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Regional Centre for Biotechnology: स्टडी में हुआ खुलासा- उच्च तापमान में अधिक खतरनाक बन जाता है डेंगू वायरस

Regional Center for Biotechnology: राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) के शोधकर्ताओं ने कहा है कि जानलेवा बीमारी डेंगू को फैलाने वाला वायरस उच्च तापमान में और ज्‍यादा खतरनाक हो जाता है।

Regional Centre for Biotechnology: स्टडी में हुआ खुलासा- उच्च तापमान में अधिक खतरनाक बन जाता है डेंगू वायरस
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By Npg

Regional Centre for Biotechnology। राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) के शोधकर्ताओं ने कहा है कि जानलेवा बीमारी डेंगू को फैलाने वाला वायरस उच्च तापमान में और ज्‍यादा खतरनाक हो जाता है।यह शोध डेंगू की गंभीरता और उग्रता का अनुमान लगाने और उसे कम करने में मदद कर सकता है। शोध प्रति वर्ष 390 मिलियन मामलों पर ग्लोबल वार्मिंग प्रभावों की ओर इशारा करता है।

यह अध्ययन हाल ही में अमेरिका के 'द फेडरेशन ऑफ अमेरिकन सोसाइटीज ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी' जर्नल में प्रकाशित हुआ था। शोध दल का नेतृत्व करने वाले डॉ. ईश्वरन श्रीकुमार ने कहा कि मच्छरों के शरीर का तापमान अन्‍य जानवरों की तरह स्थिर नहीं होता है। यह पर्यावरणीय तापमान के साथ बढ़ता या घटता रहता है। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि उच्च तापमान वृद्धि की स्थिति क्या होगी जो वायरस की उग्रता को प्रभावित करते हैं।

उन्‍होंने कहा कि पहली बार हमारे हालिया अध्ययन से पता चलता है कि मच्छर कोशिकाओं में वायरस उच्च तापमान में काफी अधिक खतरनाक था। श्रीकुमार के अलावा शोध दल के अन्य सदस्यों में अयान मोदक, सृष्टि राजकुमार मिश्रा, मानसी अवस्थी, श्रीजा श्रीदेवी, अर्चना सोभा, आर्य अरविंद और क्रिथिगा कुप्पुसामी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि बढ़े हुए पर्यावरणीय तापमान में रुक-रुक कर होने वाली बारिश से मच्छरों की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है, जिससे अधिक खतरनाक डेंगू वायरस में गंभीर स्थिति पैदा होने की संभावना होती है। देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे डेंगू के प्रकोप में इस पहलू पर कभी ध्यान नहीं दिया गया है।

उन्‍हाेंने कहा कि हमारा अध्ययन ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभावों और संक्रामक रोग गतिशीलता पर इसके संभावित प्रभावों की ओर इशारा करता है। पहले यह देखा गया था कि अपेक्षाकृत उच्च पर्यावरणीय तापमान मच्छरों में वायरस की अवधि को कम कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव संचरण में वृद्धि होती है।

आरजीसीबी के निदेशक प्रोफेसर चंद्रभास नारायण ने कहा कि शोधकर्ता यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि डेंगू कभी-कभी गंभीर क्यों हो जाता है। लेकिन, दशकों के शोध के बाद भी बार-बार होने वाली बीमारी को नियंत्रित करने या रोकने के लिए अभी भी कोई प्रभावी टीके या एंटीवायरल नहीं हैं। यह अध्ययन डेंगू के प्रकोप की गंभीरता की भविष्यवाणी करने के लिए महत्‍वपूर्ण साबित होगा।

अध्ययन एक माउस मॉडल पर आधारित है। शोध में पाया गया कि उच्च तापमान वृद्धि से प्राप्त विषाक्त तनाव के कारण रक्त में वायरस की उपस्थिति बढ़ गई, जिससे रक्तस्राव हुआ, हृदय और गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण अंगों में गंभीर परिवर्तन हुए जो मौत का कारण बन सकते हैं। डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो डीईएनवी के कारण होता है और संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है।

विश्व स्तर पर डेंगू की घटनाएं पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रही हैं, साथ ही रोग की गंभीरता और मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई है। जबकि अधिकांश रोगियों में यह रोग हल्का और सीमित होता है। वहीं कुछ रोगियों में यह जीवन घातक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (रक्त में बेहद कम प्लेटलेट गिनती) और शॉक सिंड्रोम का कारण बनता है।


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