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Periods Or Menstrual Leave : जानिए "उन दिनों" को लेकर किन देशों में मिलती हैं छुट्टियाँ... इतिहास, भारत के हालात, बिल और कब उठी मांग

Periods Or Menstrual Leave : देश में मासिक धर्म अवकाश यानी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को छुट्टी दी जाए या नहीं, इस पर लंबे वक्त से बहस छिड़ी हुई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 जुलाई) को इस मामले पर सुनवाई की है।

Periods Or Menstrual Leave : जानिए उन दिनों को लेकर किन देशों में मिलती हैं छुट्टियाँ... इतिहास, भारत के हालात, बिल और कब उठी मांग
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By Meenu

Periods Or Menstrual Leave : कुदरत ने महिलाओं की शारीरिक संरचना अलग बनाई है. वे हर महीने पीरियड्स से गुजरती हैं. पीरियड्स से पहले और उस दौरान होने वाला दर्द उनकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है. अब दुनिया भी इस तकलीफ को तकलीफ समझने लगी है. इन दिनों के दौरान महिलाओं को कुछ देशों में छुट्टियां मिलती हैं. भारत में भी अब इसकी मांग उठने लगी है.

देश में मासिक धर्म अवकाश यानी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को छुट्टी दी जाए या नहीं, इस पर लंबे वक्त से बहस छिड़ी हुई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 जुलाई) को इस मामले पर सुनवाई की है।



सुप्रीम कोर्ट ने मासिक धर्म (पीरियड्स) अवकाश को लेकर केंद्र और राज्यों से पूछा कि क्या देशभर में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए अनिवार्य मासिक धर्म अवकाश के संबंध में संबंधित हितधारकों के साथ चर्चा के बाद कोई रूपरेखा तैयार की जा सकती है। अगर की जा सकती है कि मासिक धर्म अवकाश पर एक आदर्श नीति तैयार करे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने छात्राओं और पेशेवर महिलाओं के लिए मासिक धर्म अवकाश की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए यह बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीरियड्स में महिलाओं को छुट्टी मिलनी चाहिए या नहीं, ये तय करना सरकार का काम है। पीठ ने कहा है कि इस मामले में एक आदर्श नीति बनाना सरकार का काम है। सरकार को जल्द इसपर सोचना चाहिए।


मेन्स्ट्रूएशन बेनिफिट बिल 2017

देश में पहली बार अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस के सांसद निनॉन्ग एरिंग ने पीरियड्स लीव के लिए मेन्स्ट्रूएशन बेनिफिट बिल 2017 का प्रस्ताव रखा. इसमें कहा गया कि सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाली महिलाओं को दो दिन पेड पीरियड लीव दी जाये. बिल अभी भी समिति के पास है.

देश में दोनों मांग और विरोध की बातें हो रही

उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू, गोवा आदि राज्यों के संगठन परीरियड्स लीव की मांग कर रहे हैं. नवंबर 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकीर को निर्णय का आदेश दिया था लेकिन इस पर कुछ भी निर्णय नहीं लिया गया. कुछ महिलाएं इसके पक्ष में है तो कुछ इसके विपक्ष में. उनका कहना है कि आज पुरुष और महिलाओं के बीच कोई अंतर नहीं रहा गया है. बराबरी के अधिकारों की बात होती है ऐसे में पीरियड्स लिव क्या जरूरत है. वहीं कुछ का कहना है कि यह हमारा अधिकार होने के साथ-साथ महिलाओं को इसकी सुविधा मिलना उनका हक.


जानिए किन दुनिया के देशों में पीरियड्स में छुट्टियां मिलती हैं



दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया में महिलाओं को प्रति माह एक दिन की पेड लीव, मासिक धर्म के लिए मिलती है. 2004 तक, जब दक्षिण कोरिया में वर्किंग वीक को छह से पांच दिन में बदल गया, तो छुट्टी का भुगतान किया गया था.

इंडोनेशिया

2003 में, इंडोनेशिया ने महिलाओं को नोटिस दिए बिना प्रति माह दो दिन की पेड लीव, पीरियड्स में लेने की अनुमति देने वाला कानून स्थापित किया. कई नियोक्ता हर महीने केवल एक दिन का मासिक धर्म लीव देते हैं. जबकि अन्य बिल्कुल भी नहीं देते हैं. या तो उन्हें कानून की जानकारी नहीं है या वे इसे अनदेखा करते हैं. 2003 की अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को उनके 12 दिनों के सालाना अवकाश के अलावा 24 दिनों के मासिक धर्म की छुट्टी की वजह से उनकी भर्ती नीतियों में भेदभाव होता है.

ताइवान

ताइवान में रोजगार में लैंगिक समानता का अधिनियम महिलाओं को प्रति वर्ष तीन दिनों के मासिक धर्म की छुट्टी देता है. उन्हें वैधानिक 30 दिनों के बीमार अवकाश से नहीं काटा जाता है. महिलाओं को प्रति माह केवल एक दिन लीव लेने की अनुमति है. बीमारी की छुट्टी पर जाने वालों की तरह, पीरियड्स की छुट्टी पर जाने वाले कर्मचारियों को भी उनका आधा वेतन ही मिलता है.

जापान

जापान में 1947 के कानून में कहा गया है, नियोक्ता महिलाओं को मासिक धर्म की छुट्टी देने के लिए सहमत हो. महिलाएं तब तक के लिए छुट्टी मांग सकती हैं जब तक उन्हें इसकी आवश्यकता हो. लेकिन छुट्टी के दौरान महिलाओं को भुगतान करना कंपनी के लिए जरूरी नहीं. 2020 के श्रम मंत्रालय के सर्वेक्षण में कहा गया है कि लगभग 30% जापानी उद्यम full or partial वेतन देते हैं.


जाम्बिया

ज़ाम्बिया ने 2015 में एक नियम को मंजूरी दी, जिसमें महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान बिना नोटिस दिए या डॉक्टर का नोट दिए बिना एक दिन काम से छुट्टी लेने का अधिकार दिया गया. उस समय यह नियम अफ्रीकी देशों के लिए ईर्ष्या का विषय बन गया था. सभी नियोक्ता स्वेच्छा से इसका पालन नहीं करते हैं. लेकिन महिलाएं अपने अधिकारों का उपयोग करना शुरू कर रही हैं.


स्पेन

मई 2020 में स्पेनिश सरकार ने एक मसौदा विधेयक को मंजूरी दी जो लड़कियों के लिए गर्भपात के अधिकारों को बढ़ाता है. स्पेन को यूरोप का पहला देश माना जा रहा है जो इंप्लॉई को वेतन के साथ मासिक धर्म की छुट्टी का हकदार बनाता है. स्पेन महिलाओं को पीरियड पेन के लिए अनलिमिटेड छुट्टियां देगा, यदि उनके पास डॉक्टर का सर्टिफिकेट हो.


ऑस्ट्रेलिया

कुछ बिजनेस वालों ने महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश प्रदान करने के लिए कानूनी रूप से आवश्यक होने तक प्रतीक्षा नहीं की है. उनमें से हैं: विक्टोरियन महिला ट्रस्ट, एक ऑस्ट्रेलियाई लैंगिक-समानता संगठन, कर्मचारियों को मासिक धर्म व menopause leave के 12 दिनों की छुट्टी प्रदान करता है.

भारत, फ्रांस- जोमाटो


एक इंडियन फूड डिलीवरी स्टार्टअप, दस दिनों की अवधि की छुट्टी प्रदान करता है. ला कलेक्टिव, एक फ्रांसीसी सहकारी, कर्मचारियों को प्रति माह एक दिन की अवधि की छुट्टी प्रदान करता है.


भारत की स्थिति




  • जनवरी 2023 में केरल सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले सभी राज्य विश्वविद्यालयों में छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी देने का ऐलान किया.
  • मार्च 2021 में दिल्ली सरकार ने भी महिला कर्मचारियों को मेंस्ट्रुअल लीव देने की घोषणा करते हुए कहा था कि इस छुट्टी को कामकाजी महिलाएं मासिक चक्र के किसी भी दिन ले सकती हैं और इससे उनकी बाकी छुट्टियों में कटौती नहीं की जायेगी.
  • वर्ष 1992 में बिहार सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए दो दिनों के मासिक धर्म अवकाश की शुरुआत की.
  • जनवरी, 2018 में अरुणाचल प्रदेश के सांसद निमोंग एरिंग द्वारा लोकसभा में एक बिल ‘मेंस्ट्रुअल बेनेफ़िट’ के नाम से पेश कियाा गया, जिसमें कामकाजी महिलाओं के लिए मेंस्ट्रुअल लीव यानी पीरियड्स के दौरान छुट्टी की मांग की गयी थी.
  • वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ ने यूपी महिला आयोग, मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर मांग की.


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