावा देता है. शास्त्रीय वैदिक ज्योतिष कड़वे स्वाद को मंगल ग्रह के साथ जोड़ता है, क्योंकि कड़वा स्वाद मंगल की गर्मी और विषाक्तता को नियंत्रित करने में सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है.

जब वात बहुत अधिक हो जाए या शरीर शनि, राहु या बुध जैसे वात ग्रहों का प्रभाव बहुत बढ़ जाए तब मीठा, खट्टा, नमकीन या तीखे स्वाद वाली चीजें खाने की सलाह दी जाती है, जिसमें फलियां, अनाज, जड़ वाली सब्जियां, बीज, नट्स और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल हैं. ऐसे में हल्के मसाले (अदरक, दालचीनी, इलायची) और जड़ी-बूटियां जैसे कि अश्वगंधा और शतावरी या आयुर्वेदिक फॉर्मेले से बना च्यवणप्राश प्रमुख हर्बल थैरेपी हैं.


जब कफ बहुत अधिक हो या शरीर पर चंद्रमा, गुरु और शुक्र जैसे ग्रहों का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाए तो तीखे, कसैले और कड़वे स्वाद के उपयोग किया जाता है. इसमें मीठा, नमकीन, खट्टा, ऑयली फूड और डेयरी प्रोडक्ट्स से बचने की सलाह दी जाती है. इसमें गर्म मसाले जैसे कि अदरक, काली मिर्च या लाल मिर्च और कड़वे स्वाद वाली चीजें जैसे कि ऐलोवेरा जो कि वजन घटाने में कारगर माना जाता है, प्रमुख हर्बल थैरेपी हैं.

इसी तरह, जब पित्त बहुत अधिक हो जाए या शरीर पर सूर्य, मंगल और केतु का प्रभाव अधिक हो जाए तो कड़वा, कसैला और मीठी जड़ी-बूटियों, खाद्य पदार्थों के उपयोग की सलाह दी जाती है. इसमें नमक, मसाले और खट्टी चीजों को बहुत कम मात्रा में शामिल किया जाता है. साथ ही ठंडी और कम मसालेदार चीजें खाने की सलाह दी जाती है. ब्रह्मी और ठंडी जड़ी-बूटियां जैसे हल्दी और धनिया जैसी चीजों को मुख्य हर्बल थैरेपी माना जाता है.

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