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Isabgol Benefits: ये देसी भूसी अंग्रेज़ी दवाइयों को छोड़ देती है पीछे,कब्ज़ का तो है काल, मल त्याग बना देगी एकदम आसान...

Isabgol Benefits: आपको बताएं कि एक पौधे के दानों के छिलकों से बनी यह भूसी केवल कब्ज और बवासीर ही नहीं, कोलेस्ट्रॉल,डायबिटीज़ जैसी समस्याओं को भी कंट्रोल करती है। अपने वजन कम करने के लक्ष्य को पाने के लिए भी आप इसपर आंख मूंदकर भरोसा कर सकते हैं। यह महंगी भी नहीं है और सामान्यतया साइड इफेक्ट्स रहित भी है। तो चलिए आज इसबगोल के फायदों पर बात करते हैं।

Isabgol Benefits: ये देसी भूसी अंग्रेज़ी दवाइयों को छोड़ देती है पीछे,कब्ज़ का तो है काल, मल त्याग बना देगी एकदम आसान...
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By Divya Singh

Isabgol Benefits: आज मार्केट में तमाम तरह की लेक्सेटिव दवाएं मौजूद हैं जो मल त्याग को आसान बनाती हैं लेकिन भारत ने लंबे समय से जिस घरेलू औषधि पर भरोसा किया है वो है इसबगोल की भूसी। जिसका नाम पुरानी पीढ़ी के लोगों की ज़ुबान पर तब फट से आता है जब कोई अपना कब्ज़ से परेशान हो जाता है। आपको बताएं कि एक पौधे के दानों के छिलकों से बनी यह भूसी केवल कब्ज और बवासीर ही नहीं, कोलेस्ट्रॉल,डायबिटीज़ जैसी समस्याओं को भी कंट्रोल करती है। अपने वजन कम करने के लक्ष्य को पाने के लिए भी आप इसपर आंख मूंदकर भरोसा कर सकते हैं। यह महंगी भी नहीं है और सामान्यतया साइड इफेक्ट्स रहित भी है। तो चलिए आज इसबगोल के फायदों पर बात करते हैं।

पहले जान लीजिए इसबगोल है क्या?

इसबगोल एक झाड़ीनुमा पौधा है जिसके गेहूं जैसे दाने होते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम प्लांटागो ओवाटा है और इसे सीलियम हैक्स के नाम से भी जाना जाता है। तो इसी पौधे की बालियों के छिलके से इसबगोल की भूसी तैयार की जाती है। इसमें पानी को सोख कर जैलनुमा बनने की गज़ब की क्षमता होती है। तो आप सोचेंगे कि यह कब्ज़ को कम कैसे करेगी? यह तो मल को और टाइट कर देगी। पर नहीं, यह पानी को बनाए भी रखती है। दरअसल इसबगोल में घुलनशील और अघुलनशील दोनों ही प्रकार के फाइबर होते हैं। इसी वजह से इसबगोल को कब्ज जैसी पेट संबंधी परेशानी के लिए फायदेमंद माना जाता है।

सेवन की मात्रा और तरीका

इसबगोल की एक दिन में 5-10 ग्राम (यानि 1 से अधिकतम 2 चम्मच) मात्रा का सेवन किया जा सकता है। व्यक्ति विशेष की उम्र और स्वास्थ्य संबंधी स्थिति के आधार पर इसकी मात्रा अलग हो सकती है। इसलिये इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें। एक और महत्वपूर्ण बात यह कि अगर आप इसबगोल लेने की शुरुआत कर रहे हों तो एक चौथाई चम्मच से ही शुरुआत करें। चूंकि इसमें फाइबर ही फाइबर है इसलिए शुरू-शुरू में इसे पचाना कठिन हो सकता है। बाद में आप इसे आधा से एक चम्मच तक बढ़ाएं। आप इसबगोल को गुनगुने पानी या दूध के साथ ले सकते हैं। खाना खाते समय इसे दही या दाल में मिला कर भी ले सकते हैं।

इसबगोल के फायदे

कब्ज़ का काल है इसबगोल

पुरातन काल से इसबगोल का इस्तेमाल कब्ज़ से राहत पाने के लिए किया जाता रहा है। अव्वल तो कब्ज़ की मुख्य वजह खानपान में फाइबर की कमी होना है। इसबगोल पूरा का पूरा फाइबर ही है। तो सोचिए,अगर आप इसे सही तरीके से खाना और पचाना सीख लें तो कब्ज़ से मुक्ति मिलनी ही है। दूसरी बात, इसबगोल में लेक्सेटिव गुण होता है इसलिए यह मल निकासी को आसान कर देता है। अगर आपको भी कब्ज की समस्या से राहत चाहिए तो रात को खाना खाने के बाद एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण और एक चम्मच ईसबगोल भूसी मिलाकर सेवन करें।

बवासीर से राहत

बवासीर नामक दर्दनाक बीमारी पुरानी कब्ज के परिणाम स्वरुप भी होती है। यानि आप कब्ज़ को हल्के में लेंगे और इसके इलाज को टालेंगे तो आगे चलकर आप बवासीर के शिकार हो सकते हैं। इसबगोल कब्ज से तो राहत दिलाता ही है यह बवासीर की स्थिति में पीड़ित को मल त्याग के दौरान होने वाली असहनीय पीड़ा और खून आने की परेशानी को भी नियंत्रित करता है। एनसीबीआई की रिसर्च के मुताबिक, इसबगोल भूसी का सेवन करने से इसमें मौजूद फाइबर बवासीर के दौरान होने वाले रक्तस्राव को कम कर सकता है।

दस्त को भी रोके इसबगोल

इसबगोल डायरिया की स्थिति को संभालने में भी कारगर है। अगर आपको दस्त लग रहे हैं तो आप इसबगोल का दही में मिलाकर सेवन करें। यह काफी फायदेमंद नुस्खा है। ध्यान रखें,इसबगोल और दही को खाने के कुछ देर बाद एक गिलास पानी पिएं।

वेट लाॅस में मददगार

यह पाचन को ठीक करता है और इससे फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। इसलिए मोटापा कम करने के लिए उपचार के रूप में इसबगोल का प्रयोग किया जा सकता है। यह आपकी फूड क्रेविंग को घटाता है और दो मील के बीच के अंतराल को बढ़ाता है। साथ ही मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है। अतिरिक्त आहार न लेने से शरीर पहले से जमा चर्बी का इस्तेमाल करता है और आपको अपना फैट और वेट घटाने में मदद मिलती है।

मूत्र रोग से आराम

इसबगोल मूत्र त्याग के दौरान होने वाली जलन को भी ठीक करता है। चार चम्मच इसबगोल भूसी को 1 गिलास पानी में भिगो दें और थोड़ी देर बाद उसमें स्वादानुसार मिश्री डालकर पीने से पेशाब की जलन शांत होती है और पेशाब भी खुल करआने लगती है।

बैड कोलेस्ट्राॅल को घटाता है

इसबगोल फैट को बांध कर रखता है और धीरे-धीरे छोड़ता है। यही नहीं यह बैड कोलेस्ट्राॅल को घटाता है और नसों के अंदर प्लाक बनने की समस्या को काफी हद तक कम करता है। जिससे नसें ब्लाॅक नहीं होतीं और दिल की सेहत भी दुरुस्त रहती है।

शुगर लेवल घटाने में मददगार

इसबगोल की भूसी, भोजन के साथ पेट में पहुंची शुगर को बाइंड कर के रखती है और धीरे-धीरे छोड़ती है। इसलिये अचानक से शुगर स्पाइक नहीं होता। इसके सेवन से इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होने लगता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ जाती है इससे शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है।

प्रीबायोटिक की तरह करता है काम

इसबगोल हमारे पेट में जाकर प्री बायोटिक की तरह काम करता है और अच्छे बैक्टीरिया को उनका भोजन उपलब्ध कराता है जिससे वे पोषित होते हैं और हमारा पाचन बढ़िया रहता है। यह पेट में बनने वाले एसिड को भी कम करता है। साथ ही इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी आंत की बीमारियों से भी बचाता है।

लिवर के लिये फायदेमंद

इसबगोल लिवर की सफाई करता है और फैटी लिवर की समस्या को भी दूर कर सकता है।

Divya Singh

दिव्या सिंह। समाजशास्त्र में एमफिल करने के बाद दैनिक भास्कर पत्रकारिता अकादमी, भोपाल से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। दैनिक भास्कर एवं जनसत्ता के साथ विभिन्न प्रकाशन संस्थानों में कार्य का अनुभव। देश के कई समाचार पत्रों में स्वतंत्र लेखन। कहानी और कविताएं लिखने का शौक है। विगत डेढ़ साल से NPG न्यूज में कार्यरत।

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