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गोल्डन बाबा का निधन, कभी थे जुर्म की दुनिया के बेताज बादशाह…. कई किलों सोना पहनकर करते थे कांवड़ यात्रा, जानिए इनके बारे में

गोल्डन बाबा का निधन, कभी थे जुर्म की दुनिया के बेताज बादशाह…. कई किलों सोना पहनकर करते थे कांवड़ यात्रा, जानिए इनके बारे में
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By NPG News

नईदिल्ली 2 जुलाई 2020। गाजियाबाद के इंदिरापुरम की जीसी ग्रैंड सोसायटी में रहने वाले गोल्डन बाबा उर्फ सुधीर कुमार मक्कड़ का मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। बाबा के निधन के बाद कोविड-19 के कारण परिवार और रिश्तेदार सोसायटी में नहीं पहुंच सके। रिश्तेदार पुनीत ने बताया कि रिश्तेदारों व परिचितों को वीडियो कॉल से अंतिम दर्शन कराए गए। बाबा के निधन की खबर से सोसायटी में सन्नाटा पसरा है। रात में ही बाबा के पार्थिव शरीर को सोसायटी लाया गया था।

कभी जुर्म की दुनिया के बेताज बादशाह थे गोल्डन बाबा

गोल्डन बाबा का आपराधिक इतिहास भी रहा है, उनके खिलाफ पूर्वी दिल्ली में अपहरण, फिरौती, जबरन वसूली, मारपीट, जान से मारने की धमकी देने कई केस दर्ज हुए, वो अपने इलाके के घोषित अपराधी थे. वो गारमेंट्स के कारोबार में भी थे.

कहा जाता है कि अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने संन्यासी बनने का फैसला लिया था. वह सोने को अपना देवता मानते थे, इसलिए बदन पर कई किलो सोने के गहने पहने रहते थे. साल 1972 से उनको इसी हुलिए में देखा जा रहा था. गोल्डन बाबा अपनी सभी उंगलियों में अंगूठी के अलावा बाजूबंद और लॉकेट भी पहने रहते थे.

आभूषणों के पहने होने के चलते कोई उनकी हत्या न कर दे इसलिए उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए उन्होंने 20 से ज्यादा बॉडीगार्ड भी लगा रखे थे. पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर में रहने वाले मक्कड़ ने अपना छोटा-सा आश्रम भी बनाया था और वो हरिद्वार के कई अखाड़ों से भी जुड़े थे.

पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर में रहने वाले व बाबा के शिष्य हरीश ने बताया कि 1972 से ही बाबा को सोना पहनना काफी पसंद था। वह सोने को अपना देवता मानते थे। बाबा हर वक्त कई किलो सोना पहने रहते थे, हाथों की सारी अंगलियों में अंगूठी, हाथ में कड़ा और गले में सोने की मोटी चेन पहननते थे। गांधीनगर के अशोक गली में उन्होंने अपना छोटा-सा आश्रम भी बनाया था। इसके अलावा हरिद्वार के कई अखाड़ों से भी उनके नाम जुड़े हैं। कहा जाता है कि वह अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए अध्यात्म की शरण में आए थे।

बाबा अपने रुतबे और दिखावे के लिए भी जाने जाते थे। वह कई किलोग्राम का सोना जेवर के रूप में पहनते थे, यही वजह है कि जल्द ही उन्हें गोल्डन बाबा के नाम से जाना जाने लगा था। वह हर साल कांवड़ लेने जाते थे। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि उनकी सुरक्षा में करीब 30 निजी गार्ड लगे हुए थे।

गोल्डन बाबा हर साल हरिद्वार से कांवड़ लाते थे। इस दौरान जब वह कांवड लेकर दिल्ली वापस लौटते थे तो वह भोले बाबा की मूर्ति के पास बने शिवाल्य पर जल चढ़ाते थे। पूर्वी दिल्ली में नाम कमाने वाले गोल्डन बाबा फिलहाल साहिबाबाद में अपने परिवार के साथ रह रहे थे।

बाबा ने गीता कॉलोनी श्मशान घाट का काफी सुंदरीकरण किया है, घाट के बाहर लगी भोले बाबा की मूर्ति की वह अकसर पूजा करते थे। गोल्डन बाबा जब कांवड लेकर वापस लौटते थे तो वह भोले बाबा की मूर्ति के पास बने शिवाल्य पर जल चढ़ाते थे। पिछले काफी समय से बाबा साहिबाबाद में अपने परिवार के साथ रह रहे थे, उनका लगाव गीता कॉलोनी श्मशान घाट से था। इसलिए उनका अंतिम संस्कार गीता कॉलोनी में किया गया। कोरोना की वजह से बहुत कम लोग ही इसमें शामिल हुए।

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