CG Ayushman Yojana Scam: छत्तीसगढ़ के बड़े-बड़े प्रायवेट अस्पताल झोला छाप, BAMS और होम्योपैथी डॉक्टरों के भरोसे, झोला छाप पर फिर कार्रवाई क्यों?
CG Ayushman Yojana Scam: छत्तीसगढ़ के छोटे और मध्यम दर्जे के अस्पतालों को तो छोड़ दीजिए....यह जानकर आपके पैरों तले धरती खिसक जाएगी कि रायपुर, बिलासपुर, भिलाई-दुर्ग के नामचीन कारपोरेट अस्पताल झोला छाप, आयुर्वेदिक और होम्योपैथी डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं। इन अस्पतालों में रात के समय आईसीयू से लेकर इमरजेंसी तक रेगुलर डॉक्टर नहीं होते। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारा तो बिलासपुर के एक बड़े अस्पताल में सिर्फ एक आयुर्वेदिक डॉक्टर मिला। अस्पतालों का दुःसाहस देखिए कि स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल में उनका नाम दर्ज करवा दिया है...यह बताने के लिए कि हमारे यहां इतने डॉक्टर हैं। याने यह रिकार्डेड है।

CG Private Hospital: रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सेक्टर के लिए वाकई यह बिडंबना होगी। एक तरफ हेल्थ विभाग और जिला प्रशासन द्वारा झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाती है। सीएमओं के स्टाफ झोला छाप डॉक्टरों से वसूली करता है। और उधर, बड़े-बड़े अस्पताल उन्हीं झोला छाप डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के लोगों की जानमान कितना असुरक्षित है कि बड़े-बड़े नामी अस्पतालों में स्पेशलिस्ट तो छोड़ दीजिए रात के समय एमबीबीए डॉक्टर तक नहीं होते। भूले-भटके किसी अस्पताल के आईसीयू या इमरजेंसी में कोई एमबीबीएस मिल भी गए तो हाल के पासआउट 30 से 40 हजार वेतन वाला।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हाल ही में अस्पतालों का निरीक्षण किया तो गंभीर खामियां पकड़ी गई। बिलासपुर के एक अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर ड्यूटी में मिले, वह भी आयुर्वेदिक।
नाम सुपरस्पेशलिटी, और काम
स्वास्थ्य विभाग ने जिन 28 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की है, उनमें एक अस्पताला का नाम है सुपरस्पेशलिटी और रिसर्च सेंटर और पूरे अस्पताल में एकमात्र एमबीबीएस डॉक्टर पाए गए।
आईएमए का दोहरा मानदंड
झोला छाप डॉक्टरों को तो छोड़ दीजिए अजीत जोगी सरकार ने त्रिवर्षीय मेडिकल पाठ्यक्रम प्रारंभ किया था तो देश भर के डॉक्टर इसके विरोध में उतर आए थे। छत्तीसगढ़ आईएमए ने जुलूस निकाल दिया था। और इधर दोहरापन देखिए झोला छाप डॉक्टरों से अपना अस्पताल चला रहे हैं। खुद डॉक्टरों का मानना है कि झोला छाप डॉक्टर न मिले तो अस्पताल चलाना मुश्किल हो जाएगा। आईएमए इस शर्मनाक पहलू पर भी मौन है कि झोला छाप अस्पताल मालिकों के यहां बड़ी संख्या में एमबीबीएस और स्पेशलिस्ट नौकरी कर रहे।
भेड़-बकरी की तरह मरीज
छोटे अस्पतालों में पहले भी झोला छाप डॉक्टरों को रखा जाता था। मगर आयुष्मान योजना लागू होने के बाद बड़े अस्पताल वालों ने उनकी सेवाएं लेना प्रारंभ कर दी। दरअसल, आयुष्मान योजना का लाभ उठाने जिन मरीजों को गंभीर इलाज की जरूरत नहीं, उन्हें भी आईसीयू में लिटा दिया जाता है या फिर वार्ड में भर्ती कर लिया जाता है। चूकि मरीजों का वौल्यूम इतना अधिक बढ़ गया है कि बड़े-बड़े डॉक्टर उस हिसाब में डॉक्टर अपाइंट नहीं कर सकते। इस चक्कर में झोला छाप, बीएएमएस और होम्योपैथी वालों की डिमांड बढ़ गई है।
हेल्थ विभाग का पोर्टल
कई अस्पताल वालों ने हेल्थ विभाग के पोर्टल में भी झोला छाप डॉक्टरों का नाम लिखवा दिया है। वह इसलिए कि डॉक्टरों की संख्या दिखानी है। और हेल्थ विभाग इसे कभी चेक नहीं करता कि किस अस्पताल में कौन डॉक्टर है और उसकी योग्यता क्या है। हेल्थ विभाग का पोर्टल दूसरों को दिखता भी नहीं। इससे यह भी पता नहीं चल पाता कि किस अस्पताल में कौन झोला छाप या आयुर्वेदिक डॉक्टर पोस्टेड है।
बड़ी कार्रवाई
हेल्थ विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 15 अस्पतालों को आयुष्मान योजना के इम्पेनल से बाहर कर दिया। चार अस्पतालों को छह महीने और चार को तीन महीने के लिए योजना से निलंबित किया है। पांच को चेतावनी जारी की है।
ऐसा दावा...
सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के किसी भी अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की टीम दस्तक देकर इसकी तस्दीक कर सकता है कि अस्पतालों में झोला छाप, आयुर्वेदिक और होम्योपैथी डॉक्टर हैं कि नहीं। रात की ड्यूटी तो अधिकांश बीएएमस, होम्योपैथी और दांत वाले डॉक्टर कर रहे हैं।
आईएमए का विरोध
आईएमए ने इन कार्रवाईयों का विरोध करने का फैसला किया है। रायपुर आईएमए के अध्यक्ष डॉ0 कुलदीप सोलंकी ने अस्तपालों के निलंबन को नाजायज मानते हुए सरकार के समक्ष कई मांगे रखी है। डॉ0 सोलंकी ने यहा तक कहा है कि निलंबन बहाल न होने पर आयुष्मान योजना से अलग होने पर भी फैसला लिया जा सकता है।