Health Problems Due To Vitamin D Deficiency: विटामिन डी की कमी सिर्फ हड्डियों को नहीं बनाएगी चूरा, दिमाग को भी करेगी बीमार और आपको समय से पहले बूढ़ा...
Health Problems Due To Vitamin D Deficiency: विटामिन डी की कमी सिर्फ हड्डियों को नहीं बनाएगी चूरा, दिमाग को भी करेगी बीमार और आपको समय से पहले बूढ़ा...
Health Problems Due To Vitamin D Deficiency: सूरज की किरणों से मुफ्त में मिलने विटामिन डी का फायदा भी हम भारतीय नहीं उठा पाते और आलम यह है कि 70 से 90 प्रतिशत भारतियों में विटामिन डी की कमी है। भले ही शुरुआती तौर पर हम इसके लक्षण नहीं पहचान पाते। लेकिन जब हम इसकी डिफिशियेंसी(भारी कमी) के शिकार हो जाते हैं तो न केवल बड़ी आसानी से फ्रेक्चर का खतरा पैदा हो जाता है, बल्कि हमारे चेहरे पर समय से पहले बुढ़ापा झलकने लगता है, झुर्रियां आने लगती हैं, डायबिटीज़,मूड स्विंग, डिमेंशिया से लेकर पार्किन्सन्स और कैंसर तक की नौबत विटामिन डी की कमी से आती है। यह लेख आपको बताएगा कि विटामिन डी की वैल्यू न समझने से आप किन समस्याओं में फंस सकते हैं और आप क्या करें जिससे विटामिन डी की डिफिशियेंसी दूर की जा सके...।
विटामिन डी है एक हार्मोन
विटामिन डी वसा यानि फैट में घुलनशील एक विटामिन है जो त्वचा में तब बनता है जब त्वचा सूर्य की UVB किरणों के संपर्क में आती है। अन्य विटामिनों के विपरीत, विटामिन डी एक प्रोहोर्मोन है और हर कोशिका को इसकी जरूरत है फिर चाहे बात शरीर की हो या दिमाग की।
विटामिन डी की डिफिशियेंसी कब मानी जाएगी
सरल मापक की बात करें तो विटामिन डी को नेनो ग्राम पर मिलीलीटर में मापा जाता है। अगर आपकी बाॅडी में विटामिन डी की मात्रा 30 से 100 नैनोग्राम पर एम एल तक है तो तो इसका आशय है कि आपको विटामिन डी की कमी नहीं है। अगर यह 30 नैनोग्राम पर एम एल से कम है तो आपके शरीर में विटामिन डी की थोड़ी कमी है लेकिन अगर यह 20 नैनोग्राम पर एम एल से कम है यानी आप डिफिशिएंसी के लेवल पर हैं। यानि आपको विटामिन डी की भारी कमी है और आप खतरे में है। आपको कौन सी समस्याएं हो सकती हैं आइए जानते हैं।
आसानी से फ्रेक्चर का खतरा
विटामिन डी हड्डियों में कैल्शियम के अवशोषण में मददगार है। अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाए तो यह अपनी सामान्य गतिविधियों को पूरा करने के लिए हड्डियों से विटामिन डी लेने लगता है इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हालत यह हो जाती है कि जरा सा गिरने पर हड्डियां टूट सकती हैं। यह स्थिति मेनोपॉजल महिलाओं और बुजुर्ग लोगों में बहुत आम है।
वजन बढ़ने लगता है
विटामिन डी की कमी से वजन बढ़ने की समस्या भी होती है। दरअसल विटामिन डी की कमी से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और शरीर कैलोरी को ऊर्जा में बदलने में धीमा हो जाता है। एक्स्ट्रा कैलोरी फैट में तब्दील होती है। यही कारण है कि आपका वजन बढ़ने लगता है।
अधिक थकान महसूस करना
विटामिन डी की कमी होने पर हमारा शरीर जल्दी थकने लगता है। अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है तो आप थोड़े से काम के बाद भी अत्यधिक थकान महसूस करने लगते हैं, आपको चक्कर आ सकता है या दिन में अत्यधिक नींद आने लगती है।
घाव भरने में देरी
विटामिन डी की कमी होने पर घाव भरने में अधिक समय लगता है। दरअसल विटामिन डी नए ऊतकों के निर्माण में मदद करता है वहीं अगर इसकी कमी हो जाए तो नए ऊतक आसानी से नहीं बनते। इसलिए घाव भरने में भी देरी होती है। यह भी देखा गया है कि अल्सर वाले लोगों में विटामिन डी की कमी होने की संभावना अधिक होती है।
बाल झड़ना
विटामिन डी की कमी के कारण बाल अधिक झड़ते हैं इसलिए अगर आपके बाल अचानक तेजी से झड़ने लगे हैं तो आपको विटामिन डी की कमी का टेस्ट जरूर कराना चाहिए और विटामिन डी की भरपाई पर ध्यान देना चाहिए। फिर चाहे वह भोजन से हो या सप्लीमेंट्स से। एलोपेसिया नामक बालों के गुच्छे में टूटने वाली बीमारी के पीछे भी विटामिन डी की कमी जिम्मेदार होती है।
दिमाग पर दुष्प्रभाव
विटामिन डी सिर्फ शरीर के लिए नहीं बल्कि दिमाग के लिए भी बहुत जरूरी है इसकी कमी से डिप्रेशन और एंजायटी का खतरा बहुत बढ़ जाता है। यही नहीं यह डिमेंशिया जैसे बड़ी बीमारी का भी कारण बनता है जिसमें याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है, आदमी धीरे-धीरे सबकुछ भूलने लगता है। अपनों तक को पहचानना कठिन हो जाता है। पार्किन्सन्स रोग भी विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है। कम उम्र लोगों में भी विटामिन डी की कमी के कारण याददाश्त कमजोर होने, ध्यान और एकाग्रता में कमी जैसे लक्षण नजर आते हैं।
मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन
विटामिन डी मांसपेशियों के लिए भी बहुत जरूरी है। इसकी कमी से मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन की समस्या होती है। दरअसल विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है और कैल्शियम मांसपेशियों को मजबूत बनाने और निर्माण के लिए आवश्यक है, इसलिए इसकी कमी से मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द और ऐंठन की समस्या होती है।
इम्यूनिटी होती है कमजोर
विटामिन डी की कमी से इम्यूनिटी भी कमजोर होती है और आप जल्दी संक्रमण की चपेट में आते हैं फिर चाहे वह बैक्टीरियल, फंगल या वायरल इंफेक्शन हो।
गर्भावस्था में जरूरी विटामिन डी, बांझपन का भी है खतरा
गर्भावस्था में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा का सेवन अनिवार्य है। इसकी कमी से प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज और इन्फेक्शन का खतरा रहता है। यही नहीं विटामिन डी की कमी से बच्चे के समय से पहले जन्म लेने की संभावना बढ़ जाती है। मां में विटामिन डी की कमी का असर गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है और उसकी हड्डियों और दिमाग का सही विकास बाधित हो सकता है। वहीं शिशुओं में इसकी कमी से रिकेट्स नामक बीमारी का खतरा रहता है जिससे हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं। और तो और विटामिन डी का बेहद कम स्तर बांझपन के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है।
स्वस्थ दांतों और मसूड़ों के लिए जरूरी विटामिन डी
विटामिन डी की कमी से दांत जल्दी कमजोर होते हैं और कम उम्र में उनके टूटने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही विटामिन डी की कमी से दांतों में जल्दी कैविटी लगने की भी संभावना होती है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी होने से मुंह और मसूड़ों में सूजन को रोकने में मदद मिल सकती है।
कैंसर का रिस्क
विटामिन डी की कमी से कैंसर का रिस्क भी बढ़ जाता है। खासकर महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर। इसके अलावा कोलन कैंसर भी उन लोगों में ज्यादा देखा जाता है जो धूप के संपर्क में कम रहते हैं।
डायबिटीज का खतरा
विटामिन डी की कमी से अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं से इंसुलिन स्राव बाधित होता है। जिससे डायबिटीज का खतरा होता है। विटामिन डी ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बेहतर रखता है। आपको डायबिटीज ना हो इसलिए विटामिन डी की कमी शरीर में न होने दें। क्योंकि यह एक ताउम्र बनी रहने वाली बीमारी है जिसका शरीर के अनेक अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
विटामिन डी की कमी कैसे दूर करें
विटामिन डी की कमी दूर करने का सबसे आसान उपाय है धूप सेंकना। सामाजिक मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए आप शरीर के जितने अंग खुले रख सकते हैं, उन्हें धूप के संपर्क में आने दें बिना किसी सनस्क्रीन के। कम से कम आधे घंटे की धूप आपके शरीर में विटामिन डी की पूर्ति कर देती है। आप सुबह की धूप भी ले सकते हैं लेकिन 11 से दोपहर तीन बजे के बीच सूरज की यूवीबी किरणें विटामिन डी तेजी से और कम समय में बनाती हैं। और सर्दी में तो खासकर दिन में धूप सेंकना अच्छा भी बहुत लगता है। अगर आप सूरज की किरणों से विटामिन डी नहीं ले पा रहे हैं तो आपको पोषण पर ध्यान देना होगा। हालांकि भोजन सामग्रियों से भरपूर विटामिन डी नहीं मिलता। खासकर वेजीटेरियन लोगों को। विटामिन डी मांस-मछली आदि से बेहतर तरीके से मिलता है।
वेजिटेरियन्स क्या लें
विटामिन डी की कमी दूर करने के लिए वेजिटेरियन्स मुख्य रूप से दूध और दुग्ध उत्पाद जैसे पनीर, दही, चीज़ आदि लें। इसके अलावा सोया उत्पाद, संतरे, मशरूम, साबुत अनाज, फोर्टिफाइड सीरियल्स,कद्दू और उसके बीज, पालक जैसी हरी पत्तियों वाली सब्जियां आदि ले सकते हैं।
नाॅनवेजिटेरियंस क्या लें
नॉन वेजिटेरियन के लिए मछली का सेवन बेहद उपयोगी है खासकर सेल्मन, सारडाइन, टूना, मैकेरल आदि। इसके अलावा काॅड लिवर ऑयल, सेल्मन लिवर ऑयल, अंडे की ज़र्दी आदि विटामिन डी के अच्छे सोर्स हैं।