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पैलिएटिव केअर प्रशामक देखभाल: एक अतिसंवेदनशील मानवीय मूल्यों पर आधारित चिकित्सकीय विज्ञान...

डॉ अविनाश तिवारी, एमडी पैलियेटिव मेडिसिन (टाटा कैंसर हॉस्पीटल), कंसलटेंट पैन एंड पैलियेटिव मेडिसिन, संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल ने पैलिएटिव केअर (प्रशामक देखभाल) के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जानकारी साझा की।

पैलिएटिव केअर प्रशामक देखभाल: एक अतिसंवेदनशील मानवीय मूल्यों पर आधारित चिकित्सकीय विज्ञान...
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By Gopal Rao

रायपुर। क्या है पैलिएटिव केअर - डॉ तिवारी बताते हैं की किसी बड़ी या गंभीर बीमारी के मरीज के दर्द तथा अन्य तकलीफदेह लक्षण को कम करके उसके दिनचर्या और दैनिक जीवन को बेहतर करना पैलिएटिव केअर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसमें साइंटिफिकल्की दवाइयों के प्रयोग के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक भावनात्मक आध्यात्मिक रणनीतिया तथा सपोर्ट का भी बहुत बड़ा योगदान होता है।पैलिएटिव केअर रोगियों और उनके परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है, जो जीवन के लिए गंभीर बीमारी से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, चाहे वह शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक या आध्यात्मिक हो व कैंसर जैसे अन्यबीमारी में बीमारी के लिए चल रहे इलाज कि साथ साथ एक अतिरिक्त सपोर्ट सुनिश्चित करता है ताकि “जीवन में सिर्फ़ दिन नहीं दिनों में जीवन भी जुड़े” । यह शोध में देखा गया है इस के द्वारा मरीज और उनके परिवार के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।यह साक्ष्य आधारित अभ्यास पर आधारित विज्ञान की एक विशिष्टता है, न कि एक कौशल जो अनुभव के साथ आता है जो की एक आम धारणा है , इसके डॉक्टर व टीम इस विषय में अन्य स्पेशलिटी की तरह ही प्रशिक्षित होते है , इसलिए चिकित्सा की अन्य शाखा की तरह उचित प्रशिक्षित टीम से ही सलाह लेना महत्वपूर्ण है, यह चिकित्सा की एक अनूठी शाखा है।


पैलिएटिव केअर की आवश्यकता - डॉ अविनाश तिवारी ने आगे बताया की इसके जरूरत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर इंसान को अपने जीवन मे पैलिएटिव केअर की जरूरत लगभग पड़नी ही है और वो भी एक बार नही कई कई बार इसकी जरूरत पड़ सकती है। इसलिए ये मेडिकल साइंस हर किसी के जीवन मे बहुत ही अहमियत रखता है,भले ही आप इसके बारे में जानते हों या न जानते हों।WHO के अनुसार प्रत्येक वर्ष, अनुमानित 40 मिलियन लोगों को पैलिएटिव केअर की आवश्यकता होती है; उनमें से 78% लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।दुनिया भर में, केवल लगभग 14% लोग जिन्हें पैलिएटिव केअर की आवश्यकता होती है, वे वर्तमान में इसे प्राप्त करते हैं।

दर्द क्या है - हम दर्द केवल मरीज़ के शरीर मे दिखने वाले लक्षणों को समझते हैं। लेकिन ऐसा नही है। दर्द का भावनात्मक पहलू भी होता है,दर्द का मनोवैज्ञानिक पहलू भी होता है। दर्द का पारिवारिक, समाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक पहलू भी होता है।डेम सिसली सॉन्डर्स ( पैलिएटिव केअर संस्थापकों में से एक) अपने करियर की प्रारंभिक चरण में साल 1964 में संपूर्ण दर्द की अवधारणा विकसित की।उनका विचार था की दर्द सिर्फ फिजियोलॉजिकल इनपुट नहीं है ,बल्कि उसका एक हिस्सा है,जिसका शारीरिक लक्षण हम अनुभव करते हैं -

पैलिएटिव केअर का महत्व - अब जरा सोचिए कोई कैंसर,किडनी,लिवर,हार्ट की गंभीर बीमारी के दर्द से सालों/महीनों से गुजर रहा है या किसी लाइलाज़ बीमारी के आखिरी स्टेज से गुजर रहा हो,तो वो अपने दर्द के भावनात्कम, मनोवैज्ञानिक, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक पहलू से कितने समय से गुजर रहा होता है और उसका दर्द कितना गुना बढ़ चुका होता है। लेकिन मरीज़ का केवल उसके शारीरिक लक्षण के आधार पर ही ईलाज होता रहता है। यहाँ तक कि ऐसे मरीजों को ICU में भी बहुत कम ही राहत मिल पाता है। यहीं पैलिएटिव केअर की जरूरत पड़ती है। किसी लाइलाज़ बीमारी के मरीज का दर्द कम करना, किसी मरीज को अंतिम समय में बेहतर जिंदगी देना पैलिएटिव केअर है।आबादी की उम्र बढ़ने और गैर-संचारी रोगों और कुछ संचारी रोगों के बढ़ते बोझ के परिणामस्वरूप उपशामक देखभाल की वैश्विक आवश्यकता बढ़ती रहेगी।

अंतिम समयअस्पताल या घर - हमारी हर परिस्थिति में ये ही कोशिश होती है कि हमें अस्पताल में भर्ती न होने पड़े। डॉक्टर से दवाई लिखवाकर सभी की यही कोशिश होती है कि घर मे ही ठीक हो जाएं,घर का खाना मिले और अपनों के बीच रहें। अस्पताल में भर्ती होने की सोचकर ही घबराहट हो जाती है,बीमारी बढ़ जाती है।

अब सोचिए कि कोई कैंसर जैसी किसी लाइलाज़ बीमारी से जूझ रहा है,वो न जाने कितनी बार अस्पताल में भर्ती हो चुका होता है,कई तरह के मेडिसिन खा रहा होता है, वो अपना अंतिम समय कहाँ गुजारना पसन्द करेगा - अस्पताल में या घर में। किसी गंभीर बीमारी के मरीज़ को अंतिम समय मे एक अच्छी जिंदगी देना ही पैलिएटिव केअर है। इसलिए पैलिएटिव केअर के अंतर्गत इसी बात की प्राथमिकता दी जाती है कि अंतिम समय घर मे ही गुजरे न कि अस्पताल में।

उम्मीद है कि जल्द ही हमारे सभी अस्पताल में समर्पित उपशामक देखभाल विभाग खुलेगा जहां हम जीवन सीमित बीमारी का सामना करने वाले मरीजों में दर्द और अन्य जटिल लक्षणों का प्रबंधन करेंगे और हम अंतिम चरण के बीमार मरीजों को जीवन की गुणवत्ता देंगे|

डॉ अविनाश तिवारी एमडी पैलियेटिव मेडिसिन (टाटा कैंसर हॉस्पीटल)

कंसलटेंट पैन एंड पैलियेटिव मेडिसिन संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल रायपुर , 8319505058

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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