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Vikat Chaturthi 2024 : विकट संकष्टी चतुर्थी आज, गणेश कचव का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी

श्री गणेश जी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए गणेश कवच का पाठ करना सरल और प्रभावशाली तरीका है.

Vikat Chaturthi 2024 : विकट संकष्टी चतुर्थी आज, गणेश कचव का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी
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By Meenu

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन धन, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति के लिए गणेश जी की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन गणेश कचव का पाठ करना भी विशेष रूप से फलदायी माना गया है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी को स्तोत्र बहुत प्रिय है. कहते हैं कि गणेश जी की पूजा के दौरान गणेश कवच का पाठ करने के लिए अच्छा माना गया है. इसलिए इस दिन गणेश कवच का पाठ हर जातक को अवश्य करना चाहिए.



कहते हैं कि श्री गणेश जी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए गणेश कवच का पाठ करना सरल और प्रभावशाली तरीका है. इस दिन कवच का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद दोनों की प्राप्ति होती है. जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, रोगी को पीड़ा से राहत मिलती है. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और मन को शांति मिलती है. संतान की प्राप्ति और दाम्पत्य जीवन में चल रहे विवादों से जल्द छुटकारा मिलता है. साथ ही व्यक्ति की दरिद्रता दूर होती है.

श्री गणेश कवच

धर्मार्थकाममोक्षेषुविनियोग: प्रकीर्तित:।

सर्वेषांकवचानांच सारभूतमिदं मुने।।

ॐ गंहुंश्रीगणेशाय स्वाहा मेपातुमस्तकम्।

द्वात्रिंशदक्षरो मन्त्रो ललाटं मेसदावतु।।

ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं गमिति च संततंपातुलोचनम्।

तालुकं पातुविध्नेशःसंततंधरणीतले।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीमिति च संततंपातुनासिकाम्।

ॐ गौं गंशूर्पकर्णाय स्वाहा पात्वधरंमम।।

दन्तानि तालुकांजिह्वांपातुमेषोडशाक्षर:।।

ॐ लंश्रीं लम्बोदरायेति स्वाहा गण्डं सदावतु।

ॐ क्लीं ह्रीं विघन्नाशाय स्वाहा कर्णसदावतु।।

ॐ श्रीं गंगजाननायेति स्वाहा स्कन्धंसदावतु।

ॐ ह्रीं विनायकायेति स्वाहा पृष्ठं सदावतु।।

ॐ क्लीं ह्रीमिति कङ्कालंपातुवक्ष:स्थलंच गम्।

करौ पादौ सदा पातुसर्वाङ्गंविघन्निघन्कृत्।।

प्राच्यांलम्बोदर: पातुआगन्य्यांविघन्नायक:।

दक्षिणेपातुविध्नेशो नैर्ऋत्यांतुगजानन:।।

पश्चिमेपार्वतीपुत्रो वायव्यांशंकरात्मज:।

कृष्णस्यांशश्चोत्तरेच परिपूर्णतमस्य च।।

ऐशान्यामेकदन्तश्च हेरम्ब: पातुचोर्ध्वत:।

अधो गणाधिप: पातुसर्वपूज्यश्च सर्वत:।।

स्वप्नेजागरणेचैव पातुमांयोगिनांगुरु:।।

इति तेकथितंवत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम्।

संसारमोहनंनाम कवचंपरमाद्भुतद्भुम्।।

श्रीकृष्णेन पुरा दत्तंगोलोके रासमण्डले।

वृन्दावनेविनीताय मह्यंदिनकरात्मज:।।

मया दत्तंच तुभ्यंच यस्मैकस्मैन दास्यसि।

परंवरंसर्वपूज्यंसर्वसङ्कटतारणम्।।

गुरुमभ्यर्च्य विधिवत्कवचंधारयेत्तुय:।

कण्ठे वा दक्षिणेबाहौ सोऽपि विष्णुर्नसंशय:।।

अश्वमेधसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च।

ग्रहेन्द्रकवचस्यास्य कलांनार्हन्ति षोडशीम्।।

इदं कवचमज्ञात्वा यो भजेच्छंकरात्मजम्।

शतलक्षप्रजप्तोऽपि न मन्त्र: सिद्धिदायक:।।

विकट संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार विकट संकष्टी चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 27 अप्रैल सुबह 08 बजकर 17 मिनट से लेकर 28 अप्रैल सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र देव की पूजा का विधान है इसलिए 27 अप्रैल के दिन ही संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी. आज संकष्टी चतुर्थी की पूजा का समय सुबह 7 बजकर 22 मिनट से लेकर 9 बजकर 1 मिनट तक है. वहीं, रात्रि मुहूर्त शाम 06 बजकर 54 मिनट से लेकर 08 बजकर 15 मिनट पर है. बता दें कि चंद्रोदय का समय रात 10 बजकर 23 मिनट पर है.

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