Chhattisgarh Ka Khas-Bans Kareel Ka Achar : बहुत शौक से खाया जाता है छत्तीसगढ़ में बांस 'करील' का अचार, जानिए रेसिपी

Chhattisgarh Ka Khas-Bans Kareel Ka Achar : बांस का अचार...आपने इसके बारे में कभी सुना है क्या? अगर आप बाहरी हैं तो आपको बता दें कि ये छत्तीसगढ़ के लोगों के सबसे प्रिय अचारों में से एक है। इसे यहां के लोग 'बांस करील का अचार' कहकर पुकारते हैं और बेहद चाव से खाते हैं।
बांस करील बांस की ताजा कोपलों को कहते हैं यानी जमीन से ताजा उगा बांस, जो कोमल होता है। आदिवासी गोंडी बोली में इसे बास्ता कहते हैं। बास्ता का प्रयोग छत्तीसगढ़ में कई तरीकों से होता है। फिलहाल हम यहां बास्ता या बांस करील के अचार की बात कर रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि इस अचार को कैसे बनाते हैं।
बांस करील का अचार बनाने के लिए हमें चाहिए
- बाँस (करील) - 500 ग्राम
- हल्दी पाउडर - 1 टेबल स्पून
- नमक - स्वादानुसार
- राई या सरसों - एक टेबल स्पून
- अजवाइन - एक टी स्पून
- मेथी दाना - 1 टेबल स्पून
- सौंफ - 1 टेबल स्पून
- अमचूर- 1 टेबल स्पून ( ऑप्शनल)
- सरसों का तेल- एक कप
बांस करील का अचार ऐसे बनाएं
1. सबसे पहले करील के छिलके उतार दें और इसके पतले या छोटे चोकौर टुकड़े काट लें। इसे काटकर मिट्टी के बर्तन में धूप में 1-2 दिन के लिए रख दें।
2. अब एक कड़ाही लें। इसमें राई, अजवाइन, मेथी दाने, सौंफ डालकर धीमी आंच पर भूनें। ठंडा हो जाने पर मिक्सर के जार में दरदरा पीस लें।
3. अब करील के बर्तन में ही करील के ऊपर पिसा मसाला डालें। साथ ही अमचूर, मिर्च पाउडर, हल्दी, नमक डालकर अच्छे से मिक्स कर लें।
4. एक बर्तन में सरसों का तेल इतनी देर तक गर्म करें कि उसमें से भांप उठने लगे। गैस बंद करें। काफी हद तक ठंडा होने दें। अब इसे तैयार करील पर पलट दें।
5. करील के तैयार अचार को एयर टाइट कंटेनर या अचार के मर्तबान में रखें और इसे 3-4 दिन के लिए धूप में रखें। बस आपका करील का अचार तैयार है।
6. एक बात का विशेष ध्यान रखें कि हर अचार की तरह इसमें भी गीली या नमी वाली या जूठी चम्मच न डालें। इससे अचार जल्दी खराब हो जाता है। जब भी अचार खाना हो, सूखी चम्मच से कटोरी में अचार निकाल लें और इस्तेमाल करें।
7. बांस करील का अचार दाल- चावल, चावल-सब्जी या पूड़ी के साथ बहुत ही अच्छा लगता है। रोज़ाना के खाने में आप कभी भी इसे खाकर स्वाद में इजाफ़ा कर सकते हैं।
