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CG Private Hospital: छत्तीसगढ़ के 800 प्रायवेट अस्पतालों के मालिक डॉक्टर नहीं, आयुष्मान योजना में पैसे कमाने खोल दिया अस्पताल, आईएमए ने डॉक्टरों के लिए जारी किया व्हीप...

CG Private Hospital: छत्तीसगढ़ में छोटे-बड़े करीब 1500 अस्पताल हैं। इनमें आधे से अधिक अस्पतालों के मालिक डॉक्टर नहीं हैं। इनके मालिक कोई राजनीतिक पार्टी का नेता है तो कोई कारोबारी या भूमाफिया और बिल्डर है। ये ऐसे अस्पताल है, जो आयुष्मान योजना बंद हो जाए, तो महीने भर में उनका शटर गिर जाएगा। मगर ताज्जुब की बात यह है कि हेल्थ विभाग की जांच में इनमें से एक भी अस्पताल कार्रवाई की जद में नहीं आया है।

CG Private Hospital: छत्तीसगढ़ के 800 प्रायवेट अस्पतालों के मालिक डॉक्टर नहीं, आयुष्मान योजना में पैसे कमाने खोल दिया अस्पताल, आईएमए ने डॉक्टरों के लिए जारी किया व्हीप...
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By Gopal Rao

CG Private Hospital: रायपुर। छत्तीसगढ़ हेल्थ विभाग से एक बड़ी खबर है...सूबे में जितने प्रायवेट अस्पताल चल रहे, उनमें से आधे से अधिक अस्पतालों के मालिक डॉक्टर नहीं हैं। बताते हैं, 1500 में से करीब 800 अस्पतालों के मालिक नॉन डॉक्टर हैं। याने जिनका मेडिकल से कोई रिश्ता नहीं, वे अस्पताल चला रहे हैं।

इन नॉन प्रोफेशनल लोगों में सियासी नेता, बिजनेसमैन, भूमाफिया और बिल्डर शामिल हैं। डॉक्टर बिरादरी के गंभीर लोग भी मानते हैं कि इनका काम सिर्फ पैसा कमाना है, लोगों की सेहत और सेवा से कोई वास्ता नहीं।

हालांकि, अस्पताल चलाने के लिए डॉक्टर होना जरूरी नहीं मगर वो कारपोरेट घराने पर लागू होता है। रायपुर के बिजनेसमैन और भूमाफिया अस्तपाल का क्या संचालन करेंगे।

आयुष्मान योजना के बाद कुकुरमुत्ते जैसे

छत्तीसगढ़ में बेहिसाब प्रायवेट अस्पतालों के बढ़ने का एकमात्र कारण आयुष्मान येजना में लूटमारी है। इस योजना के शुरू होने से पहले प्रायवेट अस्पतालों में इतनी बेईमानी नहीं थी। इसमें अस्पताल वालों को कई गुनी कमाई होने लगी।

एक तो मरीजों के इलाज पर खर्च होने वाले वास्तविक पैसा उनसे प्रेशर बनाकर कैश ले लिया और बाद में उसे आयुष्मान में क्लेम कर दिया। ये तो वो हैं, जिनका वाकई इलाज हुआ। बिना इलाज किए भी याने सर्दी-खांसी में आईसीयू में बेड पर सुलाकर आयुष्मान का क्लेम बना दिया गया। हिंग लगे न फिटकिरी वाले ऐसे धंधे में भला कौन नहीं आएगा। रायपुर, बिलासपुर और भिलाई के धनपशुओं की टोली गरीबों को लूटने अस्पताल खोलकर टूट पड़ी।

हेल्थ अफसरों की बड़ी चूक

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के एंड से भी इसमें गंभीर लापरवाही बरती गई। इतनी बड़ी आयुष्मान योजना शुरू कर दी और उसकी मानिटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं की। यदि शुरू से ही जांच-पड़ताल का प्रॉपर सिस्टम बनाया गया होता तो शायद छत्तीसगढ़ के प्रायवेट अस्पताल देश भर में आयुष्मान योजना में लूटपाट के लिए बदनाम नहीं होते।

बजट 800 करोड़, क्लेम 2200 करोड़

हेल्थ विभाग को तब होश आया जब, आयुष्मान योजना का बजट था 800 करोड़ और प्रायवेट अस्पतालों ने 2200 करोड़ का क्लेम कर दिया। प्रायवेट अस्तपालों ने दोनों हाथों से लूटने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा। मजदूरों को देहारी देकर आईसीयू में भर्ती कर दिया। स्वास्थ्य विभाग की जांच में ऐसा पाया गया है।

कागजों में इलाज

आयुष्मान योजना की बिलिंग के लिए कागजों में मरीजों को भर्ती कर लिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने जिन 28 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की है, उनमें अधिकांश में जितना रजिस्टर में मरीजों का नाम लिखा था, उतने मरीज अस्पताल में नहीं मिले। जाहिर है, बिलिंग के लिए अस्पतालों ने जमकर फर्जीवाड़ा करते हुए कागजों में मरीजों का इलाज कर दिया।

आईएमए का व्हीप

बहरहाल, डॉक्टर बिरादरी में भी ऐसा नहीं कि सारे ईमान धरम बेच दिए हैं। कुछ पानी वाले लोग भी हैं। डॉक्टरों के बीच भी अब इसको लेकर खदबदाहट शुरू हो गई है। एक डॉक्टर ने एनपीजी न्यूज को अपनी पत्र लिखकर अपनी पीड़ा शेयर की थी। दूसरी तरफ आईएमए ने एक अहम स्टैंड लिया है। कुछ डॉक्टरों ने एनपीजी न्यूज को बताया, आईएमए रायपुर के प्रेसिडेंट डॉ0 कुलदीप सोलंकी ने डॉक्टरों के व्हाट्सएप ग्रुपों में मैसेज भेजकर डॉक्टरों से आग्रह किया है कि वे नॉन डॉक्टरों के अस्पतालों में नौकरी करने न जाएं। आईएमए का चिकित्सा पेशे की शुद्धिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


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Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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