Colorectal Cancer Symptoms: क्या होता है कोलोरेक्टल कैंसर, इसकी शुरूआत में ही बरतें अहतियात, और ऐसे करें बचाव...
कोलोरेक्टल भी ऐसा ही कैंसर है, जिसकी शुरुआत में लक्षण दिखने की संभावना बेहद कम होती है। लेकिन सिर्फ टॉयलेट के अंदर दिखने वाले बदलावों से इसका पता लगा सकते है।
Colorectal Cancer Symptoms - कोलोरेक्टल कैंसर: कैंसर साइलेंट बीमारी होती हैं, जो अंदर ही अंदर घातक और जानलेवा होती हैं। कोलोरेक्टल भी ऐसा ही कैंसर है, जिसकी शुरुआत में लक्षण दिखने की संभावना बेहद कम होती है। लेकिन सिर्फ टॉयलेट के अंदर दिखने वाले बदलावों से इसका पता लगा सकते है।
कोलोरेक्टल कैंसर की शुरूआत
कोलोरेक्टल कैंसर की शुरुआत बड़ी आंत की दीवार के सबसे भीतरी परत में होती है। अधिकांश कोलोरेक्टल कैंसर छोटे पॉलीप्स से शुरू होते हैं। ये पॉलिप्स कोशिकाओं का एक समूह होते हैं। समय के साथ, इनमें से कुछ पॉलीप्स कैंसर में विकसित हो जाते हैं। यह कैंसर पहले बड़ी आंत की दीवार में, फिर आसपास के लिंफ नोड्स में और फिर पूरे शरीर में फैलता है।सभी पॉलीप्स कैंसर में विकसित नहीं होते हैं। पोलिप के कैंसर में विकसित होने की संभावना पॉलीप्स के प्रकार, माप और संख्या पर निर्भर करती है।
कोलोरेक्टल कैंसर को हल्के में न लें
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर अमित दीक्षित के मुताबिक, यह सबसे आम लक्षण है, जिसे अक्सर पेट की दिक्कत समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। किसी-किसी मरीज को पेट में दर्द या क्रैम्प भी होते हैं। जिसके पीछे की वजह बड़ी आंत में ब्लॉकेज होना और मल को निकलने का रास्ता ना मिलना है।
कोलोरेक्टल कैंसर का यह लक्षण भी कब्ज या बवासीर का संकेत समझ लिया जाता है। मगर कैंसर में लगातार ब्लीडिंग होती रहती है और यह समय के साथ गंभीर बन सकती है। मगर कब्ज की ब्लीडिंग लगातार नहीं होती है। कभी-कभी कोशिका विभाजन के दौरान एक स्वस्थ कोशिका के डीएनए में बदलाव आ जाता है। इससे उस कोशिका में अनियंत्रित विकास होने लगता है और कैंसर बनता है।
जिस किसी भी चीज से किसी को कैंसर होने का खतरा बढ़ता है, उसे जोखिम कारक कहते हैं। जोखिम कारक बीमारी कराता नहीं है यह केवल जोखिम को बढ़ाता है।
डॉक्टर के मुताबिक, कई बार इस कोलोरेक्टल कैंसर के कारण मल त्यागने की आदत या मल के गाढ़ेपन पर फर्क पड़ता है। क्योंकि, बड़ी आंत में मौजूद ट्यूमर से पस जैसा तरल पदार्थ निकलता है, जो डायरिया की तरह रिजल्ट दे सकता है। कई मामलों में डायरिया की यह समस्या काफी गंभीर हो सकती है।
कोलोरेक्टल कैंसर की शुरुआत में कब्ज की समस्या हो सकती है। क्योंकि, ट्यूमर से आंत ब्लॉक हो जाती है और मल नहीं निकल पाता। इसके अलावा, इस ब्लॉकेज के कारण पतला मल भी निकल सकता है। बाउल मूवमेंट में हो रहे इन 2 बदलावों से भी इस घातक कैंसर का संकेत मिल सकता है।
कोलोरेक्टल कैंसर की पहचान
जब ट्यूमर आंत को ब्लॉक कर देता है, तो मल त्यागने के बाद भी ऐसा लगता है कि पेट पूरी तरह साफ नहीं हुआ है। इसकी वजह से एक तरह की बेचैनी और असहजता होती है
कोलोरेक्टल कैंसर के हमेशा कोई लक्षण नही दिखता है खास तौर से शुरुआत मे, लेकिन अगर इसके लक्षण दिखे तो उनमे ये सब शामिल हो सकते है
आंत आदतों में बदलाव। आपके मल में खून आना। दस्त, कब्ज, या यह महसूस होना कि आंत पूरी तरह से खाली नहीं होता है। पेट में दर्द, दर्द या ऐंठन जो दूर नहीं होती है। वजन कम होना बिना किसी कारण।
यदि आपके पास इनमें से कोई भी लक्षण है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। ध्यान रखे की ये कैंसर के अलावा किसी और चीज के कारण भी हो सकते हैं। डॉक्टर के अनुसार अगर किसी के पेट में लगातार दर्द रहे। टायलेट से हल्के रंग का रिसाव हो। कमजोरी और थकान रहने लगे तो यह कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे मामलों में डॉक्टर के पास जाने में देरी नहीं करनी चाहिए।
कोलोरेक्टल कैंसर से ऐसे बचें
इस कैंसर को पेट से जोड़ा गया है। इसमें वजन को नियंत्रित रखना जरूरी है, कैलोरी सेवन पर ध्यान दें, नियमित व्यायाम करें और उचित आदतों को बनाए रखें जिससे आपको पहली बार वजन कम करने में मदद मिली हो।
हृदय रोग, स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ाने में एक कारण धूम्रपान है। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने के वास्तविक लाभ हैं, जो आपके अंतिम सिगरेट के तुरंत बाद शुरू होते हैं।
शारीरिक तौर पर एक्टिव रहने से कई तरह की बिमारियों से बचा जा सकता है। यह पेट के कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करता है। ज्यादा न सही थोडी ही एक्टिविटी कुछ न करने से बेहतर है, आप हर दिन लगभग 30 मिनट या थोडा ज्यादा वक्त के लिए एक्सरसाइज करें ।
नियमित जांच: बृहदान्त्र कैंसर के लिए नियमित रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना खुद को बीमारी से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है। यह कैंसर को जल्दी पकड़ सकता है, जब यह सबसे अधिक इलाज योग्य है, और पॉलीप्स नामक असामान्य विकास को खोजने से बीमारी को रोकने में मदद कर सकता है जो आगे चलकर कैंसर में बदल सकता है। स्क्रीनिंग जांच 50 साल की उम्र होने पर करानी चाहिए।
इससे बचने के लिए आप भोजन में फाइबर, फल, सब्जियां और अच्छी गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट का सेवन करें। ज्यादा तेल के सेवन को सीमित रखेंआप चाहें तो एवोकाडो, जैतून का तेल, मछली के तेल और मेवे का सेवन करें।