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CGMSC Scam: इन 6 अफसरों पर गिरफ्तारी की तलवार! मेडिकल घोटाले में ACB ने सरकार से नियम 17 ए में मांगी अनुमति...

CGMSC Scam: छत्तीसगढ़ के मेडिकल घोटाले में मोक्षित कारपरेशन के मालिक की गिरफ्तारी के बाद अब सीजीएमएससी से जुड़े आधा दर्जन अफसरों पर एसीबी का शिकंजा कसने जा रहा है। इन सभी का बयान दर्ज कर आगे की कार्रवाई के लिए एसीबी ने राज्य सरकार से अनुमति मांगी है, जिसे आज किसी भी समय मिल जाने की संभावना हैं।

CGMSC Scam: इन 6 अफसरों पर गिरफ्तारी की तलवार! मेडिकल घोटाले में ACB ने सरकार से नियम 17 ए में मांगी अनुमति...
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CGMSC MD Fraud

By Gopal Rao

CGMSC Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन में करोड़ों के घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने जांच तेज कर दी है। सीजीएमएससी के सबसे बड़े सप्लायर मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को एसीबी ने दो दिन पहले गिरफ्तार किया था। पांच दिन की पुलिस रिमांड में उनसे पूछताछ की जा रही है।

इसके बाद जांच को आगे बढ़ाते हुए एसीजी ने राज्य सरकार से सीजीएमएससी से जुड़े रहे छह अधिकारियों से पूछताछ के लिए अनुमति मांगी है। पता चला है, शशांक चोपड़ा से पूछताछ में इन सभी छह अफसरों के नाम सामने आए हैं। ये सभी अधिकारी सीजीएमएससी में डेपुटेशन में पोस्टेड रहे हैं या पोस्टेड हैं।

इनमें सीजीएमएससी में दो दौर में जीएम फायनेंस रहीं मीनाक्षी गौतम का नाम प्रमुख हैं। आमतौर पर फायनेंस रुल के तहत उसी विभाग में दोबारा पोस्टिंग नहीं मिलती। मगर मीनाक्षी गौतम को दूसरी बार सीजीएमएससी में जीएम फायनेंस बना दिया गया।

1. मीनाक्षी गौतम

शशांक चोपड़ा से पूछताछ में एसीबी को मीनाक्षी गौतम की मेडिकल स्कैम में संलिप्तता के कई अहम जानकारियां मिली हैं। एसीबी इस प्वाइंट पर भी जांच कर रही कि मोक्षित कारपोरेशन में मीनाक्षी गौतम की भागीदारी रही है क्या?

बता दें, मीनाक्षी को तत्कालीन हेल्थ सिकरेट्री रेणु पिल्ले की नाराजगी के बाद सीजीएमएससी से हटा दिया गया था। मगर रेणु पिल्ले के हटते ही फिर से सीजीएमएससी में पोस्टिंग हो गई। सरकार बदलने के बाद भी मोक्षित कारपोरेशन को 50 करोड़ का भुगतान में मीनाक्षी गौतम की भूमिका अहम रही..ऐसा एसीबी को जानकारी मिली है।

2. वसत कौशिक

मेडिकल घोटाले में दूसरा बड़ा नाम है जीएम टेक्निकल वसंत कौशिक का। जीएम फायनेंस के बाद सीजीएमएससी का सबसे महत्वपूर्ण पद है जीएम टेक्निकल। टेंडर में सबसे बड़ा खेला टेक्निकल द्वारा किया जाता है। टेंडर में ऐसे-ऐसे क्लाज जोड़ दिए जाते हैं कि अपने पंसदीदा सप्लायरों के अलावा दूसरा कोई टिक नहीं सके। मोक्षित कारपोरेशन को टेंडर में उसकी सुविधा के अनुसार शर्तें जोड़कर उपकृत किया गया। रीएजेंट से लेकर दीगर मेडिकल इक्विपमेंट्स की खरीदी में मोक्षित कारपोरेशन को जीएम टेक्निकल द्वारा करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाया गया।

वसंत कौशिक को हाई कोर्ट की नाराजगी के बाद सीजीएमएससी से हटाया गया था। असल में, 2021 में नियम विरूद्ध किसी टेंडर के खिलाफ मामला हाई कोर्ट गया था। कोर्ट ने गंभीर प्रकरण मानते हुए जीएम टेक्निकल वसंत कौशिक को हटाने कहा। मगर अफसरों ने इसे नोटिस नहीं किया। इस पर अवमानना का केस लगा। इसके बाद हाई कोर्ट ने सीजीएमससी को जमकर फटकार लगाई। तब जाकर वसंत कौशिक को सीजीएमएससी के जीएम टेक्निकल पद से हटया गया।

3. डॉ0 अनिल परसाई

तीसरा नाम है डॉ0 अनिल परसाई का। अनिल परसाई सीजीएमएससी के स्टोर इंचार्ज हैं। उन पर आरोप है कि दवाइयों और उपकरणों और रीएजेंट की जरूरत न होने पर भी लिख कर दिया कि सप्लाई की आवश्यकता है। परसाई की कृत्यों की वजह से सौ करोड़ से अधिक के रीएजेंट खरीद लिया गया, जिसकी जरूरत ही नहीं थी।

4. क्षिरौंद्र रावटिया

चौथा नाम है क्षिरौंद्र रावटिया का। क्षिरोंद्र बायोमेडिकल इंजीनियर हैं। बायोमेडिकल इंजीनियर का काम मेडिकल इक्विमेंट की खरीदी के दौरान जांच-पड़ताल करना होता है। मगर करोड़ों की मेडिकल इक्विमेंट की खरीदी में क्षिरौंद्र ने कुछ नहीं किया। इससे सीजीएमएससी को बड़ा नुकसान हुआ। आलम यह था कि पांच करोड़ के इक्विपमेंट 10 करोड़ में खरीदे गए।

इनके अलावा कमलकांत पाटनवार और आनंद राव का नाम भी सीजीएमससी घोटाले में सामने आया है।

इन छह अफसरों के नाम

जीएडी के सूत्रों के अनुसार एसीबी ने मीनाक्षी गौतम, वसंत कौशिक, डॉ0 अनिल परसाई, क्षिरौंद्र रावटिया, कमलकांत पाटनवार और आनंद राव का नाम पूछताछ की अनुमति के लिए भेजा है।

आज मिल जाएगी अनुमति

मंत्रालय के सूत्रों से पता चला है कि एसीबी को आज शाम से पहले पूछताछ की अनुमति आदेश भेज दिया जाएगा। अगर आज अनुमति मिल जाएगी तो एसीबी कल सुबह इन छह अधिकारियों को तलब कर सकता है। पूछताछ में एसीबी को अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो फिर उनकी गिरफ्तारी से इंकार नहीं किया जा सकता।

अनुमति की जरूरत क्यों?

सवाल यह है कि जब सरकार ने ही एसीबी को सीजीएमएससी घोटाले की जांच करने कहा है तो फिर अफसरों से पूछताछ की अनुमति क्यों मांगने का क्या तुक? जानकारों का कहना है कि सरकार ने बिना किसी नाम के एसीबी को जांच करने कहा है।

अगर नामजद आदेश दिया गया होता तो फिर एसीबी को नियम 17 ए में अनुमति मांगने की जरूरत नहीं पड़ती। यदि बिना अनुमति एसीबी सरकारी अधिकारी का बयान दर्ज करेगी तो वह कानून वैद्य नहीं होगा। 17 ए इसीलिए बनाया गया है कि सरकारी अधिकारियों को पूछताछ से पहले सरकार से अनुमति लेकर समंस जारी किया जाए।

मनी लॉड्रिंग मामले में ईडी को किसी से पूछने की जरूरत नहीं पड़ती। उसके अलावा सीबीआई, एसीबी या पुलिस बिना 17 ए में अनुमति लिए न तो किसी सरकारी मुलाजिम को गिरफ्तार कर सकती और न ही उनका बयान दर्ज कर सकती।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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