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Lucky Bean Tree: आयुर्वेद की संजीवनी, निसंतानों के लिए रामबाण पुत्रजीवक

Lucky Bean Tree : पुत्रजीवक (Lucky Bean Tree) आयुर्वेद का चमत्कारी पौधा है, जो प्रजनन स्वास्थ्य सुधारने, हार्मोन संतुलन और संतान प्राप्ति में मदद करता है। जानिए इसके फायदे।

Lucky Bean Tree: आयुर्वेद की संजीवनी, निसंतानों के लिए रामबाण पुत्रजीवक
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By Shanti shree

Lucky Bean Tree :हमारे देश में जड़ी बुटी की कमी नहीं यहां बहुत से ऐसे पौधे है जो संजीवनी है। बस जानकारी के आभाव में हम उनको नहीं जान पाते है। ऐसा ही एक पौधा है पुत्रजीवक इसे सूजवा, पुत्रकांजारी, पुत्रवीजी, और लकी बीन (Lucky Bean) नाम से जानते है।अग्रेजीमें इसे अंग्रेजी में Putrajeevak, Lucky Bean Tree, Child Life ट्री कहते है।

इन पौधो को देखकर लगता है ऐसे ही नहीं औषधी के जनक हमारा अतीत है।यहां ऐसी जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं, जो न केवल रोगों से मुक्ति दिलाती हैं, बल्कि जीवन को बैलेंस, ऊर्जा और नया अर्थ भी प्रदान करती हैं। इन्हीं दिव्य औषधीय पौधों में एक अत्यंत पवित्र और चमत्कारी पौधा है-पुत्रजीवक। आयुर्वेद में इसे विशेष स्थान प्राप्त है और इसे संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए आशा की किरण माना जाता है।जो प्रजनन स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जाना जाता है।

पुत्रजीवन है चमत्कारी पौधा

देश के कई हिस्सो के साथ मध्य प्रदेश के रीवा जिले में यह दुर्लभ पौधा है। स्थानीय लोग और आयुर्वेद के जानकार इसे निसंतानों के लिए रामबाण मानते हैं। सदियों से यह पौधा भारतीय चिकित्सा परंपरा का हिस्सा रहा है और आज भी इसकी उपयोगिता और महत्ता बनी हुई है।

संतान की कामना और पुत्रजीवक रामबाण इलाज

शादी के बाद लगभग हर दंपति का एक ही सपना होता है, उसके घर में संतान की किलकारी गूंजे। लेकिन कई बार यह सरल नहीं होता। लंबे इंतजार, असफल प्रयास और निराशा दंपतियों के पास कोई विकल्प नही होता है तब ऐसे समय में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति लोगों को प्राकृतिक विकल्प की ओर ले जाती है।ऐसे में यह पुत्रजीवक पौधा इसी आशा की किरण बनता है।

आयुर्वेद के अनुसार, पुत्रजीवक प्रजनन क्षमता को बढ़ाने, शरीर के दोषों को संतुलित करने और जीवन शक्ति को सुदृढ़ करने में सहायक माना जाता है। यही कारण है कि इसे संतान प्राप्ति से जुड़ी औषधियों में विशेष स्थान दिया गया है। हालांकि आयुर्वेद हमेशा यह मानता है कि उपचार व्यक्ति की प्रकृति और स्थिति के अनुसार होना चाहिए।

पुत्रजीवक नेचर का अनमोल गिफ्ट

कहा जाता है कि प्रकृति बड़ी शक्तियाँ छिपा देती है। पुत्रजीवक इसका उदाहरण है। यह केवल एक पौधा नहीं, बल्कि जीवन, उम्मीद और आस्था की देन है। सदियों से इस पौधे ने न जाने कितने परिवारों की उम्मीदों को सहारा दिया है। जब जीवन की राह कठिन लगने लगती है, तब यही पौधा विश्वास की नई किरण बनकर सामने आता है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में पुत्रजीवक का प्रमाण है कि प्राचीन ऋषि-मुनि प्रकृति के गुणों को कितनी गहराई से समझते थे। यह पौधा चिकित्सा विज्ञान के लिए आज भी शोध और जिज्ञासा का विषय बना हुआ है।

पुत्रजीवक का बीज, पत्ते और फल फायदेमंद

पुत्रजीवक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके बीज, पत्ते और फल—तीनों औषधीय गुणों से भरपूर माने जाते हैं। आयुर्वेद में इनका उपयोग प्रजनन क्षमता बढ़ाने, हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और गर्भधारण से जुड़ी समस्याओं में किया जाता है। इसके साथ-साथ यह शरीर को पोषण देने और कमजोरी दूर करने में भी सहायक माना जाता है।

चरक संहिता जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में पुत्रजीवक का विस्तार से वर्णन मिलता है। चरकाचार्य ने इसे ऐसा पौधा बताया है, जो शरीर के त्रिदोष वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में सहायक है और जीवन शक्ति को बढ़ाता है। यही कारण है कि प्राचीन काल में राजवैद्य इसे विशेष उपचारों में प्रयोग करते थे।

हेल्दी लाइफ के लिए रामबाण

पुत्रजीवक को केवल संतान प्राप्ति तक सीमित नहीं किया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, यह स्त्री स्वास्थ्य को मजबूत करने, शरीर में पोषण बढ़ाने, मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को विकसित करने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करने में सहायक माना जाता है। इसके अतिरिक्त सर्दी-खांसी जैसे सामान्य रोगों में भी इसके उपयोग का उल्लेख मिलता है।मानसिक तनाव, कमजोरी और थकान से जूझ रहे लोगों के लिए भी यह पौधा लाभकारी माना जाता है। आयुर्वेद का सिद्धांत है कि जब शरीर और मन संतुलन में होते हैं, तभी जीवन पूर्णता की ओर बढ़ता है और पुत्रजीवक इसी संतुलन का प्रतीक है।

पुत्रजीवक के फायदे

पुत्रजीवक केवल एक औषधीय पौधा नहीं, बल्कि प्रकृति की करुणा और ज्ञान का प्रतीक है।प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार के लिए यह पौधा संजीवनी है।

यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में प्रजनन तंत्र को मजबूत करता है।

हार्मोन संतुलन को बनाए रखकर गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है।

पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में वृद्धि करता है।

गर्भाशय की दुर्बलता को दूर कर गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन को दूर करके मासिक धर्म को नियमित करता है।

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

मानसिक शांति प्रदान करता है और गर्भधारण में मदद करता है।

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