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Heart Attack First Aid: हार्ट अटैक आए तो पेशेंट की जान बचाने के लिए झटपट करें ये प्राथमिक उपचार...

Heart Attack First Aid: हार्ट अटैक आए तो पेशेंट की जान बचाने के लिए झटपट करें ये प्राथमिक उपचार...
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By NPG News

Heart Attack First Aid: बीते कुछ समय से हार्ट अटैक से मौत होने के मामले बहुत बढ़ गए हैं। डाॅक्टरों के मुताबिक हार्ट अटैक आने पर एकदम से मौत नहीं होती है। कंडीशन अगर बिगड़ रही है और तत्काल पेशेंट को हाॅस्पिटल ले जाने की व्यवस्था हो जाए तो जान बच सकती है। यदि साधन नहीं है और एंबुलेंस या हेल्प आने में कुछ समय है तो पेशेंट को प्राथमिक चिकित्सा देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। इस लेख में आप पढ़ें कि हार्ट अटैक आने की स्थिति में आप किन तरीकों से पेशेंट की जान बचाने की कोशिश कर सकते हैं।

हार्ट अटैक के लक्षण

छाती में दर्द या दबाव महसूस होना हार्ट अटैक का सबसे सामान्य लक्षण है। कभी- कभी यह दर्द पेट के ऊपर की तरफ भी महसूस होता है और कभी बाएं हाथ, कंधे या जबड़े की तरफ जाता है। महिलाओं के सीने में और स्तन में दर्द होना, शरीर के ऊपरी भाग गर्दन, पीठ, दांत, बांहें और कंधे में तेज़ दर्द होना प्रायः देखा जाता है। हार्ट अटैक की स्थिति में चक्कर आ सकते हैं, बेचैनी महसूस होती है,सिर घूमता है और कभी-कभी जी मिचलाता है या उल्टी होती है।

० सबसे पहले यह करें

आमतौर पर लोग सिरदर्द के लिए घर में Disprin नाम की टेबलेट रखते हैं। यदि आपके घर में भी डिस्प्रिन है तो ऐसे समय में बहुत काम आएगी। ये दवा ब्लड की क्लाॅटिंग को रोकने के भी काम आती है। Ecosprin या Aspirin भी इसी तरह की दवाएं हैं। सीने में दर्द या दबाव की स्थिति में फौरन ये दवा पेशेंट को देनी चाहिए। इससे मृत्यु दर 15 प्रतिशत कम हो सकती है।

० आप ऐसे समय में पेशेंट को 'सीपीआर' देकर हाॅस्पिटल पहुंचने से पहले के क्रिटिकल समय में उनकी जान बचा सकते हैं।

० सीपीआर ऐसे देते हैं

सीपीआर का मतलब कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन है। यह एक जीवन रक्षक तकनीक है, जो हार्ट अटैक जैसी आपात स्थिति में कारगर है। इसके जरिए रोगी के शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का संचार किया जा सकता है जो मूलतः हार्ट का काम है और जो इस समय वह नहीं कर पा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार सीपीआर देने की एक विशेष तकनीक है जो इस प्रकार है-

सबसे पहले पेशेंट को पीठ के बल लिटा लेना है। अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीचों बीच रखें।इसके लिए दोनों हाथों को इस प्रकार से जोड़ें कि एक हथेली का निचला हिस्सा छाती पर आए। ऊपरी हथेली की उंगलियों को नीचे वाली हाथ की उंगलियों से गूंथ लें। फिर हथेली को छाती के केंद्र के निचले आधे हिस्से पर रखकर दबाएं। प्रति मिनट आपको ऐसा करीब 100 से 120 बार करना होगा। ऐसा करके पूरे शरीर में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। सही तरीके से यदि सीपीआर दिया जा सके तो मरीज की जान बच सकती है।

० एक अन्य तरीके ये आप पेशेंट को मुंह से मुंह में सांस भी दे सकते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान आपको पेशेंट की नाक को उंगलियों से दबाकर रखना है और अपने मुंह से कृत्रिम सांस देनी है। आपको गहरी सांस खींचकर पेशेंट के मुंह के माध्यम से शरीर के भीतर पहुंचानी हैं। ऐसा करने से आपकी सांसें तुरंत पेशेंट के फेफड़ों तक जाएंगी। और आपको जान बचाने के लिए कुछ समय मिल जाएगा।

० एक घरेलू तरीका यह भी है कि यदि आप सीपीआर और मुंह से मुंह में सांस देकर स्थिति को संभालने में खुद को अक्षम पा रहे हैं तो आप पेशेंट को जमीन पर बिठा लें। घुटने मोड़कर सीने से लगाने और घुटनों को हाथों के घेरे में बांधने को कहें। अब एक से डेढ़ इंच अदरख का टुकड़ा पेशेंट को चबाने को दें। इसे इतनी देर तक चबाना है कि आंखों से आंसू आने लगें। 2-5 मिनट में ऐसा होगा। इससे क्लाॅटिंग खुल सकती है और आपको हाॅस्पिटल पहुंचने का समय मिल सकता है।

ये सभी विधियाँ प्राथमिक चिकित्सा हैं। जैसे ही एंबुलेंस आए आप तल्काल पेशेंट को हाॅस्पिटल ले जाएं। जहां उन्हें विशेषज्ञों की निगरानी में सही इलाज मिल सके।

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