Begin typing your search above and press return to search.

CG Medical College: 1224 करोड़ का एक टेंडर क्यों? चार मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग बनाने CGMC ने निकाला एक टेंडर, सवालों के घेरे में अफसर...

CG Medical College: सीजीएमएसी लगातार विवादों में घिरता जा रहा है। एनजीओ को फायर ऑडिट का काम दिए जाने की खबर 19 दिसंबर को एनपीजी न्यूज में प्रकाशित होने पर हड़कंप मचा था, तब तक एक दूसरा मामला आ गया है। छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन ने 1224 करोड़ के चार नए मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग का एक टेंडर निकाला है। याने एक ही कंपनी को हजार करोड़ से अधिक का काम मिल जाएगा। टाईम और क्वालिटी की दृष्टि से ये सही नहीं माना जाता। फिर कंसलटेंट से लेकर ड्राइंग, डिजाइन का काम भी कंपनियां करेंगी। इसका मतलब यह कि एक बार टेंडर फायनल हुआ कि सब कुछ कंपनियां के हाथ में आ जाएगा। नीचे पढ़िये क्या कहते हैं पीडब्लूडी के रिटायर इंजीनिय इन चीफ...

CG Medical College: 1224 करोड़ का एक टेंडर क्यों? चार मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग बनाने CGMC ने निकाला एक टेंडर, सवालों के घेरे में अफसर...
X
By Gopal Rao

CG Medical College: रायपुर। छत्तीसगढ़ में चार नए मेडिकल कॉलेज प्रारंभ किया जाना है। कवर्धा, मनेंद्रगढ़, जांजगीर और दंतेवाड़ा के गीदम में। वित्त विभाग ने चारों मेडिकल कॉलेजों की बिल्डिंग के लिए मंजूरी दे दी है। चारों कॉलेज भवन के लिए 306 करोड़ के हिसाब से 1224 करोड़ रुपए स्वीकृत किया गया है।

वित्त विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन ने भवन का टेंडर निकाल दिया है। इसमें तीन कंपनियों ने टेंडर भरा और टेक्निकल बिड में एपियर होने के बाद अब जल्द ही फायनेंसियल बिड ओपन किया जाएगा।

एक टेंडर पर सवाल

सीजीएमएससी ने चारों कॉलेजों के लिए अलग-अलग टेंडर करने की बजाए एक ही टेंडर किया है। इस पर सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि एक ही कंपनी को चारों मेडिकल कालेज बिल्डिंग का काम दिए जाने पर निर्माण में काफी टाईम लगेगा। चारों कॉलेजों के लिए अगर अलग-अलग टेंडर निकलता को काम फास्ट और स्मूथली होता। अलग-अलग कंपनियां होने से उनमें प्रतिस्पर्धा होती है। इससे काम की क्वालिटी अच्छी होती है। सड़कों का काम कभी भी एक ठेकेदार को नहीं दिया जाता।

कंसलटेंट और ड्राइंग, डिजाइन

छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा हो रहा कि बिना कंसलटेंट नियुक्त किए और ड्राइंग, डिजाइन के टेंडर किया गया है। सीजीएमएससी की शर्तों के अनुसार बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी ही कंसलटेंट नियुक्त करने के साथ सुपरविजन का काम करेगी। यही नहीं, भवन का डिजाइन और ड्राइंग भी वही बनाएगी। याने सीजीएमएससी चारों भवनों का कंप्लीट काम निर्माण कंपनियों को सौंप देगी। ऐसे में, प्रश्न खड़ा होता है कि कहीं कोई कॉलेजों की जरूरत के हिसाब से ड्राइंग, डिजाइन नहीं बना और कंपनियां बिल्डिंग बना दी, तो फिर उसे कौन देखेगा?

बिना लैंड भवन निर्माण

छत्तीसगढ़ सरकार ने चार मेडिकल कालेज बनाने का फैसला किया है, इसमें से कुछ के लिए अभी जगह भी तय नहीं हो पाई है। याने जगह फायनल किए बिना भवन का टेंडर की प्रक्रिया चालू कर दी गई है।

अलग-अलग टेंडर

छत्तीसगढ़ पीडब्लूडी के एक रिटायर ईएनसी का कहना है कि अलग-अलग जगहों पर अगर निर्माण कार्य होना है तो टेंडर अलग-अलग करना चाहिए। क्योंकि, कवर्धा और जांजगीर की कनेक्टिविटी बढ़ियां है, सामग्री की उपलब्धता भी होगी। इसलिए मनेंद्रगढ़ और गीदम की तुलना में इन दोनों का रेट कम होना चाहिए। क्वालिटी की मानिटरिंग भी अलग-अलट टेंडर होने पर ठीक से किया जा सकता है। पूर्व प्रमुख अभियंता ने कहा कि भले ही एक ही पार्टी को टेंडर मिल जाए, मगर एक साथ नहीं करना चाहिए।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

Read MoreRead Less

Next Story