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Mobile Addiction: इस तरह बच्चों से छुड़ा सकते हैं मोबाइल की लत, आप भी इस नुख्से को आजमाइए

आप भी अपने बच्चों के मोबाइल की लत से परेशान होंगे। वाकई ये लत बच्चो का बड़ा नुकसान कर रही। अभी भी समय है। आप जागरूक होइए...अपने बच्चों की बेहतरी के लिए।

Mobile Addiction: इस तरह बच्चों से छुड़ा सकते हैं मोबाइल की लत, आप भी इस नुख्से को आजमाइए
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By NPG News

श्रीसूर्या पुष्पा फाउंडेशन ने बच्चो से मोबाइल की लत छुड़ाने जागरूकता अभियान शुरू किया है। फाउंडेशन के डायरेक्टर गौरव शुक्ला से जानिए क्या क्या नुकसान है बच्चों को मोबाइल से और उन्हें कैसे इस लत से बचाया जाए...

इन दिनों हर पेरेंट्स (Parents) की ये शिकायत होती है कि उनका बच्‍चा (Children) दिन भर मोबाइल से चिपका रहता है. हालांकि, इसकी वजह खुद पेरेंट्स भी हैं जो हर वक्‍त मोबाइल (Mobile) में व्‍यस्‍त रहते हैं और परिवार के साथ क्‍वालिटी टाइम बिताने की बजाय मोबाइल पर एंटरटेनमेंट का बहाना ढूंढते रहते हैं. यही नहीं, बच्‍चों को कई पेरेंट्स कम उम्र में ही मोबाइल हाथ में पकड़ा देते हैं और बाद में जब बच्‍चों की इसकी आदत लग जाती है तो वे छुड़ाने के लिए सख्‍ती करने लगते हैं. ऐसे में घर का माहौल तो खराब होता ही है, बच्‍चे छिपछिप कर मोबाइल का प्रयोग करने लगते हैं.

आजकल सांस लेने जितना ही जरूरी स्‍मार्टफोन भी हो गए हैं। अब तो बच्‍चों को भी मोबाइल फोन इस्‍तेमाल करना बहुत अच्छा लगता है। हालांकि, हम सभी जानते हैं कि बच्‍चों के लिए मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल कितना खतरनाक होता है।

अगर आप भी अपने बच्‍चे के हाथ में स्‍मार्टफोन थमा देते हैं या आपका बच्‍चा फोन से दूर जाना बिल्‍कुल पसंद नहीं करता तो इस आदत के कारण आपके बच्‍चे को बहुत नुकसान हो सकता है। यहां हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बता रहे हैं जिनकी मदद से आप आसानी से अपने बच्‍चों को मोबाइल फोन से दूर रख सकते हैं।

बाहर जाने से रोकने पर बच्‍चे घर में ही अपनी पसंद के खेल ढूंढ लेते हैं। कुछ बच्‍चे खिलौनों से खेलते हैं तो कुछ स्‍मार्टफोन को ही अपना दोस्‍त बना लेते हैं। घर पर रहने पर आपके बच्‍चे को मोबाइल की लत लग जाए, इससे तो अच्‍छा होगा कि आप उसे रोज पार्क ले जाएं और वहां उसे उसके दोस्‍तों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें।

अब स्‍मार्टफोन हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्‍सा हो गए हैं। बच्‍चों से भी फोन को दूर रखना आसान बात नहीं है। कभी न कभी तो बच्‍चे मोबाइल इस्‍तेमाल करना शुरू करेंगे ही और उस समय उन्‍हें इसकी आदत हो जाएगी।

इससे बेहतर होगा कि आप बच्‍चे को अपना फोन इस्‍तेमाल करने के लिए दें, लेकिन साथ ही उसे ये भी समझाएं कि उसे सिर्फ एक सीमित समय के लिए ही फोन इस्‍तेमाल करने को दिया गया है। खाना खाते समय, पढ़ते समय, सोते समय या बाहर जाने या खेलने के समय पर स्‍मार्टफोन न दें।

स्‍मार्टफोन के चमकीले रंग और एनिमेशन बच्‍चों को अपनी ओर खींचते हैं। बच्‍चों को फोन से सेहत को होने वाले नुकसानों के बारे में समझाएं। उससे बात करें या वीडियो वगैरह दिखाकर उसे यह समझाने की कोशिश करें कि फोन का इस्‍तेमाल बच्‍चों के लिए हानिकारक होता है।

हर बार फोन इस्‍तेमाल करते हुए तो आप अपने बच्‍चे के पास मौजूद नहीं हो सकते हैं। ऐसे में टेक्‍नोलॉजी आपकी मदद कर सकती है। अपने फोन में पासवर्ड लगाकर रखें ताकि आपकी गैर-मौजूदगी में वो फोन इस्‍तेमाल न कर सके।

बच्‍चों के लिए प्रकृति नैचुरल थेरेपी का काम करती है और इससे आपके बच्‍चे फोन से भी दूर रह सकते हैं। अपने बच्‍चों को बाहर किसी हरी-भरी जगह या पार्क वगैरह घुमाने ले जाएं। इससे बच्‍चों को तरोताजा भी महसूस होगा। बच्‍चे अपने आप ही वहां अपनी पसंद का कोई गेम ढूंढ लेंगे।

सभी पैरेंट्स अपने काम और जिम्‍मेदारियों में बहुत व्‍यस्‍त रहते हैं लेकिन फिर भी अपने बच्‍चे के लिए समय निकालना बहुत जरूरी है। बच्‍चों के साथ बोर्ड गेम खेलें या कुकिंग या बागवानी जैसे कामों में उनकी मदद लें। आप बच्‍चों को गाना सीखने, किताबें पढ़ने या पेंटिंग करने की हॉबी भी सिखा सकती हैं।

इन तरीकों से बच्‍चों को फोन से दूर रखना आपके लिए काफी आसान हो सकता है।

बच्चों में नशे की बढ़ती आदतें न सिर्फ उनसे उनका बचपन छीन रही हैं, बल्कि उनका जीवन भी छीन रही हैं। नयी जीवन शैली में बहुत कुछ ऐसी चीजें शामिल होती जा रही हैं, जो सुविधाएं देने के साथ-साथ नये खतरे भी निर्मित कर रही हैं। इन्हीं में से एक मोबाइल फोन भी है। विगत कुछ वर्षों में स्मार्ट फोन का प्रयोग काफी बढ़ा है। कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाईन शिक्षा व्यवस्था के कारण मोबाइल के उपयोग से बच्चे और अधिक परिचित हो गये हैं। बच्चे पिछले कुछ समय में जाने अन्जाने में ही मोबाइल के नशे के शिकार हो गये हैं। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को खाना खिलाते समय बहलाने के लिए या अन्य कार्यों में व्यस्त होने पर बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देते हैं। जहाँ एक ओर मोबाइल के सदुपयोग से होने वाले कतिपय लाभ से इंकार नहीं किया जा सकता, वहीं दूसरी ओर सीमा से अधिक उपयोग के कारण मोबाइल की लत लग जाने से बच्चों में कुछ गंभीर परिणाम दिखाई दे रहे हैं।

मोबाइल के ज्यादा उपयोग से बच्चे अवास्तविक दुनिया अर्थात् वर्चुअल दुनिया में रहने लगते हैं। मोबाइल के माध्यम से अनावश्यक चैटिंग करने, व्हाट्सएप्प की टिप्पणियाँ पढ़ने आदि से समय तो बर्बाद होता ही है साथ ही बच्चे भ्रामक जानकारी से भी अपने मस्तिष्क को दूषित कर लेते हैं। मोबाइल से बच्चों के हाथ और मस्तिष्क के बीच का संबंध प्रभावित होता है। इससे कई बच्चों में पेन या पेन्सिल से लेखन की क्षमता की कमी भी देखी गई है। मोबाइल देखते हुए एक ही स्थान पर बैठे रहने से शारीरिक प्रगति बाधित होती है। इससे बच्चों में मोटापे की बढ़ती समस्या सामने आ सकती है। मोबाइल में व्यस्त रहने से बच्चों की सामाजिक जीवन शैली प्रभावित होती है और वे आस पड़ोस में घूमना, समूह गतिविधियाँ या सामूहिक रूप से त्यौहार मनाने को नापसंद करने लगते हैं। यहाँ तक कि घर से बाहर जाना भी उन्हें पसंद नहीं आता है। बच्चों में पुस्तकों के अध्ययन के प्रति रुचि कम हो रही है।

मोबाइल की लत से बचाने के उपाय


यह ध्यान रखना जरूरी है कि मोबाइल की लत से बच्चों को बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी और भूमिका माता-पिता की तो है ही साथ ही परिवार के सभी सदस्यों की भी है। बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार खिलौना दें और मोबाइल के प्रयोग को बढ़ावा न दें। बच्चों के साथ बातचीत करने में समय अवश्य दें जब भी अवसर मिले टेलीविजन बंद करें और मोबाइल अलग रखवाकर आमने-सामने हल्का फुल्का हास्यभरा वार्तालाप करें।

बच्चों को घर में अधिक से अधिक शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें, जैसे त्यौहारों पर घर की सजावट, अवकाश के दिन साफ-सफाई, दैनिक कार्यों में शामिल करना आदि। बच्चों के लिए समय सारणी बनायें और मोबाइल का उपयोग धीरे-धीरे कम करवाएँ। सामने से वार्तालाप करते समय मोबाइल को बंद करवाने की आदत डालें। दिन में कम से कम एक घण्टा अन्य बच्चों के साथ बाहरी खेलकूद में देने के लिए नियत करें और बच्चों को उस समय शारीरिक एवं बाहरी खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे उनका मस्तिष्क उतने समय के लिए मोबाइल से दूर होगा और वे बाहरी वातावरण के आनंद को महसूस कर सकेंगे।

घर के भीतर शतरंज, साँप सीढ़ी, लूडो जैसे खेलों को खेलने के लिए प्रेरित करें। उनके साथ माता-पिता भी खेलें। इस प्रकार उन्हें मनोरंजन का एक और विकल्प मिलेगा। यदि बच्चे चित्रकारी, संगीत, वाद्ययंत्र बजाने, नृत्य करने, अभिनय में रुचि लेते हैं तो इसे प्रोत्साहित करें। इसके लिए उन्हें साधन उपलब्ध करायें। उनके द्वारा तैयार की गई रचनाओं की सराहना करके प्रोत्साहन दें। बच्चों को प्रतिदिन हल्का व्यायाम करने को प्रोत्साहित करें।

माता-पिता स्वयं भी बच्चों के समक्ष मोबाइल का अत्याधिक उपयोग न करें। याद रखें कि बच्चों के लिए उनके माता-पिता रोलमॉडल याने आदर्श हैं।हमारी हमेशा यही मुहिम रहेगी जगह जगह हम जागरूक करने के लिए सेमिनार भी आयोजन करेगे ओर बच्चों को बताना है कि अभी आप पढ़ ले उसके बाद इसे चलाये नही तो वो दिन दूर नही सारे बच्चों को फोबिया की बीमारी हो जाएगी बच्चे मोबाइल के बिना नही रह पाएंगे आज के बच्चे कल के भविष्य है।

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