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National Cancer Awareness Day (7 November): भारत में अब इस थेरेपी से विदेशों से सस्ता और प्रभावी होगा कैंसर का इलाज, जानिए कैंसर के इलाज की इन नई खोज के बारे में

National Cancer Awareness Day (7 November): भारत में अब इस थेरेपी से विदेशों से सस्ता और प्रभावी होगा कैंसर का इलाज, जानिए कैंसर के इलाज की इन नई खोज के बारे में
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By NPG News

NPG DESK

National Cancer Awareness Day:: इसमें कोई शक नहीं कि कैंसर का नाम ही दहशत पैदा कर देता है। लेकिन यह भी सच है कि विज्ञान निरंतर इसका निदान ढूंढने का प्रयत्न कर रहा है। नई दवाएं और थैरेपी सामने आ रही हैं जो जान के खतरे को टाल रही हैं और भविष्य में पूरे इलाज की उम्मीद भी जगा रही हैं। आज यानि 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है कैंसर, इसके लक्षणों और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाना। क्योंकि अगर शुरुआत में ही इसका पता लग जाए तो कैंसर लाइलाज नहीं रह जाता। आज हम आपको बताएंगे कैंसर के इलाज के लिए देश में चल रही कुछ नई खोजों के बारे में। इसके अलावा और भी उपयोगी जानकारियां आपको इस लेख में मिलेंगी।

* सबसे पहले जान लेते हैं कि कैंसर है क्या?

कैंसर कोशिकाओं की बेलगाम, अनियमित और असामान्य वृद्धि है, जो शरीर के किसी भी हिस्से, ऊतक या अंग से शुरू हो सकती है।कभी इसका कारण सहज ही समझ में आने लायक होता है जैसे स्मोकिंग वगैरह तो कभी अज्ञात कारण से भी इसकी शुरुआत हो सकती है।

कई बार इलाज मिल जाने पर यह शुरुआती कारण खत्म हो जाता है लेकिन कुछ समय बाद कैंसर फिर बढ़ने लगता है क्योंकि इसकी प्रवृत्ति आस-पास के सामान्य ऊतकों में घुसपैठ करने और रक्तवाहिकाओं में घुस जाने की होती है। जिससे यह रोग फेफड़ों, लीवर, दिमाग और हड्डियों जैसे कुछ अंगों या पूरे शरीर के हिस्सों में फैल जाता है और तब ये जानलेवा हो सकता है।

* कैंसर का कैसा इलाज अभी उपलब्ध है

कैंसर कई तरह का होता है जैसे ब्रेस्ट कैंसर ब्लड कैंसर, लंग कैंसर, ब्रेन कैंसर,सर्वाइकल कैंसर आदि। इसके प्रकार के आधार पर अलग-अलग इलाज होते हैं और व्यक्ति के शरीर में कैंसर कितना फैला है और किस स्टेज में है, इस बात पर इलाज निर्भर करता है। कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी, इम्यूनो थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी आदि जैसे इलाज के विकल्प अभी देश में उपलब्ध हैं।

* इन संस्थानों में होता है कैंसर का मुफ़्त इलाज

1. राजीव गांधी कैंसर अस्पताल, नई दिल्ली

2. बसवतारकम कैंसर अस्पताल, हैदराबाद

3.धर्मशिला अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली

4. गुजरात कैंसर अनुसंधान संस्थान, गुजरात

5. अड्यार कैंसर संस्थान, चेन्नई

6. इंडियन कैंसर सोसाइटी या आईसीएस कैंसर डिटेक्शन सेंटर, मुंबई

7. टाटा कैंसर अस्पताल, कोलकाता

8. किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी, बेंगलुरु

9.श्री शंकर कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, बेंगलुरु

10. क्षेत्रीय कैंसर केंद्र, तिरुवनंतपुरम

ये सभी अस्पताल कैंसर का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराते हैं।

* देश में चल रहे हैं ये नए शोध

देश में कैंसर से जंग के लिए लगातार शोध चल रहे हैं। रिसर्चर फाॅरेन से स्टडी कर के भी आ रहे हैं और देश में परीक्षण कर शोध की उपयोगिता का पता लगा रहे हैं। कुछ नए शोध तो हैरान करने वाले हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं।

* टाटा मैमोरियल का प्रयास, एक इंजेक्शन से होगा ब्रेस्ट कैंसर का इलाज

टाटा मेमोरियल अस्पताल हमेशा कैंसर के इलाज के लिए नए प्रयासों में जुटा रहता है। इसे ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में हाल ही में बड़ी कामयाबी मिली है। यहां के रिसर्चर ने एक ऐसे इंजेक्शन का शोध किया है, जिसके एक डोज से ब्रैस्ट कैंसर के सेल्स सुन्न (स्थिर) हो जाएंगे और शरीर के अन्य हिस्सों में इन सेल्स के प्रसार को रोका जा सकेगा। अच्छी बात यह है कि इस इंजेक्शन के एक डोज की कीमत सिर्फ 30 से 40 रुपये है। ब्रेस्ट कैंसर रोगियों के उपचार की दिशा में इसे एक वरदान के रूप में देखा जा रहा है।

आपको बता दें कि साल 2011 में टाटा मेमोरियल अस्पताल ने ब्रेस्ट कैंसर मरीजों के उपचार पर एक नई स्टडी की शुरुआत की थी। 'इफेक्ट ऑफ पेरी- टुमोरल इंफिल्ट्रेशन ऑफ लोकल एनेस्थेटिक प्रायर टू सर्जरी ऑन सरवाइवल इन अर्ली ब्रेस्ट कैंसर' के शीर्षक के तहत की गई। इस स्टडी में देश के 11 कैंसर केंद्र शामिल थे। और इसी स्टडी के बाद इस इंजेक्शन का शोध किया गया है। अभी इस इंजेक्शन पर काम जारी है।

* ब्लड कैंसर के इलाज के लिए देश की पहली स्वदेशी किमेरिक ऐंटीजन रिसेप्टर टी-सेल थेरैपी सामने लाए हैं राहुल पुरवार

साइंटिस्ट राहुल पुरवार साल 2013 में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से इम्यूनोथेरैपी पर गहन अध्ययन करके आए। वे कहते हैं कि कैंसर के मरीज के लिए अब तक केवल तीन विकल्प थे।कीमोथेरैपी, रेडिएशन या सर्जरी।ये कारगर न हुए तो कोई और विकल्प नहीं था।लेकिन अब ऐसा नहीं है।

पुरवार उसी साल प्रोफेसर के तौर पर आइआइटी बॉम्बे से जुड़ गए और संस्थान की लैब का इस्तेमाल इम्यूनोइंजीनियरिंग की एक टीम बनाने के लिए करने लगे। इस टीम ने अगले 3-4 साल देश की पहली स्वदेशी किमेरिक ऐंटीजन रिसेप्टर टी-सेल थेरैपी, सीडी-19 सीएआर-टी विकसित करने में बिताए। यह एक उपचार है जिसमें कैंसर की कोशिकाओं को खोजने और उन पर हमला करने के लिए इन्सान की टी-कोशिकाओं (एक प्रकार की श्वेत रक्त या प्रतिरक्षा कोशिकाएं) को प्रयोगशाला में बदला जाता है। आज सीडी-19 सीएआर-टी को दो पेटेंट मिल चुके हैं और अमेरिका में कुछ निश्चित रक्त कैंसरों के इलाज की स्वीकृति भी। अब भारत में इसके दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षणों की तैयारी चल रही है और उम्मीद है कि जल्दी ही इसे भारत के अस्पतालों में इलाज के लिए पेश किया जाएगा। पुरवार कहते हैं, ''भारत में जीन और सेल थेरैपी के लिए यह रोमांचक समय है। ''

पुरवार अब इम्यूनोएसीटी के सीईओ हैं और उनकी यह कंपनी स्वीकृति मिलते ही यह नई थेरैपी विदेशों के मुकाबले बहुत कम खर्च पर भारत में मुहैया करेगी। वे कहते हैं, ''निवेश और दिलचस्पी बहुत ज्यादा है और नतीजे बहुत उत्साहवर्धक हैं।अमेरिका में 3-4 करोड़ रुपए के मुकाबले हम प्रति मरीज 30 लाख रुपए के खर्च का अनुमान लगा रहे हैं। इससे उन लोगों को नई जिंदगी मिलनी चाहिए जो कैंसर को जिंदगी का अंत समझते थे " तो निस्संदेह कैंसर से जंग के लिए वैज्ञानिकों की कोशिशें उम्मीद जगा रही है। आने वाले समय में इस बीमारी को जड़ से खत्म करने में भी ज़रूर सफलता मिल जाएगी। इसलिए हौसला रखिए, लड़िए और जीतिये।

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