Bachon me kahani sunane ki jid Koi samasya to nahi: अगर आपका भी बच्चा रोज कहानी सुनाने की करता है जिद, तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान! जानिए यह कोई मानसिक समस्या तो नहीं?
Bachon me kahani sunane ki jid Koi samasya to nahi: हम सभी में से हर व्यक्ति अपने दादा-दादी या नाना–नानी से परियों और भगवानों की कहानी सुनकर बड़े हुए हैं और ऐसे ही जब भी हमारे घर में कोई छोटा बच्चा होता है तो वह रात को सोते समय या किसी भी टाइम कहानी सुनने की जिद करता है। इसके पीछे की साइंस आपको जरूर समझनी चाहिए...

Bachon me kahani sunane ki jid Koi samasya to nahi: हम सभी में से हर व्यक्ति अपने दादा-दादी या नाना–नानी से परियों और भगवानों की कहानी सुनकर बड़े हुए हैं और ऐसे ही जब भी हमारे घर में कोई छोटा बच्चा होता है तो वह रात को सोते समय या किसी भी टाइम कहानी सुनने की जिद करता है। बच्चे इन कहानियों को अपनी वास्तविक जीवन से जोड़कर देखते हैं वह कहानी के किरदार को खुद में ही ढाल लेते है और नायक या नायिका की जगह खुद को इमेजिन करने लगते हैं। अगर आपका भी बच्चा लगातार इस तरह की जिद कर रहा है तो इसके पीछे की साइंस आपको जरूर समझनी चाहिए...
कहानी सुनने की जिद: कोई समस्या तो नहीं
अगर आपका भी बच्चा इस तरह की जिद करने लगे तो यह घबराने वाली बात बिल्कुल भी नहीं है। बच्चे जब छोटे होते हैं तो उनमें कल्पना शक्ति विकसित हो रही होती है जिसके वजह से बच्चों में नई-नई चीजों को जानने की इच्छा पैदा होती है इसके लिए माध्यम कोई भी हो सकता है जैसे कहानी, कविता या खेल। जब बच्चे कहानियों में डूबते हैं तो उनके मन में कहानी के सीन और पात्रों की छवियां अपने आप बनती जाती हैं। यह कार्य बच्चों के दिमाग की कल्पना और रचना करने की क्षमता को सक्रिय करता है। कहानी सुनते वक्त बच्चे केवल सुनते ही नहीं है वह अपने मन में एक पूरी दुनिया बना लेते हैं। और इसको लेकर कई मनोवैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि बच्चों में भाषा और शब्द भंडार का विकास कहानियों से ही अधिक होता है।
कहानी सुनना बच्चों के लिए है लाभदायक
बच्चों का दिमाग काफी सरल और लचीला होता है। जब ये कहानी सुनते हैं तो उनके मस्तिष्क में नई–नई तंत्रिका कड़ियां (Nerves) बनने लगती है। ये तंत्रिकाएं बच्चों की याददाश्त, समझ और सोचने की क्षमता को मजबूत करती हैं। बच्चों को कहानियों के माध्यम से किसी चीज को याद कराना काफी आसान होता है इसलिए जो बच्चे बचपन में खूब कहानियां सुनते हैं वो पढ़ाई में भी बेहतर होते हैं क्योंकि उनका दिमाग जानकारी को प्रोसेस करने में ज्यादा माहिर होता है। कहानियां सुनने से बच्चों में समस्या समाधान कौशल भी विकसित होता है।
बच्चों में इमेजिनेशन पावर का बढ़ना
जब भी हम किसी बच्चे को कहानी सुनाते हैं तो वह उस कहानी के किरदार को अपने अंदर समा लेता है। उदाहरण के लिए यदि किसी बच्ची को कोई राजकुमारी की कहानी सुनाई जाए तो वह खुद को भी राजकुमारी समझने लगती है। इससे बच्चे का दिमाग किसी भी बोले गए शब्दों को इमेजिन करने के लिए प्रशिक्षित होता है जिससे वह किसी भी कार्य को करते समय लिमिट के बाहर भी जाकर भी सोच सकते हैं। यह छोटी-छोटी बातें बच्चों के पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए बहुत जरूरी है।
कहानी से बच्चों में भावनाओं का विकास
अक्सर सभी कहानियां बच्चों को कुछ ना कुछ सीख जरूर प्रदान करती हैं। बच्चों की कहानियों में खुशी, उदासी, क्रोध, भय और दया जैसी भावनाएं भरी होती हैं, जिन्हें बच्चे सीखते हैं। उदाहरण के लिए जब कहानी में कोई दुखभरा सीन आता है तो बच्चा भावुक हो जाता है, जब खुशी होती है तो वह मुस्कुराने लगता है और जब कोई गलत काम होता है तो वह गुस्सा हो जाता है। यह सभी रिस्पांस यह बताती है कि बच्चा इन कहानियां को अपनी भावनाओं से जोड़ रहा है जिससे उसकी इमोशनल बुद्धि भी विकसित हो रही है।
