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Yogini ekadashi 2024 : "योगिनी एकादशी" का व्रत करने से प्राप्त होता है कई यज्ञ और 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य

Yogini Ekadashi 2024 : आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई को सुबह 10.26 बजे शुरू होगी और 2 जुलाई को सुबह 8.42 बजे समाप्त होगी। योगिनी एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार 2 जुलाई को ही रखा जाएगा

Yogini ekadashi 2024 : योगिनी एकादशी  का व्रत करने से प्राप्त होता है कई यज्ञ और 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य
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By Meenu

Yogini ekadashi 2024 : आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल योगिनी एकादशी व्रत 2 जुलाई को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत रखने वाले लोगों को सभी पापों से छुटकारा मिलता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत करने से कई यज्ञों को करने और 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

इस दिन व्रत करने वालों को भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। साथ ही योगिनी एकादशी की कथा भी जरूर सुननी चाहिए।



योगिनी एकादशी 2024

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई को सुबह 10.26 बजे शुरू होगी और 2 जुलाई को सुबह 8.42 बजे समाप्त होगी। योगिनी एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार 2 जुलाई को ही रखा जाएगा।


योगिनी एकादशी व्रत कथा


पौराणिक कथा के अनुसार, कुबेर नाम का एक राजा स्वर्ग में रहता था। वह शिव का भक्त था। वह प्रतिदिन शिव जी की पूजा करता था। उसके पास हेम नाम का एक माली था, जो प्रतिदिन पूजा के लिए फूल लाता था। माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था। वह बड़ी रूपवती थी। एक बार सुबह के समय माली मानसरोवर से फूल लेकर आया, लेकिन कामोत्तेजना के कारण वह अपनी पत्नी से हास्य-विनोद करने लगा।

अपनी प्रार्थना पूरी करने में देर होने के कारण राजा क्रोधित हो गया। ऐसे में राजा ने माली को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि तुमने भगवान की भक्ति की अपेक्षा वासना को अधिक प्राथमिकता दी, तुम्हारा स्वर्ग से पतन होगा और अपनी पत्नी से वियोग तथा कुष्ठ रोग भोगोगे। इसके बाद वह भूमि पर आकर गिर पड़ा, जिसके कारण वह कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गया और उसकी पत्नी ने भी उसे त्याग दिया। वह कई वर्षों तक पृथ्वी पर कठिनाइयों का सामना करता रहा। एक बार माली को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। उसने उसे अपने जीवन की सारी समस्याएं बताईं।

सुनकर ऋषि, आश्चर्यचकित रह गए। ऐसे में मार्कण्डेय ऋषि ने उन्हें योगिनी एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में बताया। मार्कण्डेय ने कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाएंगे और तुम भगवान की कृपा से पुनः स्वर्ग प्राप्त करोगे। माली ने वैसा ही किया। भगवान विष्णु ने उसके सभी पापों को माफ कर दिया और उसे फिर से स्वर्ग में जगह दी।


योगिनी एकादशी पूजा विधि

योगिनी एकादशी व्रत की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें. इसके बाद स्वच्छ कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु के समक्ष धूप-दीप जलाएं. फूल, फल और मिठाई अर्पित करें. योगिनी एकादशी की कथा सुनें, भगवान विष्णु की आरती करें और भोग लगाएं.


योगिनी एकादशी शुभ योग


आपको बता दें कि, योगिनी एकादशी व्रत के दिन 4 शुभ योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन धृति योग, त्रिपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है.


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