शनिवार, 14 अक्टूबर को विश्व हॉस्पिस एवं पैलिएटिव केयर दिवस के अवसर पर संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के द्वारा पैलिएटिव केयर पर जागरूकता लाने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे राज्य के अलग अलग अस्पतालों के चिकित्सक व कैंसर विशेषज्ञ उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के फाउंडर डॉ यूसुफ मेमन, पेन एवं पैलिएटिव केयर विशेषज्ञ डॉ अविनाश तिवारी, रक्त रोग एवं ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ विकास गोयल, सीनियर कैंसर सर्जन डॉ अर्पण चतुर्मोहता, सीनियर कैंसर सर्जन डॉ दिवाकर पांडेय, कीमोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ अनिकेत ठोके, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ राकेश मिश्रा, सीनियर दर्द निवारक विशेषज्ञ डॉ हितेन मिस्त्री मौजूद थे।
इस अवसर पर पेन एवं पैलिएटिव मेडिसिन विभाग संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल के कंसल्टेंट डॉ अविनाश तिवारी जो की विषय के राज्य के एकमात्र विशेषज्ञ डॉक्टर हैं एवं पूर्व में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई, एवं एम्स जैसी संस्थाओं में अपनी सेवाएं दे चुके हैं, ने पैलिएटिव केयर व कैंसर से संबंधित दर्द व अन्य समस्याओं के बारे में जानकारी साझा की, व बताया की पैलिएटिव केयर के बारे में भ्रांतियां मरीज तथा चिकित्सकों के मध्य में भी हैं, इस कारण मरीज कैंसर जैसी बीमारी से जुड़ी समस्याओं को लेकर पैलिएटिव केयर विशेषज्ञ तक नहीं पहुंच पाते हैं। अगर कैंसर ट्रीटमेंट के साथ साथ पैलिएटिव केयर का भी साथ में चुनाव किया जाए तो ऐसे मरीजों की जीवन की गुणवत्ता मे काफ़ी सुधार लाया जा सकता है।
डॉ यूसुफ मेमन ने बताया की पैलिएटिव केयर को कैंसर ट्रीटमेंट के साथ देने से मरीज की तकलीफ को नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ विकास गोयल, डॉ अर्पण चतुर्मोहता, डॉ दिवाकर पांडेय, डॉ अनिकेत ठोके एवं डॉ राकेश मिश्रा ने कैंसर ट्रीटमेंट एवं केयर में पैलिएटिव केयर के महत्व के बारे में अपने मरीजों से जुड़े उदाहरणों के बारे में बताते हुए अपने अनुभव साझा किए। डॉ हितेन मिस्त्री ने कैंसर पेन के मैनेजमेंट से जानकारी भी साझा की तथा बताया के कैंसर पेन मैनेजमेंट में पैलिएटिव केयर एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
क्या है पैलिएटिव केअर- किसी बड़ी या गंभीर बीमारी के मरीज के दर्द तथा अन्य तकलीफदेह लक्षण को कम करके उसके दिनचर्या और दैनिक जीवन को बेहतर करना पैलिएटिव केअर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसमें साइंटिफिकल्की दवाइयों के प्रयोग के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक भावनात्मक आध्यात्मिक रणनीतिया तथा सपोर्ट का भी बहुत बड़ा योगदान होता है। पैलिएटिव केअर रोगियों और उनके परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है, जो जीवन के लिए गंभीर बीमारी से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, चाहे वह शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक या आध्यात्मिक हो व कैंसर जैसे अन्यबीमारी में बीमारी के लिए चल रहे इलाज कि साथ साथ एक अतिरिक्त सपोर्ट सुनिश्चित करता है ताकि “जीवन में सिर्फ़ दिन नहीं दिनों में जीवन भी जुड़े” । यह शोध में देखा गया है इस के द्वारा मरीज और उनके परिवार के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।यह साक्ष्य आधारित अभ्यास पर आधारित विज्ञान की एक विशिष्टता है, न कि एक कौशल जो अनुभव के साथ आता है जो की एक आम धारणा है , इसके डॉक्टर व टीम इस विषय में अन्य स्पेशलिटी की तरह ही प्रशिक्षित होते है , इसलिए चिकित्सा की अन्य शाखा की तरह उचित प्रशिक्षित टीम से ही सलाह लेना महत्वपूर्ण है, यह चिकित्सा की एक अनूठी शाखा है
पैलिएटिव केअर की आवश्यकता – इसके जरूरत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर इंसान को अपने जीवन मे पैलिएटिव केअर की जरूरत लगभग पड़नी ही है और वो भी एक बार नही कई कई बार इसकी जरूरत पड़ सकती है। इसलिए ये मेडिकल साइंस हर किसी के जीवन मे बहुत ही अहमियत रखता है,भले ही आप इसके बारे में जानते हों या न जानते हों। WHO के अनुसार प्रत्येक वर्ष, अनुमानित 40 मिलियन लोगों को पैलिएटिव केअर की आवश्यकता होती है; उनमें से 78% लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।दुनिया भर में, केवल लगभग 14% लोग जिन्हें पैलिएटिव केअर की आवश्यकता होती है, वे वर्तमान में इसे प्राप्त करते हैं।
पैलिएटिव केअर का महत्व - अब जरा सोचिए कोई कैंसर,किडनी,लिवर,हार्ट की गंभीर बीमारी के दर्द से सालों/महीनों से गुजर रहा है या किसी लाइलाज़ बीमारी के आखिरी स्टेज से गुजर रहा हो,तो वो अपने दर्द के भावनात्कम, मनोवैज्ञानिक, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक पहलू से कितने समय से गुजर रहा होता है और उसका दर्द कितना गुना बढ़ चुका होता है। लेकिन मरीज़ का केवल उसके शारीरिक लक्षण के आधार पर ही ईलाज होता रहता है। यहाँ तक कि ऐसे मरीजों को ICU में भी बहुत कम ही राहत मिल पाता है। यहीं पैलिएटिव केअर की जरूरत पड़ती है। किसी लाइलाज़ बीमारी के मरीज का दर्द कम करना, किसी मरीज को अंतिम समय में बेहतर जिंदगी देना पैलिएटिव केअर है।आबादी की उम्र बढ़ने और गैर-संचारी रोगों और कुछ संचारी रोगों के बढ़ते बोझ के परिणामस्वरूप उपशामक देखभाल की वैश्विक आवश्यकता बढ़ती रहेगी।