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Hypothermia : ठंड लगने पर शरीर का तापमान तेजी से नीचे तो नहीं गिर रहा!! सर्दी के मौसम में है हाइपोथर्मिया का खतरा, ऐसे करें बचाव

Hypothermia : ठंड लगने पर शरीर का तापमान तेजी से नीचे तो नहीं गिर रहा!! सर्दी के मौसम में है हाइपोथर्मिया का खतरा, ऐसे करें बचाव
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By NPG News

सर्दी के मौसम में कई लोग शरीर के तापमान में तेजी से गिरावट आने के कारण हाइपोथर्मिया का शिकार हो जाते हैं। खासकर छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए इसका खतरा ज़्यादा होता है। हमारे शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। जब ठंड के कारण शरीर अपनी गर्मी ज्यादा तेजी से खोने लगता है तो शरीर का तापमान नीचे गिरने लगता है। यदि यह 35 डिग्री या इससे कम हो जाता है तो इस स्थिति को 'हाइपोथर्मिया' कहते हैं। हाइपोथर्मिया का सबसे ज्यादा असर हार्ट और तंत्रिका तंत्र पर होता है। इससे कार्डियक अरेस्ट और मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा भी हो सकता है। इस लेख में हम इस समस्या के लक्षणों और बचाव के तरीकों को जानेंगे।

क्या है हाइपोथर्मिया

डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल, नई दिल्ली के मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. अजय चौहान के मुताबिक हाइपोथर्मिया एक ऐसी कंडीशन होती है, जिसमें लोगों के शरीर का हीट कंज़र्वेशन मैकेनिज्म काम करना बंद कर देता है और शरीर का तापमान तेजी से गिरता है।ऐसी परिस्थिति में सही समय पर इलाज न मिलने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। शरीर का सामान्य तापमान लगभग 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। ठंडे मौसम में ठंड से बचने के सही उपाय न करने या ठंडे पानी से भीगने पर अगर शरीर का तापमान गिरकर 95 डिग्री फारेनहाइट या 35 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है, तब हाइपोथर्मिया का खतरा पैदा हो जाता है। हाइपोथर्मिया का सबसे ज्यादा असर हार्ट और तंत्रिका तंत्र पर होता है। इससे कार्डियक अरेस्ट और मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा होता है। और जान भी जा सकती है।

हाइपोथर्मिया के लक्षण

हाइपोथर्मिया की शुरूआत में थकान, उलझन (कंफ्यूजन), शरीर में कंपकंपी, उंगलियों में लालिमा और सूजन, सांस चढ़ना, बोलने में परेशानी होनी व आवाज स्पष्ट न निकलना और त्वचा ठंडी व फीकी पड़ना जैसे लक्षण दिखते हैं। परेशानी बढ़ने पर रुक-रुककर कंपकंपी होना, शरीर ठंडा पड़ना, मांसपेशियों में अकड़न, नब्ज़ धीमी होना, सांस फूलना और सांस लेने में कठिनाई होना, शरीर में कमजोरी और नींद ज्यादा आना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

इन कारणों से भी हो सकता है हाइपोथर्मिया

शराब व नशीले पदार्थों के सेवन, कुछ दवाओं के इस्तेमाल, हाइपोथायरायडिज्म, डायबिटिज, डिहाईड्रेशन, गठिया, पार्किंसंस जैसी बीमारियों के कारण भी हाइपोथर्मिया हो सकता है। हाइपोथर्मिया के लक्षण दिखने पर संबंधित व्यक्ति को तुरंत निदानात्मक उपाय करने चाहिए। कई बार लंबे समय तक हाइपोथर्मिया रहने से गैंग्रीन या ऊतक नष्ट होना, ट्रेंच फुट, फ्रॉस्टबाइट और तंत्रिकाओं व रक्त वाहिकाओं की क्षति जैसे नुकसान होते हैं।

शरीर को हाइपोथर्मिया से कैसे बचाएं

-छोटे बच्चों और बुजुर्ग लोगों को ज्यादा देर तक घर के बाहर न रहने दें।

-शरीर को ठंडा होने से बचाएं और गर्म रखें।

-पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें और ठंड में रहने से बचें। टोपी, स्कार्फ, मोजे जरूर पहनें।

-खाना गरम खाएं और पानी भी गरम पिएं।

-गीले कपड़े बिल्कुल भी न पहनें।

-गर्म पेय पदार्थ जैसे-सूप, चाय, गर्म पानी ज्यादा लें।

-ठंड ज्यादा लगने पर तुरंत शरीर को गर्म करें। हल्का हाइपोथर्मिया होने पर गर्म कंबल, हीटर, गर्म पानी के बैग का इस्तेमाल शरीर को गर्म करने के लिए करें।

-अधिक पसीना बहाने वाली गतिविधि से बचें।

-शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) को मजबूत करने के लिए गुड़, शहद, अदरक, हल्दी, तुलसी, केसर आदि का नियमित उपयोग करें।

-एक मोटे जैकेट के बजाए दो या अधिक पतले स्वेटर की लेयरिंग करें। ऐसा करने से हवा कपड़ों के बीच रहकर ऊष्मारोधी काम करती है और शरीर की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती तथा हमें ज्यादा गर्म रखती है। कंबल, रज़ाई से ढंक कर बैंठे।

-जाड़ों में कई बार प्यास नहीं लगती लेकिन शरीर में पानी की कमी रहती है। इसलिए नियमित तौर पर गुनगुना या गर्म पानी पीते रहें।

पीड़ित का ध्यान ऐसे रखें

1. पीड़ित व्यक्ति के शरीर के गीले कपडे व मोज़े को निकाल दे और गर्मी देने के लिए एक ऊनी कंबल से पूरे शरीर को अच्छे से ढंक दे, लेकिन मुंह को खुला रखे। व्यक्ति को बिलकुल भी हवा न लगने दे इस बात का ध्यान रखना जरुरी है।

2. यदि किसी व्यक्ति को गंभीर रूप से हाइपोथर्मिया हुआ है तो चिकिस्ता उपचार के लिए नमकीन तरल पदार्थ इंजेक्शन के माध्यम से नसों तक पहुंचाया जाता है।

3. यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक गंभीर अवस्था में है और बेहोश हो रहा है तो ऐसे में तुरंत एम्बुलेंस को कॉल कर बुलाना चाहिए ताकि मरीज को आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में भर्ती करवाया जा सके।

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