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विदेश का क्रेज और कोरोना-1…तरकश के तीर

विदेश का क्रेज और कोरोना-1…तरकश के तीर
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By NPG News

29 मार्च 2020
छत्तीसगढ़ से करीब ढाई हजार स्टूडेंट्स विदेशों में पढ़ते हैं। उनके अलावा छत्तीसगढ़ से इस बार लगभग 400 लोग होली मनाने दुबई, लंदन, हांगकांड और इटली गए थे। ये सभी अब छत्तीसगढ लौट चुके हैं। ट्रेवल एजेंसियों के जिम्मेदार लोग बताते हैं, होली में छत्तीसगढ़ से 12 सौ से 15 सौ लोग विदेश जाते हैं। कोरोना के चलते ये संख्या इस बार तिहाई में रही। बावजूद इसके, इन चार सौ लोगों का होली में फॉरेन जाना दुःसाहस नहीं है? ऐसे समय में जब इंडिया में कोरोना का दस्तक हो चुका था। अबकी होली में भी कोरोना का असर दिखा भी। लेकिन, ये 400 लोग फॉरेन का मोह नहीं छोड़ पाए। वैसे, अब सिर्फ और सिर्फ स्टेट्स सिंबल के लिए बच्चों को लंदन में पढ़ाने वाले लोगों को अब विचार करना चाहिए। ये ढाई हजार बच्चे ऐसे नहीं हैं, जो कैट और जीमेट क्लियर करके विलायत गए हैं। या फिर कैंब्रिज अथवा हार्वर्ड में पढ़ रहे हों। ये केवल पैसे के जोर पर वहां दाखिला लिए हैं। कोरोना के चलते छत्तीसगढ़ में जितने लोग क्वारंटाइन किए गए हैं, उनमें से अधिकांश लोग विदेश से लौटे हुए हैं। ऐसे में, विदेश प्रेम पर प्रश्न तो उठेंगे ही।

विदेश का क्रेज और कोरोना-2

बेटों को विलायत में पढ़ाने का क्र्रेज लोगों में किस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि दो परिवारों को कोरोना में क्वारंटाइन होना पड़ गया। यह मामला राजधानी के एक पार्षद के परिवार से जुड़ा है। कुछ दिन पहले तक बीजेपी में रहे ठेकेदार पार्षद ने अपने बेटे को विलायत भेजा तो घर में बवाल मच गया। छोटे भाई की पत्नी ने छत को सिर पर उठा लिया कि मेरा बेटा भी लंदन जाएगा। पार्षद ने भतीजे को भी विलायत भेज कर घर का महाभारत शांत कराया। लेकिन, अब दोनों को विलायत से भाग कर रायपुर आना पड़ा है। दोनों फेमिली अब क्वारंटाइन में हैं।

सीएम सचिवालय प्रभावशाली

किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री सचिवालय ताकतवर होता है। वो सिर्फ इसलिए नहीं कि सारी अहम फाइलें सचिवालय के अफसरों से होते हुए सीएम तक पहुंचती हैं। बल्कि, इसलिए भी क्योंकि वहां जो भी अफसर होते हैं, वे सीएम के बेहद भरोसेमंद होते हैं। हाल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एसीएस बनाए गए सुब्रत साहू ने भी अब आगे बढ़कर मोर्चा संभाल लिया है। वे अफसरों के साथ वीडियोकांफ्रेंसिंग कर रहे, तो कोरोना से बचाव के लिए अधिकारियों के साथ मंथन भी। ब्यूरोक्रेसी के लिए भी ये राहत की बात है। आखिर, आईएएस राजेश टोप्पो को पोस्टिंग मिल गई। वे 15 महीने से बिना पोस्टिंग के रहे। इससे नौकरशाही में पॉजीटिव मैसेज गया है।

फोन पर सीएम

18 घंटे काम करने वाले मुख्यमंत्री को कोरोना के चलते अगर घर में कैद हो जाना पड़े, तो जाहिर है आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि इन दिनों उनका टाईम पास कैसे हो रहा होगा। पता चला है, सीएम भूपेश बघेल इस समय का भी बखूबी उपयोग कर रहे हैं। वे कार्यकर्ताओं और परिचितों से सीधे फोन लगाकर सरकार की योजनाओं पर फीडबैक ले रहे हैं। भूपेश न केवल फोन कर रहे बल्कि वे कॉल रिसीव भी कर रहे। कल दोपहर भिलाई के एक कार्यकर्ता ने उन्हें मोबाइल पर सब्जियों के रेट अनाप-शनाप होने की बात साझा की तो उन्होंने वीडियोकांफें्रसिंग में कलेक्टरों को निर्देश दे दिया कि किसी भी सूरत में आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी नहीं होना चाहिए। एक किसान ने उन्हें तरबूज की फसल के लिए फोन किया…तरबूज तैयार है मगर ढुलाई की व्यवस्था नहीं हो रही, उन्होंने तुरंत अफसरों को निर्देश दिए।

पुलिस की चुनौती

लॉकडाउन में पुलिस की चुनौती बढ़ गई है। सीएस आरपी मंडल ने अपने वीडियोकांफ्रेंसिंग में आईजी और एसपी से स्पष्ट तौर पर कहा कि परीक्षा की घड़ी है…संयम से काम लें, आम आदमी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। डीजीपी ने शाम को आदेश निकाल दिया, लोगों के साथ दुर्व्यवहार होने पर एएसपी और सीएसपी पर कार्रवाई होगी। उधर, लोग अभी भी घरों से निकलने से रुक नहीं रहे। वास्तव में, ये पुलिस के लिए कठिन समय है। बल प्रयोग भी नहीं करना है और लॉकडाउन को सफल भी। वो भी कोरोना के खतरे के बीच।

चिंताजनक स्थिति

राज्य बनने के बाद यह पहली बार हुआ नक्सलियों ने वीडियो बनाकर अपनी ताकत की नुमाइश की। सुकमा हमले में मारे गए तीन नक्सलियों का अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर शवयात्रा निकाली। वो भी बिना चेहरा छिपाए। शवयात्रा में बड़ी संख्या में महिला नक्सली शामिल थीं। नक्सलियों ने तीनों माओवादियों के अंतिम संस्कार का वीडियो भी बनाया। राज्य सरकार और राज्य पुलिस के लिए यह चिंता की बात हो सकती है। क्योंकि, नक्सलियों का यह कृत्य एक तरह से कहें तो सिस्टम को ललकारना ही हुआ।

श्रवण का डिमोशन?

आईपीएस डी श्रवण को सरकार ने मुंगेली का एसपी बनाया है। श्रवण कोरबा और बस्तर जैसे बड़े जिले के एसपी रह चुके हैं। और, ढाई ब्लॉक का जिला मुंगेली आमतौर पर किसी आईपीएस के लिए पहला जिला होता है। श्रवण का डिमोशन क्यों किया गया, आईपीएस बिरादरी में ये सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, आईपीएस की फेरबदल से राजधानी में डंप किए गए कई आईपीएस को काफी उम्मीदें थीं। लेकिन, वे फिर चूक गए। कोरबा में मीणा को मीणा ने रिप्लेस किया। जीतेंद्र मीणा हटे तो उनकी जगह अभिषेक मीणा ने ली।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ के कितने नेताओं और नौकरशाहों के बच्चे विदेशों में तालिम हासिल कर रहे होंगे?
2. आईपीएस की डीपीसी न होने से क्या पुलिस महकमे की वर्किंग पर उसका प्रभाव पड़ रहा है?

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