CGMSC Scam: गजब का भ्रष्टाचार: 50.46 करोड़ रुपये के रीएजेंट्स को मोक्षित से खरीदा 103 करोड़ में...
CGMSC Scam: सीजीएमसीएल के अधिकारियों ओर मोक्षित कारपोरेशन के कर्ताधर्ताओं ने सरकारी खजाने पर जमकर चोट किया है। रीजऐंट्स की सप्लाई में फर्जीवाड़ा के साथ ही एक और बड़ा खेला कर दिया है। EOW की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात सामने आई है। अफसरों से मिलीभगगत कर मोक्षित कारपोरेशन ने EMIS (Equipment Management Information System) पोर्टल में रीजऐंट्स सहित मेडिकल उपकरणों की सप्लाई करना बताते हुए फर्जी तरीके से अपलोड कर दिया। पोर्टल पर झूठे इंस्टॉलेशन प्रमाण पत्र अपलोड कर बिना आपूर्ति किए ही 44.01 करोड़ रूपये की राशि का खेला कर दिया। इस मिलीभगत में मोक्षित के साथ अफसर भी शामिल हैं।

CGMSC Scam: रायपुर। सरकारी महकमा जब बेईमानी पर उतर आए तो सरकारी खजाने का लुटना स्वाभाविक है। कुछ इसी अंदाज में सीजीएमसीएल के अफसरों ने मोक्षित कारपोरेशन के कर्ताधर्ताओं के साथ 341 करोड़ के फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया है। अफसरों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किया और उपकरणों की आपूर्ति किए बिना ही मोक्षित को अधिकारियों ने 44.01 करोड़ रूपये की भुगतान भी कर दिया। EOW की जांच रिपोर्ट में इसके अलावा और भी चौंकाने वाली बातें सामने आई है।
मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा फूल्लीआटोमेटेड बायोकेमेस्ट्री एनालाईजर, एचबीएसी एनालाईजर, यूरिन एनालाईजर के रीएजेंट्स / कंज्यूमेबल्स / किट्स डायसिस इंडिया प्राईवेट लिमिटेड से क्रय कर सीजीएमएससीएल को सप्लाई किया गया है। डायसिस कंपनी द्वारा इन रीएजेंट्स / कंज्यूमेबल्स / किट्स के लिए भारत में एमआरपी निर्धारित किया गया है। जिसके अनुसार निर्माता कंपनी का रीएजेंट्स / कंज्यूमेबल्स / किट्स की एमआरपी 504647720/- (पच्चास करोड़ छयालिस लाख सैतालिस हजार सात सौ बीस रूपये) जबकि इसी रीएजेंट्स / कंज्यूमेवल्स / किट्स को मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा 1031060734/- (एक अरब तीन करोड़ दस लाख साठ हजार सात सौ चौतीस रूपये) में विक्रय कर आपूर्ति किये जाने के प्रमाण प्राप्त हुये है। स्पष्ट है कि शासन को 526413014/-(बावन करोड़ चौसठ लाख तेरह हजार चौदह रूपये) की आर्थिक क्षति हुई है।
आमतौर पर EMIS (Equipment Management Information System) पोर्टल का उपयोग स्वास्थ्य संस्थानों में इंस्टॉलेशन की प्रामाणिक जानकारी अपलोड करने के लिए किया जाता है। मोक्षित कॉर्पोरेशन द्वारा उपकरणों का इंस्टॉलेशन भौतिक रूप से किए बिना ही पोर्टल पर झूठे इंस्टॉलेशन प्रमाण पत्र अपलोड कर दिया। EMIS पोर्टल पर इंस्टॉलेशन कम रिसीप्ट फॉर्म (Installation-cum-Receipt Form) सहित फोटो और अन्य दस्तावेज अपलोड किए गए, जिनकी हार्डकॉपी CGMSC के कार्यालय में भी जमा की गई थी। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर CGMSC द्वारा मोक्षित को 44.01 करोड़ रूपये की भुगतान कर दी गई।
जांच में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 180 मेडिकल उपकरणों का इंस्टॉलेशन किया ही नहीं गया था। इसमें 250 से अधिक मशीनें लॉक पाई गई, जिन्हें किसी प्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा चालू नहीं किया गया था। इन मशीनों के उपयोग में न आने के कारण संस्थानों को आपूर्ति किए गए रीएजेंट्स और कंज्यूमेबल्स की एक्सपायरी तिथि समाप्त हो गई, जिससे प्रयोगशालाओं में इनका कोई उपयोग नहीं हो सका।
दो से 8.50 रूपये बिकने वाले इडीटीए ट्यूब को मोक्षित ने 30.24 रूपये प्रति नग में बेचा
इडीटीए ट्यूब खुले बाजार में 1.50-2.0 रूपये से 8.50 रूपये तक बिकते है। उन्हें सीजीएमएससीएल द्वारा इडीटीए ट्यूब एडल्ट 2352 रूपये प्रति 100 नग (23.52 रूपये प्रति नग) तथा इडीटीए ट्यूब प्रीडियाट्रिक 3024 रूपये प्रति 100 नग (30.24 रूपये प्रति नग) के दर पर दर अनुबंध किया गया। इडीटीए ट्यूब को इस दर से खरीदने पर शासन को लगभग 02 करोड़ रूपये की आर्थिक क्षति हुई है। बसंत कौशिक, दीपक बंधे एवं अन्य द्वारा छग भण्डार कय नियम का घोर उल्लंघन किया गया है।
सेमी-ऑटोमेटेड मशीन रीजेंट्स की कीमत में भारी अंतर
मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा सप्लाई किये गये सेमीआटोमेटेड मशीन के रीएजेंट्स / कंज्यूमेबल्स की कीमत निर्माता कंपनी द्वारा उपलब्ध कराये गये एमआरपी के अनुसार लगभग 970339915/- (संतान्वें करोड़ तीन लाख उच्चालिस हजार नौ सौ पन्द्रह रूपये) है। जबकि मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा रीएजेंट्स / कंज्यूमेबल्स को सीजीएमएससीएल को 1156406245/- (एक अरब पन्द्रह करोड़ चौसठ लाख छः हजार दो सौ पैंतालिस रूपये) में सप्लाई किये जाने के प्रमाण प्राप्त हुये है। स्पष्ट है कि शासन को 186066330/- (अट्ठारह करोड़ साठ लाख छैसठ हजार तीन सौ तीस रूपये) आर्थिक क्षति हुई है।
जानबुझकर किया यह सब
फर्म्स मेसर्स मोक्षित कार्पोरेशन दुर्ग, मेसर्स शारदा इण्डस्ट्रीज रायपुर एवं रिकॉर्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड पंचकुला हरियाणा को डेमोस्ट्रेशन के संबंध में मेडिकल उपकरणों के साथ 20.01.2023 को उपस्थित होने के लिए 19. 01.2023 को ई-मेल किया गया था। जांच में यह बात सामने आई है कि रिकार्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्रालि की फैक्ट्री पंचकुला हरियाणा में स्थित है और इतनी कम समय के नोटिस पर पंचकुला से उपकरण लेकर रायपुर (छत्तीसगढ़) आ पाना संभव नहीं है।
दूसरी कंपनी के उपकरणं को बताया अपना प्रोडक्ट
मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा रिकॉर्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड एवं शारदा इण्डस्ट्रीज के लिए उपकरणों की व्यवस्था की गई थी। इन उपकरणों में रिकॉर्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड एवं शारदा इण्डस्ट्रीज स्टीकर चस्पा किये गये थे। परंतु वास्तव में यह उपकरण किसी अन्य कंपनी के थे। प्रदर्शन की कार्यवाही क्षिरौद्र रौतिया, डॉ अनिल परसाई, शशांक चोपड़ा एवं अन्य द्वारा सुनियोजित तरीके से किया गया था। इस आधार पर डेमोस्ट्रेशन की प्रक्रिया निविदा समिति के अन्य सदस्यों को अंधकार में रखते हुए पूर्ण की गई। निविदा समिति द्वारा तीनों फर्मों के सभी उपकरणों को स्वीकार किया गया।
डेमोस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूर्ण होने के उपरांत तत्कालीन एमडी के अनुमोदन पश्चात् कवर-सी खोले जाने की प्रक्रिया की गई। तीनों फर्मों द्वारा कवर-सी में दिये गये बिड में उपकरण (रीएजेंट्स / कंज्यूमेबल्स के साथ) के क्रम एक समान है। सीजीएमएससीएल द्वारा निविदा में उपलब्ध करायी गई उपकरणों के क्रम से भिन्न परंतु आपस में एक समान है।
0 तीन अलग-अलग फर्म, टेंडर में दिखा कुछ इस तरह का संयोग, फर्जीवाड़ा की पूरी संभावना
कवर-सी खोले जाने के उपरांत तीनों फर्मों द्वारा प्रस्तुत किये गये मेडिकल उपकरणों, रीएजेंट, कन्ज्युमेबल एवं कम्प्रेहेन्सीव मेटेनेंस कॉस्ट (सीएमसी) के दर का तुलनात्मक सूची क्षिरौद्र रौतिया तत्कालीन बायोमेडिकल इंजीनियर द्वारा तैयार किया गया। तीनों फर्मों के द्वारा प्रस्तुत किये गये बिड के तुलनात्मक सूची से स्पष्ट है कि किसी भी उपकरण के रीएजेंट्स /कंज्यूमेबल्स के लिए तीनों के दर में एक निश्चित पैटर्न है। जैसे फूल्लीआटोमेटेड बायोकेमेस्ट्री एनालाईजर के सभी 124 रीएजेंट / कंज्यूमेबल्स में यदि रिकॉर्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड के दर को 100 प्रतिशत माने तो श्री शारदा इण्डस्ट्रीज द्वारा प्रस्तुत दर 95 प्रतिशत एवं मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा प्रस्तुत दर 80 प्रतिशत है। चूंकि सभी मशीने क्लोज सिस्टम एवं अलग-अलग मैक मॉडल के है। अतः इस तरह का संयोग असंभव है। इसी प्रकार अन्य उपकरणों के रीएजेंट / कंज्यूमेबल्स के दर में भी समान प्रकार के पैटर्न है।
तीनों प्रतिस्पर्धी फर्मों द्वारा प्रस्तुत कवर-सी की सामग्री में रीएजेंट्स एवं कंज्यूमेबल्स के क्रम, भाषा, टाइपिंग पैटर्न, प्रतीकों एवं लेआउट में अस्वाभाविक समानता थी,
0 121.25 करोड़ रूपये के रीएजेंट के सिर्फ स्टार्टर किट खरीदना पड़ा,
निविदा क्रमांक-182 के पूर्ववर्ती निविदा क्रमांक-168 के निविदा दस्तावेज के अदर इम्पॉर्टेट इंस्ट्रक्शंस कंडिका के बिन्दु कमांक-17 में प्रावधान था कि उपकरणों के आपूर्तिकर्ता को उपकरणों के साथ 100 व्यक्तियों की जांच के लिए रीएजेंट किट प्रदाय किया जायेगा। जब निविदा क्रमांक-168 में पर्याप्त निविदाकार पात्र नही पाये गये तब इस निविदा की रीटेंडरिंग प्रकिया (निविदा कमांक-168आर) प्रारंभ की गई। जिसमें बसंत कौशिक, क्षिरौद्र रौतिया एवं अन्य द्वारा उक्त बिन्दु कमांक 17 को दुर्भावना पूर्वक हटा दिया गया। अतः निविदा कमांक-182 के अंतर्गत 121.25 करोड़ रूपये के रीएजेंट के सिर्फ स्टार्टर किट खरीदना पड़ा, परिणाम स्वरूप शासकीय कोष को सीधी क्षति हुई। आरोपी क्षिरौद्र रौतिया ने उक्त समस्त अनियमितताओं को तकनीकी समिति से जानबूझकर छुपाया, और शासकीय प्रक्रिया की मूल भावना एवं विधिक प्रावधानों की अवहेलना करते हुए मोक्षित कॉर्पोरेशन को अनुचित लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से कर्तव्यविहीनता एवं कदाचरण किया।
0 37.04 करोड़ की सीबीसी मशीन बगैर टेंडर की कर ली खरीदी
15वें वित्त आयोग के अंतर्गत लगभग 38.33 करोड़ रूपये की सीबीसी मशीन सीजीएमएससीएल द्वारा बिना प्रतिस्पर्धी निविदा के खरीद लिये गये। इसके रीएजेंट का दर अनुबंध सीजीएमएससीएल के निविदा क्रमांक-198 (आर) के अंतर्गत किया गया। जिसके आधार पर मोक्षित कार्पोरेशन से लगभग 70 करोड़ रूपये के रीएजेंट की खरीदी की गई। यदि बाजार मूल्य से इसकी तुलना की जाये तो सिर्फ सीबीसी मशीन के रीएजेंट पर लगभग 37.04 करोड़ रूपये की आर्थिक क्षति शासन को कारित की गई है। स्पष्ट है कि सीजीएमएससीएल के अधिकारियों द्वारा मोक्षित कार्पोरेशन को लाभ पहुंचाने के लिए ही दर अनुबंध की कार्यवाही की गई थी।
0 66.17 करोड़ रूपये के रीएजेंट एक्सपायर्ड
सीजीएमएससीएल के भण्डार गृहों में 05.04.2025 की स्थिति में लगभग 66.17 करोड़ रूपये के रीएजेंट एक्सपायर हो चुके है। जिनमें से लगभग 20.15 करोड़ रूपये के रीएजेंट भण्डार गृहों से स्वास्थ्य केन्द्रों में सप्लाई ही नही हुये है तथा शेष 46.02 करोड़ रूपये के रीएजेंट स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा सीजीएमएससीएल के भण्डार गृहों में वापस कर दिये गये है। इसी प्रकार डीएचएस से प्राप्त जानकारी अनुसार 27 जिलों के स्वास्थ्य केन्द्रों में लगभग कुल 90.81 करोड़ रूपये तथा जिला अस्पताल में लगभग 4.31 करोड़ रूपये के रीएजेंट / कंज्यूमेबल्स एक्सपायर हो चुके है। इस प्रकार लगभग कुल 161.29 करोड़ रूपये के रीएजेंट्स एक्सपायर हो गये।
0 एक फर्जीवाड़ा ऐसा भी किया
जांच के दौरान यह पाया गया कि विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में कुल लगभग 180 मेडिकल उपकरणों का इंस्टॉलेशन किया ही नहीं गया तथा 250 से अधिक मशीनें लॉक पाई गई, जिन्हें किसी प्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा चालू नहीं किया गया था। इन मशीनों के उपयोग में न आने के कारण संस्थानों को आपूर्ति किए गए रीएजेंट्स और कंज्यूमेबल्स की एक्सपायरी तिथि समाप्त हो गई, जिससे प्रयोगशालाओं में इनका कोई उपयोग नहीं हो सका।