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Jaundice Myths and Facts: घर में है पीलिया का पेशेंट तो न पड़ें इन मिथकों के फेर में, यहां जानिए एक्सपर्ट द्वारा बताए गए फैक्ट्स...

Jaundice Myths and Facts: हमारे शरीर की रक्त कोशिकाओं में बिलीरुबिन नाम का पीला पदार्थ भी पाया जाता है। रक्त कोशिकाओं मे पाए जाने वाले बिलीरुबिन की मृत कोशिकाओं को लिवर फिल्टर कर शरीर से बाहर करने आगे बढ़ा देता है। जब लिवर अपने इस काम को ठीक से नहीं करता तो शरीर में बिलीरुबीन बढ़ने लगता है और उसके साथ ही पीलापन भी बाहरी तौर पर झलकने लगता है।

Jaundice Myths and Facts: घर में है पीलिया का पेशेंट तो न पड़ें इन मिथकों के फेर में, यहां जानिए एक्सपर्ट द्वारा बताए गए फैक्ट्स...
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By Divya Singh

Jaundice Myths and Facts: गर्मी अपने चरम पर है और आगे बारिश भी दस्तक देने ही वाली है। इस मौसम में जिन बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा रहता है उनमें जाॅन्डिस यानी पीलिया भी एक है। पीलिया लिवर से जुड़ी बीमारी है। इस बीमारी से लिवर को नुकसान पहुंचता है। पीलिया होने पर बुखार बना रहता है। पेट दर्द, उल्टी, कमजोरी जैसी समस्याएं होती है। आँखें, नाखून और त्वचा पर से हल्दी की तरह पीला रंग झलकना स्पष्ट रूप से बताता है कि पीलिया हो गया है। पीलिया के पेशेंट को वापस से नाॅर्मल होने में थोड़ा समय लगता है और इसके पीछे कुछ मिथक भी ज़िम्मेदार होते हैं जिनके अनुरूप परिजन मरीज का खानपान निर्धारित करते हैं जैसे कि उबला-बेस्वाद खाना देना आदि। इस आर्टिकल में हम इन्हीं मिथकों के बारे में बात करेंगे और एक्सपर्ट डाॅक्टर कुलदीप सोलंकी द्वारा बताए गए फैक्ट्स भी आप तक पहुंचाएंगे। पहले जान लेते हैं कि पीलिया होता क्यों हैं।

क्यों होता है पीलिया

हमारे शरीर की रक्त कोशिकाओं में बिलीरुबिन नाम का पीला पदार्थ भी पाया जाता है। रक्त कोशिकाओं मे पाए जाने वाले बिलीरुबिन की मृत कोशिकाओं को लिवर फिल्टर कर शरीर से बाहर करने आगे बढ़ा देता है। जब लिवर अपने इस काम को ठीक से नहीं करता तो शरीर में बिलीरुबीन बढ़ने लगता है और उसके साथ ही पीलापन भी बाहरी तौर पर झलकने लगता है। पीलिया होने पर मरीज को बुखार बना रहता है। उसकी आँखें, त्वचा और नाखून पीले नजर आने लगते हैं। उसका वजन घटने लगता है। उसे गाढ़ा और पीला पेशाब होने लगता है। लगातार थकान महसूस होती है। भूख नहीं लगती और पेट में दर्द बना रहता है। मितली लगती है। उल्टियां भी शुरू हो जाती हैं।

ये हैं पीलिया से जुड़े मिथ्स और फैक्ट्स

1. मरीज को उबला-बेस्वाद खाना देना

आमधारणा है कि पीलिया के पेशेंट्स को उबला हुआ, कम से कम तेल और मसाले वाला खाना देना चाहिए। विशेषज्ञ डाॅक्टर कुलदीप सोलंकी बताते हैं कि यह एक मिथ है। जबकि फैक्ट इससे उलट है। सच यह है कि पीलिया के मरीज को उचित मात्रा में तेल-मसाले वाला सुस्वादु भोजन देना चाहिए जिसे मरीज शौक से खाए। ऐसा होने पर मरीज की सामान्य जीवन में वापसी जल्दी होगी।

2. मरीज को गन्ने का रस देना

एक धारणा यह है कि पीलिया का मरीज गन्ने का रस पिलाने पर जल्दी रिकवर करेगा। डाॅक्टर सोलंकी के अनुसार पेशेंट को ताज़े फल खाने को देना या घर में बना किसी भी फल का जूस पिलाना बेहतर है बजाय गन्ना रस के। दरअसल गन्ना रस निकालने की प्रक्रिया में हाइजीन का ध्यान नहीं रखा जाता। इसलिए बजाय पेशेंट को फायदा पहुंचाने के, यह नुकसान पहुंचा सकता है।

3. ग्लूकोज़ वाला पानी पिलाना

आमधारणा है कि मरीज को ग्लूकोज़ घोल कर पानी पिलाने से उसकी कमज़ोरी दूर होती है और ताकत जल्दी लौटती है। डाॅक्टर सोलंकी के अनुसार यह सोच उचित नहीं है। फैक्ट यह है कि ग्लूकोज़ पिलाने से मरीज की भूख कम हो जाती है। पेट में गैस भी बनने लगती है और पेट में फूलापन महसूस होता है इससे खाना खाने की इच्छा ही नहीं बचती। पेशेंट जल्दी वापसी करे इसके लिए पौष्टिक भोजन कराने पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

4. हल्दी से परहेज करना

यह भी एक सोच है कि चूंकि पहले ही आंखों, स्किन आदि में पीलापन नज़र आ रहा है इसलिए मरीज के भोजन में हल्दी डालने से परहेज करना चाहिए। डाॅक्टर सोलंकी के अनुसार हल्दी से परहेज करना सही नहीं है। सच तो यह है कि हल्दी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है और मरीज को जल्द स्वस्थ अवस्था में वापस आने में मदद करती है।

5. मांसाहारी भोजन लौटाएगा ताकत

कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि मरीज के शरीर में घर कर चुकी कमज़ोरी जल्दी दूर हो, इसके लिए नाॅनवेज खिलाना उचित होगा। डाॅक्टर सोलंकी के अनुसार पीलिया के पेशेंट को नाॅनवेज देना उचित नहीं है। इसका कारण यह है कि नाॅनवेज खाने से मरीज के शरीर में अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है। और चूंकि मरीज का लिवर पहले ही कमज़ोर है तो मांसाहार से मिला अमोनिया यूरिया में तब्दील नहीं हो पाता है। इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि ब्रेन में अमोनिया बढ़ने से मरीज की बेहोशी का स्तर बढ़ता जाता है। इसलिए बजाय फायदा होने के, मरीज की हालत और बिगड़ती है और उसके स्वस्थ होने में और अधिक समय लगता है। जो मरीज के लिए बिल्कुल अनुचित है। इसलिए मरीज को सिर्फ शाकाहारी भोजन देने पर फोकस करना चाहिए।

डिस्क्लेमर : खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने डाॅक्टर की राय अवश्य ले लें। हमारा मकसद आप तक जानकारी पहुंचाना भर है।

Divya Singh

दिव्या सिंह। समाजशास्त्र में एमफिल करने के बाद दैनिक भास्कर पत्रकारिता अकादमी, भोपाल से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। दैनिक भास्कर एवं जनसत्ता के साथ विभिन्न प्रकाशन संस्थानों में कार्य का अनुभव। देश के कई समाचार पत्रों में स्वतंत्र लेखन। कहानी और कविताएं लिखने का शौक है। विगत डेढ़ साल से NPG न्यूज में कार्यरत।

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