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गोबर के गमला निर्माण ने संवारी महिला स्व सहायता समूह के महिलाओं का जीवन

गोबर के गमला निर्माण ने संवारी महिला स्व सहायता समूह के महिलाओं का जीवन
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By NPG News

बेमेतरा 03 जुलाई 2020। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) अन्तर्गत विकासखण्ड साजा जिला बेमेतरा के ग्राम पंचायत टिपनी के जय महामाया महिला स्व-सहायता समूह गोबर गमला निर्माण का कार्य कर रही है। गोबर गमला निर्माण में कच्चा माल के रूप मे गोबर, पीली मिट्टी, चूना, भूसा इत्यादि का उपयोग किया जाता है। एक गोबर के गमला के निर्माण में लगभग 7 (सात) रूपये की लागत आती है। अभी तक 1500 गमलों का निर्माण किया जा चुका हैं जिसमें से 1200 गमलें 15 रु. प्रति नग के दर से 18 हजार रूपयें का गमला विक्रय किया जा चुका है। जय महामाया महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि उनको गोबर से गमला बनाने की समझाईश क्लेक्टर जिला बेमेतरा एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला बेमेतरा द्वारा दिया गया था।

गोबर से गमला बनाने के मुख्य लाभ यह है, कि यह टिकाऊ होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल है तथा प्लास्टिक /पॉलीथिन के गमले के स्थान पर इनका उपयोग किया जाता है। अगर गमला क्षतिग्रस्त हो गया तो इनका अपशिष्ट खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गोबर के गमले का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वृक्षारोपण या पौधे की नर्सरी तैयार करने में हैं जिसमें गोबर के गमले में लगें पौधंे को सीधा भूमि पर रोपित कर सकते है। गोबर खाद के रूप मे अधिकांश खनिजों के कारण मिट्टी को उपजाऊ बनाता है।

मुख्यतः पौधें की मुख्य आवश्यकता नाईट्रोजन, फॉसफोरस तथा पोटेशियम की होती है। ये खनिज गोबर में क्रमशः 0.3-0.4, 0.1-0.15 तथा 0.15-0.2 प्रतिशत तक विद्यमान रहते है। मिट्टी के सम्पर्क में आने से गोबर के विभिन्न तत्व मिट्टी के कणों को आपस में बांधते है। यह पौधों की जड़ो को मिट्टी में अत्यधिक फैलाता हैं एवं मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाती है। इस प्रकार गोबर के गमलें के निर्माण सें जय महामाया महिला स्व सहायता समूह टिपनी आजीविका के साथ-साथ पर्यावरण को सवंर्धित करने में भी अपना महत्वपूण योगदान दे रही है।

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