Today World Turtle Day: छत्तीसगढ़ में है ऎतिहासिक 'कछुआ तालाब' और कछुआ शिव मंदिर', विवाहित महिलाओं का यहां कछुआ दर्शन शुभ माना जाता है
रायपुर। एक शांत-सा, कम नुकसान की आंशका वाला जीव पालने की इच्छा हो तो लोग 'कछुआ' पैट के तौर पर घर लाना पसंद करते हैं। खासकर इसका कठोर कवच और कछुए का अपने इस शैल के अंदर छुप जाना बच्चों को बहुत मज़ेदार लगता है।यह कवच ही नहीं, कछुए में ऐसी-ऐसी खूबियां हैं, इसके बारे में ऐसे अनेक अनसुने फैक्ट्स हैं जो आपको हैरान कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र मानता है कि इसे घर में रखने से खुशहाली आती है तो धर्मशास्त्र में भी इसके बारे में बहुत कुछ कहा गया है। हर साल 23 मई को विश्व कछुआ दिवस मनाया जाता है। इस खास दिन पर आइए जानते हैं कछुए से जुड़ी बहुत सारी अनोखी बातें।
बहुत अलग है कछुआ, जानिए 14 सबसे अनोखे फैक्ट्स
धरती पर कछुए का अस्तित्व करोड़ों सालों से है, फिर भी हम इसके बारे में बहुत कम जानते हैं। आइए कछुए के बारे में कुछ अनोखे फैक्ट्स आपको बताते हैं-
1. कछुए का कठोर खोल या कवच उसे अनोखा बनाता है। कवच इनके शरीर का एक हिस्सा है जो नसों से जुड़ा होता है और इसे जीते-जी उसके शरीर से अलग नहीं किया जा सकता। कहते हैं कि इस पर बंदूक की गोली का भी असर नहीं होता। और इसे देखकर ही जवानों के लिए शील्ड बनाने का विचार आया था।
2. हम इंसानों के लिए अपनी सांस थोड़ी देर रोककर रखना भी कठिन होता है लेकिन कछुए लंबे समय तक अपनी सांस रोक सकते हैं। यही कारण है की वे अपने शेल के अंदर इतने लंबे समय तक रह लेते हैं।
3. कछुए के कवच का रंग देखकर पता चल जाता है कि वह गर्म इलाके का है या ठंडे। गर्म इलाके के कछुए का कवच हल्के रंग का होता है तो ठंडे इलाके के कछुए के कवच का रंग गहरा होता है।
4.कछुए को अपने कवच में छुपने से पहले फेफड़ों को खाली करना पड़ता है।इसलिए छिपने से पहले वे साँस छोड़ते हैं। सांस छोड़ने की इस आवाज़ को हम सुन भी सकते हैं और कछुए का अगला मूवमेंट समझ सकते हैं। और ये भी समझ सकते हैं कि कछुआ खुद को खतरे में समझ रहा है।
5.इनका खून ठंडा होता है और माना जाता है कि ठंडे खून वाले प्राणी का जीवनकाल बहुत लम्बा होता है। इसलिए कछओं की जीवन अवधि 150-200 साल की होती है। कुछ ही साल पहले रायपुर में एक कछुए की 324 साल की उम्र में मृत्यु हुई थी।
6. कछुओं का खून ठंडा होता है। बताया जाता है कि इस कारण सर्दी के दिनों में इनका शरीर जम जाता है। इसलिए कछुए शीतनिद्रा में चले जाते हैं। ये इस दौरान कई महीनों तक बिना कुछ खाए रहते हैं। मूवमेंट लगभग शून्य हो जाता है।
7. मात्र कछुआ ही ऐसा प्राणी है जो शरीर से दिमाग को निकाल दिए जाने के बाद भी 6 महीने तक जीवित रह सकता है।
8. कछुओं के मुंह में दाँत नहीं होते। तो आप सोचेंगे कि फिर ये खाना कैसे चबाते होंगे? दरअसल इनके मुंह के भीतर हड्डी की एक तीखी प्लेट सी होती है। इसी की मदद से ये अपना भोजन चबाते हैं।
9. कछुए का खोल कठोर होने के कारण ये सांस लेने के लिए अपनी छाती नहीं फुला सकते। इसके लिए इनके शरीर में मांसपेशियों का एक खास समूह विकसित होता है जो उन्हें साँस लेने में सहायता करता है।
10. कछुआ बहुत धीमे चलता है, ये तो सभी को पता है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के मुताबिक, अब तक किसी कछुए की अधिकतम रफ्तार एक किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई है। ये 6.4 किलोमीटर प्रति दिन की रफ्तार से चलते हैं।
11. मादा कछुआ एक बार में 1 से 30 अंडे देती है। इसके लिए पहले वे मिट्टी खोदते हैं फिर वहाँ अंडे देते हैं। अंडों से बच्चे निकलने में 90 से 120 दिन लग जाते है। अंटार्कटिका को छोड़कर ये लगभग उन सभी महाद्वीपों पर रहते है जो इनके प्रजनन के लिए पर्याप्त गर्म हो।
12. अंग्रेजी में कछुए को tortoise और turtle नाम से जाना जाता है। हम इन्हें एक समझ लेते हैं लेकिन बेसिकली इन दोनों में अंतर होता है। वे कछुए जो पानी में रहते हैं उन्हें turtle कहते हैं और स्थलीय यानी ज़मीन पर रहने वाले कछुए को tortoise कहते हैं।
13. अन्य शिकारी जीवों के लिए कछुए का शिकार करना इतना आसान नहीं होता। शिकारी पक्षी बाज़ इसके लिए खास टेक्नीक इस्तेमाल में लाता है। वह इसे चोंच में पकड़कर खूब ऊंचाई पर ले जाता है और वहां से इसे किसी पहाड़ी या पत्थर पर पटक देता है। जिससे इसका कवच टूट जाता है। और बाज़ को अपना भोजन मिल जाता है।
14. कछुआ जलीय पौधे, छोटे-मोटे जीवों को अपना आहार बनाता है लेकिन गैलापागोस प्रजाति का कछुआ पक्षियों का शिकार भी करता है। वह अपने भारी वजन वाले शरीर के नीचे पक्षी को दबाकर कुचल देता है। फिर उसे खा लेता है।
क्या कछुआ पालना शुभ है? जाने क्या कहता है वास्तु शास्त्र...
वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने घर में एक जिंदा कछुआ या कछुए की प्रतिकृति दोनों ही रखना फायदेमंद है। यह आपके घर के लिए वरदान साबित हो सकता है और आपके जीवन में खुशियां भर सकता है। वास्तु विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जीवित कछुआ यदि अपने घर पर लाएं, तो उसे अपने घर के उत्तर या ईशान कोण में रखना चाहिए। उत्तर दिशा आमतौर पर धन- संपदा, सकारात्मकता और समृद्धि से जुड़ी होती है। साथ ही वास्तु के अनुसार किसी भी पारिवारिक विवाद को रोकने के लिए आप घर में कछुओं का जोड़ा एक साथ रख सकते हैं।
वास्तुशास्त्र घर में विभिन्न चीज़ों से बने कछुए रखने की सलाह देता है। इसके मुताबिक -
1. धातु का कछुआ धन का प्रतीक है। इसे घर की उत्तर दिशा में रखने पर यह बच्चों के जीवन में सौभाग्य भी लाता है। उन्हें एकाग्र बनाता है।
2. लकड़ी का कछुआ रखना भी शुभ है इससे आपके घर से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
3. क्रिस्टल कछुआ पैसे संबंधी सभी बाधाओं को दूर करने में मदद करता है।
4. मादा कछुए की मूर्ति पारिवारिक विवाद से बचने और उसे जल्दी हल करने में मदद करती है।
हिंदू धर्मशास्त्र में कछुआ
प्राचीन हिंदू धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु ने 'कच्छप अवतार' (कछुए के रूप में अवतार) लिया था। ऐसी धारणा है कि भगवान के आशीर्वाद से ही कछुओं की उम्र सबसे अधिक होती है। कछुए को धर्मशास्त्र में शुभता का प्रतीक माना गया है। कई मंदिरों की दीवारों पर आप कछुओं और उनसे संबंधित प्रतीकों को देख सकते हैं।
घर में पालना हो कछुआ तो ध्यान रखें
अगर आप भी कछुए को घर में पालना चाहते हों तो ध्यान दें-
1. सबसे पहले तो यह ज़रूरी है कि उसे रजिस्टर्ड सरकारी केंद्र से खरीदा जाए। बहुत से लोग अवैध रूप से कछुए बेचते हैं। कछुओं की स्मगलिंग भी होती है। तो सावधान रहें। आप अनजाने में ऐसा कछुआ भी खरीद सकते हैं, जिसे पालने की मनाही हो। और आपको जेल की हवा खानी पड़े।
2. घर में जिंदा कछुआ रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे एक बड़े टैंक में रखा जाए। इसमें कुछ जलीय पौधे, लकड़ी, रेत तथा पर्याप्त पानी होना चाहिए। कछुए को आराम से रहना पसंद है।
3. जब आप कछुआ पकड़ें तो इसे अपने दोनों हाथों से ही पकड़ें, एक हाथ इसके शरीर के नीचे जरुर लगाएं क्योंकि ये अपने निचले हिस्से में ठंडक और हवा महसूस करने पर डर जाते हैं।
4. कोई भी कछुआ साल्मोनेला जैसे कीटाणुओं को घर ला सकता है जो परिजनों को बीमार कर सकता है। साल्मोनेला डायरिया लोगों बीमार कर देता है। कई बार हाॅस्पिटल में एडमिट होने की नौबत भी आ जाती है। साथ ही कछुआ काट भी सकता है। इसलिए विशेषज्ञ से कछुआ पालने से पहले सभी विषयों पर जानकारी ले लें।
रायपुर में है ऐतिहासिक 'सरोना कछुआ तालाब'
अगर कछुए को पैट न बनाकर सिर्फ उसे नजदीक से देखना चाहते हों या बच्चों को दिखाना चाहते हों तो रायपुर में सरोना स्थित 'कछुआ तालाब' देख आएं। सरोना का प्रसिद्ध शिव मंदिर 250 साल से अधिक प्राचीन है। यह मंदिर एक ही जल स्त्रोत से जुड़े हुए 'सास-बहू' नाम के दो तालाबों के बीच मंदिर स्थित है। इसे कछुआ वाला शिव मंदिर भी कहा जाता है। यहां पति-पत्नी संतान की मनौती मांगने आते हैं।
सरोना स्थित इस कछुआ तालाब में 100 साल से अधिक उम्र के अनेक कछुए और छोटी-बड़ी हजारों मछलियां भी हैं। इनको यहां बहुत नजदीक से देखा जा सकता है। धार्मिक आस्था की वजह से इन तालाबों में रहने वाली मछलियों और कछुओं को पकड़ा नहीं जाता है। खासकर विवाहित महिलाओं के लिए यहां कछुआ दर्शन बहुत शुभ माना जाता है।
स्थानीय निवासी कहते हैं कि मंदिर में जब अखंड रामायण का पाठ होता है तो श्रीराम का नाम सुनकर कई कछुए किनारे पर आते हैं और बकायदा दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम भी करते हुए दिखते हैं।