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गोधन न्याय योजना बनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संजीवनी : गोबर बेच मुन्ना चढ़ा हवाई जहाज में…..तो सीता ने किया हसबैंड को बाइक गिफ्ट…नरेंद्र ने खोली अपनी डेयरी…..गोधन न्याय योजना ने कैसे बदली गुरबत में जी रहे इन लोगों की किस्मत…पढ़िये

गोधन न्याय योजना बनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संजीवनी : गोबर बेच मुन्ना चढ़ा हवाई जहाज में…..तो सीता ने किया हसबैंड को बाइक गिफ्ट…नरेंद्र ने खोली अपनी डेयरी…..गोधन न्याय योजना ने कैसे बदली गुरबत में जी रहे इन लोगों की किस्मत…पढ़िये
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By NPG News

रायपुर 13 जनवरी 2021। मुन्ना पहली दफा हवाई जहाज में चढ़ा…..दिनेश और सीता के घर बाइक आ गयी….तो, नरेंद्र ने खोल ली डेयरी!! ….गोबर बिक्री कर सिर्फ इन्ही लोगों की किस्मत नहीं बदली, बल्कि रमेश, परमेश्वर, तीरथ भी मालामाल हो गया। मुख्यमंत्री की गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी बन गयी है। जिसके घर मवेशी है, उसकी तो छोड़िये…गोधन योजना तो उन लोगों के लिए भी वरदान बन गयी है, जिसके घर एक भी मवेशी नहीं है। घूम-घूमकर गोबर इकट्ठा करने वाले लोग भी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से हजारों कमा रहे हैं। 5 माह से भी कम वक्त में इस योजना ने 1 लाख से ज्यादा लोगों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल दी है। मुख्यमंत्री की इस अति महत्वाकांक्षी योजना ने ग्रामीणों की आय की नयी राह तैयार कर दी है।

20 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली पर्व पर इस योजना को लांच किया था। योजना के ऐलान के वक्त शायद ही किसी को यकीन था कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की चमक बढ़ जायेगी। 5 माह से भी कम वक्त में प्रदेश में 33 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी हो चुकी है। और इसके एवज में लाखों रुपये ग्रामीणों में वितरित किया जा चुका है। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस योजना की कामयाबी पर गदगद हैं। शायद ही कभी कोई मंच छूटता हो, जहां मुख्यमंत्री गोधन न्याय योजना का जिक्र नहीं करते हैं।

10 किश्तों में 64 करोड़ से ज्यादा राशि बांटी गयी

राज्य सरकार की तरफ से हर 15 दिन में गोबर विक्रेताओं को राशि आवंटित होती है। 5 महीने के दौरान 10 किश्तों में गौपालकों के खाते में 64 करोड़ रुपये वितरित हो चुकी है। प्रदेश में 7 हजार 824 गौठान स्वीकृत किए गए हैं। जिनमें से 4 हजार 704 गौठान पूरे हो गए हैं। इनमें से 4 हजार 173 गौठान सक्रिय हैं। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक 32 लाख 10 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। गोबर से गौठानों में तैयार की गई 8 हजार 50 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट की अब तक बिक्री की जा चुकी है। गौठानों में किसानों ने लगभग 5 करोड़ रूपए मूल्य का पैरा दान किया है।

गोबर की कमाई से मुन्ना चढ़ाई हवाई जहाज पर

कोई सोच सकता है क्या कि गोबर बेचकर कोई इंसान हवाई सफर कर सकता है। लेकिन अगर छत्तीसगढ़ जैसा राज्य और भूपेश बघेल जैसा मुख्यमंत्री हो तो सब कुछ संभव है। यूपी का रहने वाला मुन्ना बीजापुर के पुसनार में मजदूरी करता था। लेकिन जब से मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना लांच की, मुन्ना गोबर बिक्री में जुट गया। मुन्ना के घर खुद भैस और गाय है, बाकि वो काफी गोबर घूम-घूमकर इकट्ठा कर लेता है। लॉकडाउन में जब काम धंधा बंद था तो मुन्ना ने गोबर बेचकर करीब 18 हजार रुपये कमाये । इस दौरान जब उसकी मां का यूपी में निधन हो गया तो वो 20 नवंबर को ट्रेन और बस के बजाय हवाई जहाज से मां के अंतिम दर्शन के लिये गया। गोबर की कमाई से मुन्ना पहली दफा हवाई जहाज में चढ़ा।

दिनेश के घर आयी नयी बाइक

मुन्ना की तरह ही दिनेश के दिन भी गोबर बिक्री से संवर गये। कभी दो जून के लिए उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी, आज दिनेश के घर गोबर बेचकर रौशन हो रहा है। दिनेश के बच्चे गोबर बिक्री से मिले पैसों से पढ़ाई कर रहे हैं। सूरजपुर के कृष्णपुर के रहने वाले दिनेश राजवाड़े ने 10,191 किलो गोबर से 20 हजार 382 रुपये कमाये थे। उन पैसों से वो बच्चों की पढ़ाई करा रहा है, तो वहीं दूध बेचने जाने के लिए उसने खुद के लिए बाइक खरीद ली है। अब वो सूरजपुर शहर बाईक से आता है। गोबर ने दिनेश की दुनिया बदल दी है।

सीता ने पति को गिफ्ट किया बाइक

कोरिया की सीता पिपरिया में रहती है। वो 12वीं पास है, लेकिन उसके पास कोई रोजगार नहीं था, लेकिन अब गोबर बेचती है और मिले पैसे से अपने परिवार को बेहतर ढंग से बाल रही है। उसकी सालों से इच्छा थी कि एक बाइक उसके पास हो, लेकिन पैसे नहीं थे। मुख्यमंत्री की गोधन न्याय योजना से उसने आय का नया जरिया ढूंढ निकाला। अब तक वो 40 टन गोबर बेच चुकी है और वो 80 हजार रुपये कमा चुकी है। सीता के पास अभी 13 गाय और बैल है। गोबर बेचकर उसने अपने पति को बाइक गिफ्ट की है। वो सीता मनमर्जी से अपने रिश्तेदारों के घर बाइक से ही आती जाती है।

नरेंद्र ने डेढ़ लाख कमाकर खोली डेयरी

बालोद के नरेंद्र सिन्हा ने 69 हजार 972 किलो गोबर बेची है जिसके एवज में उसने 1 लाख 40 हजार कमाये हैं। मिले पैसे से नरेंद्र अब डेयरी चला रहा है। उसने 90 हजार की एक गाय और 50 हजार की एक गाय खरीदी है और उससे मिले दूध का वो व्यापार कर रहा है। उसका परिवार अब खुशहाल है।

तीरथ ने मंगलसूत्र, तो परमेश्वर व रमेश ने खरीदी बाइक

कवर्धा के तीरथ राम ने आज तक शादी के बाद अपनी पत्नी को कोई गिफ्ट नहीं दिया था। गोबर बेचकर जब उसके पास पैसे आये तो सबसे पहले उसने अपनी पत्नी के लिए एक मंगलसूत्र खरीदा और पत्नी को गिफ्ट किया। वहीं बेमेतरा के परमेश्वर ने 28,476 किलो गोबर बेचकर 56,952 रुपये कमाये। इस पैसे से परमेश्वर ने बाइक खरीदी है। रमेश ने तो गोबर बेचकर 55 हजार से ज्यादा कमाये थे। बेमेतरा के रमेश के पास खुद की 8 मवेशी है, वो गांव के अन्य लोगों की भी मवेशी चराया करता है। इस दौरान वो गोबर इक्ट्ठा कर उसे बेचने का काम करता है। अब उसकी जिंदगी बहुत मजे में कट रही है।

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