Ayushman Yojana: छत्तीसगढ़ के बड़़े अस्पतालों में नेताओं और नौकरशाहों का पैसा...इसलिए निरंकुशता के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं, पहली बार सरकार ने दिखाया दम...
Ayushman Yojana: आयुष्मान योजना में मरीजों की जेब काटने और सरकार को चूना लगाने वाले अस्पतालों के खिलाफ आज स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 15 अस्पतालों को योजना से बाहर का रास्ता दिखाया तो आठ का पंजीयन निलंबित कर दिया। वहीं पांच को चेतावनी जारी की गई है।

Ayushman Yojana: रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने पहली बार ऐसे बड़े अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनके इशारे पर सरकारें घुमती थी। यही वजह है कि अस्पतालों के इम्पेनलमेंट से निष्कासन और सस्पेंशन का आदेश NPG.NEWS पर ब्रेक हुई तो हड़कंप मच गया। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि इतने बड़े अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई कैसे हो गई।
जिन अस्पतालों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की है, उनमें रायपुर, बिलासपुर और भिलाई के अस्पताल ज्यादा हैं। 28 में से 20 अस्पताल ऐसे हैं, जो आयुष्मान योजना लागू होने से पहले खराब स्थिति से जूझ रहे थे। इस योजना के आते ही इन अस्पतालों ने एक्सपेंशन करते हुए बड़ा अम्पायर बना दिया। मरीजों की जेब पर डाका डालने वाले इन अस्पतालों के संचालकों की दिन-दूनी, रात चौगुनी तरक्की देखकर लोग हैरान हैं कि डॉक्टरी में कौन सी ऐसी लाटरी लग सकती है कि आदमी कहां से कहां पहुंच गया।
नेताओं और नौकरशाहों का पैसा
ये बात अब किसी से छिपी नहीं कि रायपुर के कई अस्पतालों में नेताओं और नौकरशाहों का पैसा लगा है। दोनों ताकतवर वर्ग की साझीदारी की वजह से किसी सरकार ने कभी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की साहस नहीं जुटा पाई। लोग कहा करते थे कि इन लोग सरकार चलाते हैं। मगर स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई से यह भ्रम टूट गई।
कानोकान खबर नहीं
अमित कटारिया को हेल्थ सिकरेट्री बनाने के साथ ही मैसेज था कि सीजीएमएससी के साथ ही स्वास्थ्य विभाग को ठीक करना है। अमित ने ज्वाईन करने के बाद ही मैराथन मीटिंगों का दौर चालू कर दिया था। आयुष्मान योजना में गड़बड़ियों को लेकर उन्होंने इस ढंग से टीम बनाई कि किसी को कुछ पता नहीं चला। टीमें जब निरीक्षण करने गई तब भी अस्पताल संचालक ओवरकांफिंडेंस में थे कि ऐसे निरीक्षण तो पहले भी होते रहे हैं।
फायनली जब कार्रवाई की लिस्ट बन गई तब जरूर कुछ नाम कहीं से लीक हुए और अपुष्ट खबर है कि कुछ को सस्पेंशन की जगह चेतावनी लिस्ट में डाला गया, वहीं दो-तीन और नामों की चर्चा थी, मगर लिस्ट में वो दिखी नहीं। मगर ये चर्चाएं ही हैं। बहरहाल, जिलों के सीएमओ को जब कार्रवाई का आदेश भेजा गया तो बड़े अस्पतालों के पैरों तले जमीन खिसक गई। 15 अस्पताल को बाहर ही हो गए। आठ अस्पताल छह और तीन महीने के लिए सस्पेंड।
अफसरों पर बड़ा प्रेशर
कार्रवाई की भनक लगते ही हेल्थ विभाग के अफसरों पर नेताओं, नौकरशाहों और मेडिकल माफियाओं का प्रेशर आने लगा। मेडिकल माफियाओं ने मुख्यमंत्री तक पैगाम भिजवाने का प्रयास किया मगर उनसे संपर्क नहीं हो पाया। सरकार ने अफसरों से पहले ही कह दिया था कि जीरो टॉलरेंस रखना है। अफसरों ने वो कर दिया।
कई बड़े मगरमच्छ बच गए
हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई में रायपुर, बिलासपुर और भिलाई के कई बड़े मगरमच्छ बच गए हैं। उन अस्पतालों में आयुष्मान योजना में बड़े स्तर पर खेला होने का प्रमाण लोगों के पास है। अगर टीम वहां धमक जाए, तो बड़ा स्कैम निकलेगा।