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Nipple shields : उन नई माँओं के लिए बेहद उपयोगी हैं निप्पल शील्ड, जिन्हें ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान निप्पल में होती है तकलीफ

Nipple shields : उन नई माँओं के लिए बेहद उपयोगी हैं निप्पल शील्ड, जिन्हें ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान निप्पल में होती है तकलीफ
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By Divya Singh

Nipple shields : माँ और बच्चे का रिश्ता सबसे खास होता है। नई माँ जब अपने बच्चे को दूध पिलाती है तो माँ-बच्चे के बीच यह रिश्ता और प्रगाढ़ होता जाता है। बच्चा भूख जानता है और माँ से चिपक जाता है और माँ को इस दौरान होने वाले अहसास से बहुत संतुष्टि मिलती है लेकिन कई बार नई माँ के लिए बच्चे को दूध पिलाना इतना आसान नहीं होता। कुछ माँओं को इस दौरान निप्पल में दरारें और स्वेलिंग हो जाती है। कई को खून भी निकलने लगता है। ऐसे में स्तनपान कराना माँ के लिए बेहद तकलीफ़देह हो जाता है। माँ के इसी कष्ट को दूर करने में 'निप्पल शील्ड' बहुत काम आती है। यह एक तरह की सिलिकॉन से बनी शील्ड होती है, जो निप्पल पर लगाई जाती है, जिससे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान माँ को निप्पल्स में होने वाले दर्द से आराम मिल सके। इस लेख में आपको निप्पल शील्ड के बारे में उपयोगी जानकारी मिलेगी।

कब पड़ती है निप्पल शील्ड की ज़रूरत

सभी महिलाओं को निप्पल शील्ड की ज़रूरत नहीं पड़ती है। कुछ को ही ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है। जिन महिलाओं के निप्पल का शेप थोड़ा अलग होता है, जैसे कि इनवर्टेड या फ्लेट या फिर किसी भी तरह से ऐसा, जिससे दूध पीने में बच्चे को दिक्कत आ रही हो, तब उन महिलाओं को निप्पल शील्ड की ज़रूरत पड़ती है। क्योंकि ऐसे में बच्चे की सकिंग से माँ के निप्पल में दर्द, सूजन, दरारें तक आ जाती हैं और कई बार दरारों से खून भी रिसने लगता है। ऐसे में कुछ माँओं के लिए बच्चे को दूध पिलाना कई बार इतना कष्टकर हो जाता है कि उनके आंसू तक गिरने लगते हैं।

यही नहीं, इस असुविधाजनक स्थिति में बच्चे का पेट भी ठीक से नहीं भरता और वह भूखा रहता है। तब बच्चा ज्यादा रोता तो है ही, साथ ही उसका विकास भी प्रभावित होता है।

बच्चे को भूखा जानकर माँ गिल्ट महसूस करती है।वैसे भी नन्हे शिशु का पालन-पोषण एक कठिन कार्य है, उसपर यदि ब्रेस्टफीडिंग कठिन हो जाए तो ये सबसे महत्वपूर्ण समय माँ को निराशा से भर देता है। इसे में निप्पल शील्ड बहुत काम आती है।

दूध की बाॅटल से बेहतर है निप्पल शील्ड

बच्चा भूखा रह जाए, ऐसा कौन सी माँ चाहेगी। ऐसे में अंततः दूध की बाॅटल का विकल्प नज़र आता है। लेकिन आप खास बच्चों के लिए बना दूध पाउडर भले ही लेते हैं, लेकिन वह माँ के दूध के समान कभी नहीं हो सकता। बच्चे के लिए माँ का दूध अमृत कहलाता है। इसलिए यदि संभव हो तो माँ का दूध ही पिलाना ही उचित होता है। निप्पल शील्ड इस काम में मददगार होती है।

निप्पल शील्ड से होती है ब्रेस्टफीडिंग आसान

निप्पल शील्ड सिलिकॉन से इस तरह बनाई जाती हैं कि ये आसानी से ब्रेस्ट पर फिट हो जाती हैं। इनका आकार ब्रेस्ट निप्पल की तरह होता है, जिससे बच्चा आसानी से दूध पी सकता है। और सकिंग से निप्पल में होने वाले दर्द से माँ को राहत मिल जाती है।

डाॅक्टर भी ऐसी स्थिति में टेंपरेरी यूज़ के लिए निप्पल शील्ड के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि निप्पल में दरारें पड़ने या खून आने से जर्म्स भी पैदा हो सकते हैं यदि सफाई का ध्यान न रखा जाए। उससे बेहतर है कि निप्पल शील्ड का प्रयोग किया जाए।

साफ रखें निप्पल शील्ड को

नई माँएं ध्यान रखें कि निप्पल शील्ड को साफ रखना है। उसे इस्तेमाल के बाद कहीं भी न रख दें कि उसी में गंदगी और जर्म्स इकट्ठे हो जाएं और बच्चे की तकलीफ का कारण बनें। आप शील्ड को दोबारा इस्तेमाल से पहले हर बार गर्म पानी से धो लें तभी यह बच्चे के लिए सुरक्षित होगी।

कब तक करें निप्पल शील्ड का इस्तेमाल

आमतौर पर देखा गया है कि दो-तीन माह बीतने तक बच्चे माँ के थोड़े अलग तरह के निप्पल से भी दूध पीने में सहज हो जाते हैं। तब माँ इनका प्रयोग बंद कर सकती हैं। इसलिए दर्द कम होने पर बच्चे को डायरेक्ट दूध पिलाने का प्रयास भी करते रहें। क्योंकि सीधा स्तनपान माँ और शिशु दोनों के लिए बेहतर है और अच्छा अनुभव भी। फिर यह भी एक तथ्य है कि दूसरों की मौजूदगी में निप्पल शील्ड का प्रयोग करने में माँ थोड़ा असहज महसूस कर सकती है। इसलिए शिशु जब सहजता से स्तनपान करना सीख जाए और आप भी चोटिल न हो रही हों तो निप्पल शील्ड का इस्तेमाल बंद कर दें।

Divya Singh

दिव्या सिंह। समाजशास्त्र में एमफिल करने के बाद दैनिक भास्कर पत्रकारिता अकादमी, भोपाल से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। दैनिक भास्कर एवं जनसत्ता के साथ विभिन्न प्रकाशन संस्थानों में कार्य का अनुभव। देश के कई समाचार पत्रों में स्वतंत्र लेखन। कहानी और कविताएं लिखने का शौक है। विगत डेढ़ साल से NPG न्यूज में कार्यरत।

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