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अच्छी खबरः किसानों को नई तकनीकी ज्ञान के साथ ही आजीविका संवर्धन हेतु कड़कनाथ, ग्रेडेड सिरोही नस्ल की बकरी, बटेल पालन जैसे कामों के लिए प्रोत्साहित कर रहा है कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर

अच्छी खबरः किसानों को नई तकनीकी ज्ञान के साथ ही आजीविका संवर्धन हेतु कड़कनाथ, ग्रेडेड सिरोही नस्ल की बकरी, बटेल पालन जैसे कामों के लिए प्रोत्साहित कर रहा है कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर
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By NPG News

कांकेर, 20 अक्टूबर 2020। कांकेर का कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को न केवल खेती संबंधी नई तकनीक से परिचित करा रहा बल्कि जीवकोपार्जन के लिए कड़कनाथ कुक्कुट की हैचरी इकाई, ग्रेडेड सिरोही नस्ल की बकरी इकाई, गीर एवं साहिवाह नस्ल की डेयरी इकाई, बटेर पालन इकाई, मत्स्य सह बतख पालन इकाई, वर्मीकम्पोस्ट इकाई, पोषण वाटिका, फलदार पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र, कांकेर की स्थापना 22 अक्टूबर 2007 को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा किया गया है। स्थापना काल से ही कृषि विज्ञान केन्द्र, कांकेर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सतत् क्रियाशील हैं। कांकेर जिले के 1065 ग्रामों में से 650 ग्रामों के लगभग 25075 कृषक किसान मोबाइल संदेश के माध्यम से जुड़े हुए हैं, जिनको समय-समय पर खेती की समसामयिक सलाह के साथ-साथ विभिन्न जानकारियां प्रदान की जा रही है।

जिले के लगभग 25 ग्रामों में कृषि विज्ञान केन्द्र की विभिन्न गतिविधियों का विस्तृत रूप से क्रियान्वयन किया गया है, जिसमें विभिन्न प्रक्षेत्र परीक्षण, अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन, कृषकों, कृषक महिलाओं, ग्रामीण युवकों को समसामयिक एवं ‘‘आवश्यकता आधारित’’ कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। साथ ही साथ जिले के कृषि एवं संबंधित विभागों के मैदानी स्तर के अधिकारियों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण का आयोजन कर उन्हे नवीन तकनीकी ज्ञान से अवगत कराने का कार्य सतत् रूप से जारी है। कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर जिले में कृषि के नवीन तकनीकियों के प्रसार के साथ-साथ कृषकों के आय वृद्धि एवं आजीविका संवर्धन हेतु समन्वित कृषि प्रणाली, पोषण सुरक्षा, फसल विविधीकरण, कृषि यंत्रीकरण, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति, उन्नत नस्ल के कुक्कुट कड़कनाथ के प्रजनन एवं उत्पादन का कार्य कर रहे हैं, इसके लिए केन्द्र में कड़कनाथ कुक्कुट की हैचरी इकाई, ग्रेडेड सिरोही नस्ल की बकरी इकाई, गीर एवं साहिवाह नस्ल की डेयरी इकाई, बटेर पालन इकाई, मत्स्य सह बतख पालन इकाई, वर्मीकम्पोस्ट इकाई, पोषण वाटिका, फलदार पौधे उत्पादन इकाई स्थापित किये गये हैं।

उल्लेखनीय कार्य…

कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा वर्ष 2015 में पोषण सुरक्षा एवं आय हेतु आदर्श पोषण वाटिका की अवधारणा स्थापित की गई, जिसमें विभिन्न सब्जियों के उत्पादन का ऐसा क्रम तैयार किया गया जिससे वर्षभर प्रतिदिन ताजी सब्जी उपलब्ध हो सके। इस पोषण वाटिका को सर्वप्रथम 70 आवासीय स्कूलों में विस्तार किया गया तत्पश्चात् सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में विस्तार हुआ। कुक्कुट की कड़कनाथ नस्ल जो कि अद्वितीय गुणों से भरपूर है, इस नस्ल की केन्द्र में कृत्रिम हैचरी वर्ष 2014-15 स्थापित कर अब तक लगभग 2 लाख नग से अधिक चूजों का उत्पादन किया जा चुका है, जिसका विस्तार कांकेर जिले सहित छत्तीसगढ़ राज्य के 25 अन्य जिले एवं 4 अन्य राज्यों में हुआ है।

समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न जोत वाले किसानों के लिए एक हेक्टेयर, दो हेक्टेयर एवं तीन हेक्टेयर रकबा वाले सिंचित एवं असिंचित मॉडल तैयार किया गया है, जिसमें फसल उत्पादन के साथ-साथ कुक्कुट पालन, बकरी पालन, मछली पालन को अपनाकर कृषकों की आय दुगुनी करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जिले में लगभग 80 से अधिक कृषकों के यहां समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल विभिन्न परियोजनाओं के अभिसरण से स्थापित किया गया है।
फसल विविधीकरण के अंतर्गत उच्चहन भूमि में लाख की खेती एवं प्राथमिक प्रसंस्करण हेतु कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में 25 से अधिक कृषक सेमियालता में लाख उत्पादन का कार्य कर रहे हैं एवं छत्तीगसढ़ राज्य आजीविका मिशन अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र में स्थापित प्रसंस्करण इकाई से लाख का प्राथमिक प्रसंस्करण कर रहे हैं।

टपक एवं सामूहिक सिंचाई, सामूहिक विपणन जैसे तकनीकों के माध्यम से सब्जी एवं अन्य उद्यानिकी फसलों के उत्पादन को जिले में बढ़ावा दिया जा रहा है। जिले में उगायी जाने वाले विभिन्न फसलों के बीज उत्पादन, ग्राम स्तर पर कार्बनिक खाद का निर्माण, मशरूम उत्पादन एवं महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सतत् रूप से कार्य किये जा रहे हैं। विभिन्न शासकीय योजनाओं जिसमें जलग्रहण प्रबंधन कार्य, कौशल विकास, हरितक्रांति विस्तार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं आदिवासी उपयोजना के साथ अभिसरण कर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं आजीविका संबंधित उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है।
कृषि यंत्रीकरण के अंतर्गत धान एवं अन्य फसलों की कतार बोनी एवं प्रसंस्करण को प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के माध्यम से बढ़ावा दिया गया है। जिले में किसानों को नीवनतम किस्मों के दलहनी फसलों के बीज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार की सहायता से दलहनी फसलों का बीज प्रक्रिया केन्द्र स्थापित किया गया है, जिसमें कृषक सहभागिता से बीज उत्पादन विभागीय योजनाओं के माध्यम से जिले के किसानों को उपलब्ध कराया जाता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर को उल्लेखनीय कार्यों के परिणाम स्वरूप भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वर्ष 2012 में ‘‘अंचल सात’’ का सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र पुरस्कार प्रदाय किया गया है। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन समय में अंचल सात के अंतर्गत मध्यप्रदेश, उड़िसा एवं छत्तीसगढ़ राज्य के 106 कृषि विज्ञान केन्द्र सम्मिलित थे। कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर को वर्ष 2015 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आउटस्टेंडिंग केविके एक्सटेंशन सर्विस एवार्ड 2015 प्रदाय किया गया। वर्ष 2016 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पुनः अंचल नौ का सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र पुरस्कार ‘‘पंडित दीनदयाल कृषि विज्ञान केन्द्र प्रोत्साहन पुरस्कार’’ प्रदाय किया गया। वर्ष 2017 में महिन्द्रो एग्री अवार्ड द्वारा राष्ट्रीय उत्कृष्ट कृषि विज्ञान केन्द्र सम्मान प्रदाय किया गया तथा वर्ष 2017 में ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा देश का सर्वोत्तम कृषि विज्ञान केन्द्र पुरस्कार प्रदान किया गया है, साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर द्वारा जिले के अंगीकृत दो कृषकों को 2015 एवं 2017 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया है।

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