Laser Cut Angioplasty: लेजर कट एंजियोप्लास्टी: रायपुर के सीआई में डॉ. स्मित श्रीवास्तव की टीम ने रचा नया इतिहास...
Laser Cut Angioplasty: कैथलैब में हुई लेजर कट एंजियोप्लास्टी का देशभर में LIVE डेमोस्ट्रेशन

Laser Cut Angioplasty
Laser Cut Angioplasty: रायपुर। राजधानी रायपुर स्थित पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजिस्ट एवं उनकी टीम ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर एक नया इतिहास रचा है। निजी अस्पताल में असफल हो चुकी 70 वर्षीय मरीज की एंजियोप्लास्टी लेजर कट यानी एक्साइमर लेजर कोरोनरी एंजियोप्लास्टी तकनीक से की गई। इसका लाइव डेमोंस्ट्रेशन जबलपुर समेत देश के अन्य कार्डियोलॉजिस्ट ने भी देखा। वर्चुअल प्लेटफार्म पर आयोजित हुए इस लाइव कार्यशाला के जरिए एक बार फिर छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई है। कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में आयोजित हुए इस कार्यशाला को सफल बनाने में डॉ. कुणाल ओस्तवाल, डॉ. एस. के. शर्मा, डॉ. प्रतीक गुप्ता, नर्सिंग स्टाफ नीलिमा, वंदना, निर्मला, पूर्णिमा, टेक्नीशियन जितेंद्र, बद्री, प्रेम तथा मेडिकल सोशल वर्कर खोगेंद्र साहू का विशेष योगदान रहा। मरीज का उपचार मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना अंतर्गत हुआ। जबलपुर में कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया का राष्ट्रीय स्तर का कांफ्रेंस आयोजित हुआ है। उनके आग्रह पर हमने इस केस का जीवंत प्रदर्शन कर कार्यशाला को सफल बनाने में अपना योगदान दिया जिसकी देशभर में सराहना हुई। जब कैल्सीफिकेशन एक बड़ा मुद्दा होता है तो लेजर एंजियोप्लास्टी का उपयोग किया जाता है। लेकिन साधारण घाव या कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम के लिए यह आवश्यक नहीं है। धमनी अवरोध के हर मामले के लिए लेजर एंजियोप्लास्टी हमेशा पसंद होती है। सामान्य तौर पर, लेजर एंजियोप्लास्टी को सुरक्षित माना जाता है लेकिन जब हम कैल्सीफिकेशन को हटाने की कोशिश करते हैं तो वाहिकाओं में मामूली चोट लगने की संभावना होती है, जिससे रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है। किसी भी अन्य तकनीक की तुलना में लेजर एंजियोप्लास्टी में ऐसी समस्याएं दुर्लभ हैं।
क्या है लेजर कट एंजियोप्लास्टी
एक्साइमर लेजर कोरोनरी एंजियोप्लास्टी कट एक विशेष प्रकार की एंजियोप्लास्टी है, जिसमें लेजर का उपयोग करके कोरोनरी धमनियों में जमी हुई रुकावटों को हटाया जाता है। यह उन मामलों में प्रयोग की जाती है जहां पारंपरिक बैलून एंजियोप्लास्टी या स्टेंटिंग पर्याप्त नहीं होती। जब बात कोरोनरी आर्टरी की आती है, तब हृदय रोग विशेषज्ञों को कुछ कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ये कठिनाईयां हैं, कैल्सीफाइड प्लाक। ऐसी प्लाक हृदय की पारंपरिक प्रक्रियाओं, जैसे बैलून एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग, के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी होती हैं। इस प्रकार के मामलों में, एक उत्कृष्ट विकल्प है लेज़र एंजियोप्लास्टी या एक्सीमर लेज़र एंजियोप्लास्टी, जहां लेज़र बीम का उपयोग करके ये प्लाक हटाए जाते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो आर्टरी के अंदर कैल्सिफाइड प्लाक पर अत्यधिक सटीकता के साथ एक लेज़र बीम डाली जाती है। यह प्लाक को वाष्पित कर देता है और संकुचित आर्टरी की दीवारों को चौड़ा करने और उचित रक्त परिसंचरण सुनिश्चित करने के लिए एक स्टेंट डालने के लिए आर्टरी को साफ करता है। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए, तो संकुचित कोरोनरी आर्टरी सीने में दर्द से लेकर अनियमित हृदय गति और यहां तक कि कुछ मामलों में थक्का बनने के कारण दिल का दौरा पड़ने जैसी स्थितियों को जन्म दे सकती हैं। जब हालात बहुत गंभीर हो और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी की जरूरत होती है, तो लेजर एंजियोप्लास्टी को सलाह दी जाती है। इसके पहले बैलून एंजियोप्लास्टी के माध्यम से इसे साफ करना होता है और चिकित्सक स्टेंट लगाने का विचार भी कर सकते हैं। यह तकनीक ब्लॉक्ड आर्टरी को संभालने में मदद करती है।
ऐसे काम करती है लेज़र एंजियोप्लास्टी
लेज़र एंजियोप्लास्टी में लेज़र फ़ाइबर से सुसज्जित कैथेटर का उपयोग करना शामिल होता है जो ब्लॉक्ड आर्टरी में फैट को सुचारू करने या हटाने के लिए एक केंद्रित उच्च-ऊर्जा लेज़र बीम (एक्सीमर लेज़र) का उत्सर्जन करता है। सबसे पहले प्लाक को साफ करने के लिए, डॉक्टर एक छोटे से चीरे में कैथेटर डालते हैं, आमतौर पर कलाई या कमर में, जब तक कि टिप घाव (कोरोनरी प्लाक) के सीधे संपर्क में नहीं आती है, जहां एक लेजर ऊर्जा की अत्यधिक केंद्रित किरणों का उत्सर्जन करता है। मणिपाल अस्पताल (व्हाइटफील्ड, बैंगलोर) में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के सलाहकार डॉ. प्रदीप हरनहल्ली बताते हैं कि लेजर ऊर्जा प्लाक को वाष्पित कर देती है। फ्लोरोस्कोपी (एक्स-रे) का उपयोग कैथेटर को रुकावट के सटीक स्थान पर ले जाने के लिए किया जाता है। कैथेटर डालने के बाद कैल्शियम को नरम करने और इसे साफ करने के लिए केंद्रित लेजर ऊर्जा का उपयोग करते हैं। प्लाक हटा दिए जाने के बाद आर्टरी धीरे-धीरे फैलती है और आर्टरी लुमेन (एक खोखला मार्ग जिसके माध्यम से रक्त बहता है) चौड़ा हो जाता है और सामान्य रक्त प्रवाह बहाल हो जाता है। रुकावट दूर होने के बाद यह जांचने के लिए स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करते हैं कि क्या स्टेंट प्रक्रिया की आवश्यकता है।
निजी अस्पताल में एंजिओप्लास्टी फेल
डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि 73 साल के मरीज के राइट कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज था। निजी अस्पताल में मरीज की एंजियोप्लास्टी की कोशिश की गई लेकिन यह प्रक्रिया असफल रह गई। मरीज के आर्टरी में इतना ज्यादा कैल्शियम जमा था कि कैल्शियम की वजह से एंजियोप्लास्टी करने वाला वायर क्रॉस नहीं हो सकता था (बैलून नॉन क्रॉसेबल)। साथ ही राइट कोरोनरी आर्टरी की उत्पति अपने मूल स्थान से न होकर ऊँचाई पर थी। यह इस केस की दूसरी जटिलता थी। इसके बाद यह मरीज अम्बेडकर अस्पताल स्थित एसीआई आया। मरीज की स्थिति को देखते हुए हमने एक्साइमर लेजर कोरोनरी एंजियोप्लास्टी कट पद्धति से कैल्शियम को तोड़कर एंजियोप्लास्टी करने का सुझाव दिया।
ऐसे हुआ ऑपरेशन
डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज के दाहिने हाथ की धमनी के रास्ते दिल की नस तक कैथेटर को ले जाया गया। अत्यधिक वजनी और कठोर तारों से नस की रुकावट को पार किया गया एवं एक्साइमर लेजर का इस्तेमाल करते हुए जमे हुए कैल्शियम को तोड़कर आगे बढ़ा गया। वहां से बैलून के गुजरने का रास्ता बनाया गया। इसके उपरांत कोरोनरी इंट्रा वैस्कुलर अल्ट्रा सोनोग्राफी (आईवीयूएस) जो कि एंजियोग्राफी की अत्याधुनिक प्रक्रिया है, से हृदय के नस के अंदर की सोनोग्राफी कर बचे हुए कैल्शियम को चिन्हाकित कर धारदार चाकूनुमा विशेष कटिंग बैलून का इस्तेमाल करते हुए कैल्शियम को ऐसे काटा गया जैसे कोई मशीन चट्टान काट कर सुरंग बनाती है। कैल्शियम के पूरी तरह टूट जाने के बाद स्टंट जाने का रास्ता बनाया गया और दो स्टंट लगाकर एंजियोप्लास्टी की प्रक्रिया पूरी की गई। इस दौरान देशभर के कार्डियोलॉजिस्ट ने इस प्रक्रिया को लाइव देखा तथा प्रश्न पूछ कर अपनी शंकाओं का समाधान भी किया।