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Kashi se Gangajal kyon nahin laya jata: भगवान शिव की नगरी काशी से गंगाजल लाना क्यों है वर्जित: जानिए इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक तर्क

Kashi se Gangajal kyon nahin laya jata: भारत में एक ऐसा भी स्थान है जहां से गंगाजल लाना अशुभ माना गया है और वह जगह है भगवान शिव की नगरी काशी यानी बनारस। अब आप सोच रहे होंगे कि गंगा नदी तो इतनी पवित्र है पर यहां के गंगाजल में ऐसी क्या खास बात है? तो आइए इसे डिटेल में समझते हैं।

Kashi se Gangajal kyon nahin laya jata: भगवान शिव की नगरी काशी से गंगाजल लाना क्यों है वर्जित: जानिए इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक तर्क
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By Chirag Sahu

Kashi se Gangajal kyon nahin laya jata: भारत में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है। गंगा नदी से जुड़ी मान्यता है कि मृत लोगों के अवशेषों को इस नदी में बहाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गंगाजल का छिड़काव जरूर किया जाता है। लोग जब भी कभी इलाहाबाद, ऋषिकेश या हरिद्वार की यात्रा करते हैं तो बड़े-बड़े डिब्बों में भरकर गंगाजल लाते है। लेकिन भारत में एक ऐसा भी स्थान है जहां से गंगाजल लाना अशुभ माना गया है और वह जगह है भगवान शिव की नगरी काशी यानी बनारस। अब आप सोच रहे होंगे कि गंगा नदी तो इतनी पवित्र है पर यहां के गंगाजल में ऐसी क्या खास बात है? तो आइए इसे डिटेल में समझते हैं।

पहले जानिए काशी का इतिहास

काशी, जिसे बनारस या वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन मान्यता है कि यह शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजमान है। स्कंद पुराण के अनुसार यहां की धरती इतनी पवित्र है कि लोगों को मोक्ष प्रदान करने के लिए जानी जाती है। यही कारण है कि लोग यहां स्वेच्छा से अपना अंतिम समय गुजारने के लिए आते हैं। यहां के गंगा घाट काफी प्रसिद्ध और अनोखे हैं, खासकर मणिकर्णिका घाट इतना विचित्र है कि कमजोर दिल वाला इंसान यहां 2 मिनट भी नहीं रुक पाएगा क्योंकि यहां 24 घंटे, हर समय आग की लपटों में चिताएं जलती रहती हैं। यहां दिन में 300 से भी अधिक लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है और मान्यता है कि मरते समय भगवान शिव खुद आकर मृतक के कान में तारक मंत्र फूंकते हैं, जिससे आत्मा को सीधे मोक्ष मिल जाती है।

यहां से गंगाजल क्यों नहीं लाया जाता

काशी में बहने वाली गंगा किसी भी दूसरी जगह की गंगा से अलग है। यहां हर रोज मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर असंख्य दाह संस्कार होते हैं। चिताएं जलने के बाद उनके अवशेषों को मोक्ष प्राप्ति के लिए गंगा नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार अगर हम काशी से गंगाजल अपने घर ले जाते हैं, तो संभव है कि उस जल में किसी मृत आत्मा के अवशेष हों, अगर वह अवशेष गंगा नदी से दूर होती है तो उस व्यक्ति के मोक्ष में बाधा उत्पन्न हो सकती है। यही वजह है कि इसे पाप माना जाता है और यहां के गंगाजल को घर नहीं लाया जाता।

तांत्रिक क्रियाओं का प्रभाव

काशी सिर्फ मोक्ष की भूमि ही नहीं है, बल्कि यह तंत्र साधना का भी बड़ा केंद्र रही है। यहां श्मशान घाटों पर विभिन्न प्रकार की तांत्रिक क्रियाएं और साधनाएं होती रहती हैं। ऐसे में यहां का वातावरण और जल बहुत सारी ऊर्जाओं से गुजरता है। कुछ साधनाएं सकारात्मक होती हैं तो कुछ में नकारात्मक ऊर्जा छिपी होती है। अगर ऐसे जल को घर में रखा जाए, तो वह नकारात्मक ऊर्जा को घर में ला सकता है। इसलिए यहां का जल केवल मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति के लिए ही उपयोग की जाती है।

महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कारण

हमें किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए धार्मिक पक्ष के साथ-साथ वैज्ञानिक पहलुओं का भी ध्यान रखना चाहिए। बनारस में मणिकर्णिका घाट पर हर दिन लगभग 300 से अधिक शवों का दाह संस्कार होता है। जब इतनी बड़ी संख्या में दाह संस्कार होते हैं, तो राख, हड्डियों के टुकड़े और अन्य अवशेष गंगा में मिल जाते हैं। गंगा का बैक्टीरियोफेज नामक तत्व इसे शुद्ध जरूर कर देता है पर इतनी ज्यादा मात्रा में अवशेषों के मिलने से यहां का पानी बाकी स्थान की जगह से कुछ अलग ही रहता है, इसे घर में रखने पर संक्रमण आदि का खतरा बन सकता है।

FAQ:

1. क्या सच में काशी से गंगाजल लाना मना है?

हाँ, धार्मिक रूप से काशी से गंगाजल लाना वर्जित माना गया है। इसके पीछे कई प्रकार के कारण ऊपर के लेख में बताए गए हैं।

2. काशी से गंगाजल लाना क्यों वर्जित बताया गया है?

काशी मोक्ष की भूमि है और यहां गंगा में राख, अस्थियां और मृत आत्माओं के अवशेष विसर्जित होते हैं। ऐसे में माना जाता है कि इस जल को बाहर ले जाना उनकी मोक्ष यात्रा में बाधा बन सकता है।

3. क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क है?

इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क यह है की काशी के घाटों पर प्रतिदिन बड़ी मात्रा में दाह संस्कार होने से जल में सूक्ष्म अवशेष और कीटाणु मिल जाते हैं, जो घर में रखने या उपयोग करने योग्य नहीं माने जाते।

4. क्या काशी के गंगाजल में नकारात्मक ऊर्जा होती है?

काशी तांत्रिक साधना और श्मशान साधना का प्रमुख केंद्र है, इसलिए माना जाता है कि यहां का जल नकारात्मक शक्तियों व ऊर्जाओं से प्रभावित रहता है। इसे घर में रखना शुभ नहीं माना जाता।

5. क्या काशी से कोई भी चीज घर नहीं लानी चाहिए?

हाँ, काशी से मिट्टी, राख, गंगाजल या श्मशान से जुड़ी वस्तुएं नहीं लानी चाहिए। प्रसाद आदि हो तो उसे लाया जा सकता है।

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