क्या है यह नि-क्षय मित्र, जिससे सिंहदेव इतना हैं प्रभावित, स्वयं भी चाहते हैं बनना
Ni-Kshaya mitr
रायपुर। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने नि-क्षय मित्र बनने की इच्छा जताई है। रायपुर के नए सर्किट हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सिंहदेव ने यह इच्छा जाहिर की। कार्यक्रम के दौरान सिंहदेव ने नि-क्षय मित्रों को सम्मानित भी किया।
सिंहदेव बोले- टीबी के मरीजों की समय पर पहचान और इलाज आवश्यक
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि टीबी के उन्मूलन के लिए जन और समुदाय की भागीदारी जरूरी है। नि-क्षय मित्रों के रूप में स्वास्थ्य विभाग को इसमें अच्छा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि टीबी के मरीजों की समय पर पहचान और इलाज आवश्यक है। इसके पीड़ितों का समय पर उपचार नहीं होने से 50 प्रतिशत मामलों में मृत्यु संभावित है।
सिंहदेव ने स्वास्थ्य विभाग को नि-क्षय मित्र के तौर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने कहा। उन्होंने खुद भी टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में नि-क्षय मित्र के रूप में जुड़ने की इच्छा जताई। स्वास्थ्य मंत्री ने नि-क्षय मित्रों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इनके जुड़ने से प्रदेश से टीबी को खत्म करने के अभियान में तेजी आएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस अभियान में आगे भी व्यक्तिगत और संस्थागत रूप में लोगों का सहयोग लगातार मिलते रहेगा।
इन नि-क्षय मित्रों का मंत्री ने किया सम्मान
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में नि-क्षय मित्र के रूप में टीबी के इलाजरत मरीजों के पोषण आहार की जिम्मेदारी उठा रहे नौ गैर-सरकारी व स्वयं सेवी संस्थाओं, नौ सार्वजनिक उपक्रमों और औद्योगिक कंपनियों, चार जनप्रतिनिधियों, निजी क्षेत्र के 11 अस्पतालों व डॉक्टरों, स्वास्थ्य विभाग के चार अधिकारियों तथा 14 व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।
2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य
स्वास्थ्य विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए विभाग 2019 से विशेष अभियान चला रहा है। वर्ष 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस बीमारी को लेकर पूर्व में कई भ्रांतियां थी जो अब काफी हद तक दूर हो गई हैं। दवा से इसका पूर्ण इलाज संभव है। स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक जयप्रकाश मौर्य ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में टीबी की जांच और उपचार के लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं। टीबी से पूर्णतः स्वस्थ होने के लिए मरीजों को इसकी दवा की पूरी खुराक लेना जरूरी है। उन्होंने नि-क्षय मित्रों से टीबी पीड़ितों के आहार के साथ ही उनके दवा सेवन और काउंसिलिंग पर भी ध्यान देने का आग्रह किया।
टीबी को हराने के लिए मरीजों का सुपोषण महत्वपूर्ण
महामारी नियंत्रण के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने कार्यक्रम में कहा कि टीबी को हराने के लिए मरीजों का सुपोषण काफी महत्वपूर्ण है। पौष्टिक आहार से शरीर की इम्युनिटी मजबूत रहती है। इसमें नि-क्षय मित्रों से अच्छा सहयोग मिल रहा है। समुदाय आधारित कार्यक्रमों और जन भागीदारी से राज्य में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में तेजी आई है। राज्य क्षय अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र गहवई ने कार्यक्रम में प्रदेश से टीबी को खत्म करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।
जानिए क्या है नि-क्षय
देश को टीबी मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान को नि-क्षय नाम दिया गया है। NI-KSHAY यानी (Ni=End, Kshay=TB) राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम।