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International Anti-Drug Day 2024 Tomorrow : ओ, पता नहीं जी कौन सा नशा करता है

हर साल 26 जून को दुनियाभर में एक साथ अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को नशा और इससे होने वाले कुप्रभाव के प्रति जागरूक करना है।

International Anti-Drug Day 2024 Tomorrow :  ओ, पता नहीं जी कौन सा नशा करता है
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By Meenu

International Anti-Drug Day 2024 is tomorrow : पिछले कुछ सालों में भारत के साथ ही पूरे विश्व में नशा करने वाले और उससे पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इनके गंभीर परिणामों को देखते हुए नशे से होने वाले नुकसानों के प्रति जागरुक करने के लिए कई संस्थाएं भी समाज में कार्यरत हैं.

इसी के चलते हर साल 26 जून को दुनियाभर में एक साथ अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को नशा और इससे होने वाले कुप्रभाव के प्रति जागरूक करना है।

इस साल, अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस 2024 की थीम है “The evidence is clear: invest in prevention” (साक्ष्य स्पष्ट है: रोकथाम में निवेश करें)। इस सुंदर थीम के साथ यह दिन मनाया जाएगा।

भारत में बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लोगों को इसने अपना शिकार बनाया हुआ है. लोग अलग - अलग प्रकार के नशे करते हैं. आज की रिपोर्ट में जानेंगे की भारत में कौन कौन सा नशा करते हैं



स्मैक-

स्मैक अपने आप में कोई नैचुरल प्रोडक्ट नहीं है, इसे मशीन से तैयार किया जाता है. यह अफीम से तैयार की जाती है. अफीम से कई तरह के नशीले पदार्थ तैयार किए जाते हैं, जिसमें स्मैक भी शामिल है. स्मैक बनाने के लिए अफीम में दूसरे पदार्थों को भी शामिल किया जाता है, फिर अफीम बनती है.

चरस-

अगर चरस की बात करें तो एक कैनेबिस नाम का पौधा होता है और इस पौधे से रेजिन निकलता है. रेजिन भी इस पौधे का हिस्सा है, रेजिन पेड़-पौधों से निकलने वाला एक चिपचिपा मेटेरियल है. इसे ही चरस, हशीश और हैश कहा जाता है. इससे ही चरस बनती है.

अफीम-

अब बता करते हैं कि आखिर अफीम क्या होता है. अफीम तो उगाकर हासिल तिया जाता है और इसमें जो मार्फिन मिलती है, इससे अलग अलग नशे बनते हैं. अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, ‘फल’ में एक चीरा लगाया जाता है, फिर इसे सुखाया जाता है, जिससे अफीम प्राप्त होता है.

हेरोइन-

अगर हेरोइन की बात करें तो ये भी अफीम से बनता है और इसे मानव द्वारा ही तैयार किया जाता है. हेरोइन में मार्फिन भी होता है, जो मेडिकल क्षेत्र में पेनकिलर दवा के रूप में काम में लिया जाता है. अफीम और एसिटिक मिलाकर हेरोइन को तैयार किया जाता है. इसे डाई एसिटिल भी कहा जाता है.

गांजा-

गांजा भी पौधे पर उगता है. गांजा कैनेबिस पौधे के फूल से तैयार किया जाता है और फिर इसे सुखाकर और जलाकर धुएं के रूप में लिया जाता है. वैसे इससे ही भांग बनती है.

भांग-

अब बात करते हैं आखिर भांग क्या होती है. इस पौधे में दो नर या मादा का प्रकार होता है. इसमें नर प्रजाति से तो भांग बनती है और मादा प्रजाति से गांजा बनता है. वैसे भांग, जिस पौधे की पत्तियां होती हैं और बीजों को पीसकर बनाया जाता है. ऐसे में सीधे शब्दों में कहें तो गांजा फूल से और भांग पत्तियों से बनता है.

ब्राउन शुगर-

ब्राउन शुगर भी अफीम से बनती है. ये भी पाउडर फॉर्म में होता है और इसमें 20 फीसदी हेरोइन होती है. इसे भी अलग तरीके से बनाया ही जाता है.


भारत में लोग करते हैं ये नशे

भारत में वैसे तो शराब, सिगरेट, तंबाकू का सेवन आजकल बहुत आम हो गया है, लेकिन इसके अलावा भी लोग अलग अलग तरह के नशे करते हैं, जिनमे शराब, अफीम, चरस, गांजा (भांग), हेरोइन व कोकेन जैसे घातक नशीले पदार्थ शामिल हैं. कुछ लोग तो दवाइयों का इस्तेमाल भी नशे के रूप में करते हैं. लोग खांसी के सिरप (Cough Syrup) और कुछ निद्रकारक गोलियों का इस्तेमाल नशे के रूप में करते हैं. इसके अलावा भी लोगो ने नशा करने के अलग अलग तरीके खोज रखे हैं जैसे कोई पेट्रोल सूंघकर नशा करता है, कोई थिनर सूंघ कर तो कोई सिलोचन से नशा करता है.


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