AIIMS Warning on Air Purifier : सावधान : आपका एयर प्यूरीफायर घर में फैला रहा ज़हर? एम्स के डॉक्टर ने दी चेतावनी, फेफड़ों को हो सकता हैं गंभीर नुकसान
AIIMS Warning on Air Purifier : देश के कई हिस्सों में बढ़ते प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए घरों और दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। लोग इसे शुद्ध हवा पाने का एक ज़रूरी साधन मान रहे हैं

AIIMS Warning on Air Purifier : सावधान : आपका एयर प्यूरीफायर घर में फैला रहा ज़हर? एम्स के डॉक्टर ने दी चेतावनी, फेफड़ों को हो सकता हैं गंभीर नुकसान
AIIMS Warning on Air Purifier : नई दिल्ली। देश के कई हिस्सों में बढ़ते प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए घरों और दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। लोग इसे शुद्ध हवा पाने का एक ज़रूरी साधन मान रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका यही उपकरण आपके स्वास्थ्य के लिए ज़हर बन सकता है? अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पीडियाट्रिक विभाग के विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु भदानी ने इस संबंध में एक गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने बताया है कि एयर प्यूरीफायर खरीदते समय कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान न रखने पर यह फायदे की जगह नुकसान पहुँचा सकता है, जिसका सीधा और गंभीर असर हमारे फेफड़ों (Lungs) पर पड़ सकता है।
AIIMS Warning on Air Purifier : डॉ. हिमांशु भदानी ने स्पष्ट किया कि सभी एयर प्यूरीफायर हानिकारक नहीं होते, लेकिन बाज़ार में कुछ ऐसे मॉडल्स मौजूद हैं जो हवा को साफ करने की प्रक्रिया में ओज़ोन गैस उत्सर्जित करते हैं। यह ओज़ोन गैस साँस के ज़रिए सीधे फेफड़ों में पहुँचती है और हमारे शरीर को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाती है। डॉ. भदानी के अनुसार, हमें यह समझना होगा कि वह ओज़ोन जो सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों को पृथ्वी पर सीधे आने से रोकती है, वह वायुमंडल के ऊपरी हिस्से में होती है। लेकिन किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से निकलकर हमारे आसपास के वातावरण में घुलने वाली ओज़ोन गैस बेहद ख़तरनाक मानी जाती है, और यहाँ तक कि कम मात्रा में भी इसका एक्सपोज़र स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
AIIMS Warning on Air Purifier : प्यूरीफायर में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रिक चार्ज के कारण यह ओज़ोन गैस बन जाती है। जब यह गैस हवा में घुल जाती है और हम इसे लगातार साँस के साथ अंदर लेते हैं, तो इससे छाती में जलन की समस्या शुरू हो सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ओज़ोन के लगातार संपर्क में रहने से साँस लेने में परेशानी, खांसी और फेफड़ों में सूजन जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें स्पष्ट कहा गया है कि घर के अंदर ओज़ोन वाली हवा फेफड़ों को गंभीर क्षति पहुँचा सकती है और यह अस्थमा जैसी मौजूदा साँस संबंधी बीमारियों को और भी बदतर बना सकती है।
डॉ. भदानी ने विशेष रूप से उन लोगों के लिए ख़तरा बताया है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity) कमजोर है या जिनके फेफड़ों का विकास अभी हो रहा है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को ओज़ोन उत्सर्जित करने वाले एयर प्यूरीफायर से सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है। ऐसे छोटे बच्चों में ओज़ोन का एक्सपोज़र उनके फेफड़ों की कार्यक्षमता (Lung Capacity) को स्थायी रूप से कम कर सकता है। बच्चों के अलावा, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), और ब्रोंकाइटिस जैसी पुरानी साँस की बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों पर भी इसका गंभीर नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे उनकी स्वास्थ्य समस्याएं पहले की तुलना में तेजी से बढ़ सकती हैं।
डॉक्टर ने सलाह दी है कि ग्राहकों को एयर प्यूरीफायर खरीदते समय बहुत सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह पहचानना आसान है कि कौन सा प्यूरीफायर ओज़ोन उत्सर्जित कर रहा है। यदि प्यूरीफायर पर 'आयनाइज़र' (Ionizer) या 'इलेक्ट्रिक चार्ज' जैसे शब्द लिखे हों, तो इसका अर्थ है कि इसमें ओज़ोन गैस निकलने की संभावना है, और ऐसे उपकरणों को खरीदने से बचना चाहिए।
इसके विपरीत, डॉ. भदानी ने HEPA (High-Efficiency Particulate Air) फिल्टर वाले प्यूरीफायर खरीदने की सलाह दी है। ये HEPA फिल्टर यांत्रिक (Mechanical) तरीके से हवा को साफ करते हैं, जिनमें ओज़ोन गैस का उत्सर्जन नहीं होता है, और इसलिए ये किसी भी तरह से स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक नहीं होते। अंत में, एम्स के डॉक्टर का स्पष्ट संदेश है कि प्रदूषण से बचाव ज़रूरी है, लेकिन इसके लिए ऐसे सुरक्षित उपकरण चुनें जो वास्तव में हवा को साफ करें, न कि आपके घर में ही चुपके से ज़हर फैला दें।
