Diabetes Can Be Controlled: शुगर से बचने सिर्फ कैलोरी काउंट नहीं, छोड़नी होंगी इन आदतों को...फिर शुगर कंट्रोल भी हो सकता है और खत्म भी
NPG DESK
ब्लड शुगर लेवल को लेकर कई दावे किए जाते हैं। कुछ रिसर्च कहते हैं कि शुगर लाइलाज है। इसे जड़ से कभी खत्म नहीं किया जा सकता। कुछ रिसर्च कहते हैं कि इसे कंट्रोल भी किया जा सकता है और जड़ से खत्म भी। सच क्या है?
हम सभी जानते हैं कि शुगर लेबल को मैनेज करना कई वजहों से बेहद महत्वपूर्ण है। खासतौर से डायबिटीक मरीजों को अक्सर रक्त में शर्करा के स्तर की गड़बड़ी की समस्या रहती है। बैलेंस्ड ब्लड शुगर लेवल ऊर्जा के साथ-साथ मेंटल हेल्थ आदि को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन यह देखने में आता है कि हम सभी में कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जो हेल्थ के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होती हैं। खासतौर से, इसके कारण ब्लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है। ऐसे में आपको इन आदतों को आज ही अलविदा कह देना चाहिए। ऐसा करके आप शुगर को कंट्रोल भी कर सकते हैं और रिवर्स भी। अगर सख्ती से पालन किया जाए तो शुगर जड़ से खत्म भी किया जा सकता है।
समझिए कि केवल कैलोरी पर ध्यान देने की आदत आमतौर पर लोगों की यह आदत होती है कि वह खुद को हेल्दी बनाए रखने के लिए अपने कैलोरी काउंट पर ही ध्यान देते हैं। लेकिन सिर्फ कैलोरी काउंट पर फोकस करके आप अपने ब्लड शुगर लेवल को मैनेज नहीं कर सकते हैं। जरूरी है कि आप अपने ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए प्रोटीन, वसा और कार्बाेहाइड्रेट को बैलेंस्ड तरीके से डाइट में शामिल करें। पर्याप्त फाइबर ना लेना कुछ लोगों की यह हैबिट होती है कि अपनी डाइट में प्रोटीन और कार्ब्स पर भी मुख्य रूप से फोेकस करते हैं, लेकिन फाइबर को वह अक्सर स्किप कर देते हैं।
शुगर बढ़ने से रोकता है फाइबर
ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए जरूरी है कि आप दिन में कम से कम 25 से 35 ग्राम फाइबर का सेवन अवश्य करें। फाइबर की कमी से आपका ब्लड शुगर लेवल स्पाइक हो सकता है। फाइबर ब्लड में शुगर के अवशोषण को धीमा करने में मदद करता है, साथ ही साथ उसके रेगुलेशन को भी बेहतर बनाता है। इसलिए कोशिश करें कि आप अपनी डाइट में नट्स, बीज, बीन्स, मटर, दाल, फल और सब्जियां लें। फाइबर के बाद अगर आप खाना खाएंगे तो शरीर में ग्लकोज धीरे धीरे रिलीज होगा और एकदम से लेबल नहीं बढ़ेगा। होगा यह अगर आप कंट्रोल डाइट लेते हैं और साथ में फाइबर कन्ज्यूम करते हैं तो शुगर लेबल मेंटेन रहता है।
शुगर की दवा है एक्सरसाइज
चौंक गए न पढ़कर। जी हां, शुगर की दवा ही है एक्सरसाइज। जब आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं तो इससे आपको अपने ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने में मदद मिलती हैं। दरअसल, एक्सरसाइज आपकी इंसुलिन सेंसेटिविटी को बेहतर बनाती है। जो काम दवा करती है वही एक्सरसाइज भी करती है। शुगर कम करने वाली दवाएं ग्लूकोज को ब्लड से कम करती हैं या हटाती हैं। यही काम एक्सरसाइज कर देती है। एक्सरसाइज ब्लड में मौजूद ग्लूकोज को बर्न करने लगता है। आधे घंटे की तेज गति की एक्सरसाइज 50 पाइंट तक शुगर लेबल घटा सकती है।
सोने से तीन घंटे पहले खाना बंद और आठ घंटे की नींद
मान लीजिए कि आपने सोने से तीन घंटे पहले खाना खाया। खाना खाने के आधे घंटे बाद आप बीस से तीस मिनट तक चहलकदमी करते रहे। तेज वॉक की। होगा यह है कि खाना खाने के बाद जो कैलोरी आपके शरीर में बढ़ी वह कम हो जाएगी। वॉक करने के लिए कैलोरी चाहिए। जो भोजन करने से बढ़ी वह वॉक करने से बढ़ गई। अब आप सोने जाएंगे। शरीर को क्रियाशील रहने के लिए भी एनर्जी चाहिए। वह आपके शरीर से ही एनर्जी लेगा। कैलोरी बर्न करेगा। प्रति रात सात से आठ घंटे की नींद अवश्य लें। आप देखेंगे कि फास्टिंग शुगर लेबल कम होने लगेगा। अगर इसे निरंतर किया जाए तो संभव है कि शुगर लेबल एकदम सामान्य हो जाए।
तनाव को बोले ना
जरूरत से ज्यादा तनाव लेने की हैबिट तनाव हम सभी की जिन्दगी का एक अहम् हिस्सा बन चुका है। लेकिन जरूरत से ज्यादा तनाव लेने से आपका शरीर इंसुलिन के स्तर को गिराकर और एपिनेफ्रीन और कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्माेन को बढ़ाता है, जो सभी रक्त शर्करा को बढ़ाते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि आप आवश्यकता से अधिक तनाव लेने से बचें। साथ ही साथ, अपने तनाव को मैनेज करने के लिए कुछ रिलैक्सिंग तकनीक को अपनाएं। तनाव से एक और खराब सिस्टम डेवलप होता है। तनाव के वक्त शरीर अचानक क्रियाशील हो जाता है। दिमाग को ज्यादा एनर्जी चाहिए। वह संकेत देता है कि एनर्जी चाहिए। एनर्जी हमें खाने से मिलेगी। हम ज्यादा खाएंगे। रिलेक्स हालत में कम खाने की और तनाव के समय ज्यादा खाने की इच्छा होती है।
इन उपायों पर काम करेंगे तो निश्चित रूप से शुगर लेबल मेंटेन रहेगा। साथ ही नियमित और लंबे समय के बाद संभव है कि आप डायबिटीज से छुटकारा पा लें। ध्यान रहे कि यह करते हुए अपने शुगर लेबल को ट्रेक करते रहें। ज्यादा उतार चढ़ाव होने पर अपने डाक्टर से संपर्क जरूर करें।