जजों की पत्नियों व महिला जजों पर आपत्तिजनक टिप्प्णी मामले में पूर्व जस्टिस गिरफ्तार…. सोशल मीडिया पर की थी टिप्पणी… चेन्नई की पुलिस ने किया गिरफ्तार
चेन्नई 2 दिसंबर 2020। जजों की पत्नियों और महिला जजों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में पूर्व हाईकोर्ट जज सीएस कर्णन (Justice CS Karnan) जस्टिस कर्णन पहले ही न्यायपालिका पर अपनी टिप्पणियों को लेकर विवादों में घिरे रहे हैं. 9 मई 2017 को सात जजों की बेंच ने जस्टिस कर्णन को अवमानना (Contempt Of Court) का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा सुनाई थी, ताजा मामले से उनकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं.को गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोप है कि पूर्व जज जस्टिस सीएस कर्णन ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीशों के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक और मानहानि करने वाली टिप्पणी की और उन्हें ऑनलाइन पोस्ट किया. इस आरोप में चेन्नई पुलिस ने बुधवार को उनकी गिरफ्तारी की है.
हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कर्णन ने महिला न्यायाधीशों और जजों की पत्नियों के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद उसे ऑनलाइन पोस्ट किया था, जो यू ट्यूब के जरिये सबके सामने आया. दरअसल, जस्टिस कर्णन पहले ही न्यायपालिका पर अपनी टिप्पणियों को लेकर विवादों में घिरे रहे हैं. 9 मई 2017 को सात जजों की बेंच ने जस्टिस कर्णन को अवमानना का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा सुनाई थी, लेकिन वह फरार थे. जुलाई में उनकी गिरफ्तारी हुई. गौरतलब है कि 23 जनवरी 2017 को जस्टिस कर्णन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के वर्तमान 20 जजों की लिस्ट भेजी थी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस कर्णन को अवमानना नोटिस जारी किया था. 9 फरवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट से अवमानना नोटिस जारी होने के बाद कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को खत लिखा. इस खत में कहा गया है कि हाई कोर्ट के मौजूदा जस्टिस के खिलाफ कार्यवाही सुनवाई योग्य नहीं है. जस्टिस कर्णन ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर के रिटायर होने के बाद होनी चाहिए. अगर बहुत जल्दी हो तो मामले को संसद रेफर किया जाना चाहिए.
इस दौरान न्यायिक और प्रशासनिक कार्य वापस कर दिए जाने चाहिए. चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली सात जजों की बेंच पर सवाल उठाते हुए जस्टिस कर्णन ने उन पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया था. जस्टिस कर्णन को हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस न बनाए जाने और फिर तबादला होने के बाद यह मामला शुरू हुआ था.