Begin typing your search above and press return to search.

Janmashtami 2025 : प्रेम साबित करने के लिए "सैय्यारा" नहीं "कान्हा" बनिए... जानिए इतने अगाध प्रेम के बाद भी श्री कृष्ण ने राधा से क्यों नहीं की शादी

Janmashtami 2025 :

Janmashtami 2025 : प्रेम साबित करने के लिए सैय्यारा नहीं कान्हा बनिए... जानिए इतने अगाध प्रेम के बाद भी श्री कृष्ण ने राधा से क्यों नहीं की शादी
X
By Meenu Tiwari

SHRI KRISHNA AND SHRI RADHA LOVE : आज के "सैय्यारा" और रील्स वाले प्यार के ज़माने में जहाँ दो पल साथ होने के बाद लोग जीने-मरने की कसमें खाने लगते हैं. कुछ दिन के आकर्षण को प्यार समझकर लेट नाईट घूमना-फिरना और OYO तक के सफर तक पहुँच जाना फिर किसी बड़ी घटना को अंजाम दे जाते हैं. या फिर प्रेम में इस हद तक डूब जाते हैं की परिवार-समाज के नियमों-बातों और उनकी बातों को भी दरकिनार कर शादी तक पहुँच जाते हैं. अपना अच्छा-बुरा कुछ भी नहीं देखते फिर कुछ दिनों बाद वह प्यार इतना चुभने लग जाता है की स्थिति यहाँ तक पहुँच जाती है एक-दूसरे की हत्या तक कर देते हैं.

लड़का हो या लड़की एक पल को ये भी नहीं सोचते की उनके झूठा हो या सच्चा प्रेम की निशानी इस दुनिया में सांसें ले रहा-रही है. उसके बावजूद एक-दूसरे के जान के दुश्मन बन जाते हैं... वहीँ इस दुनिया को प्रेम की सीख देने वाले सच्चे प्रेमी जोड़े राधा-कृष्णा ने अगाध प्रेम होने के बावजूद भी शादी नहीं की. इसके बावजूद भी आज उनका प्रेम अमर है. आप जानना चाहेंगे की श्री कृष्णा ने अटूट प्रेम के बाद भी राधा जी से शादी क्यों नहीं की, तो चलिए फिर इस जन्माष्टमी जानते हैं की क्यों नहीं हुई राधा और कृष्णा की शादी.


इस बारे में जब एनपीजी न्यूज़ ने शहर के ज्योतिषाचार्य एवं पंडित डॉ दत्तात्रेय होस्केरे से बात की राधा-कृष्णा ने अटूट प्रेम के बाद भी शादी क्यों नहीं की तो इस पर उन्होंने कहा की समाज को अच्छे और निस्वार्थ प्रेम की सीख देने के लिए पुराणों में राधा-कृष्णा के प्रेम की कहानियां है उनके लाखों चर्चे हैं, जिससे समाज को सच्चे प्रेम की सीख मिल सके. प्यार का नाम समर्पण होता हैं. प्रेम का मतलब स्वार्थ नहीं होता. सिर्फ पाना नहीं होता. अगर आप सच में किसी को प्रेम करते है तो उसका अच्छा चाहते हैं, जिससे आपका प्रेमी सुखी हो उसका समाज में अच्छा नाम हो हर तरीके से उसका भला हो. उसके लिए भले आपको अपने प्रेमी को खोना पड़े पर आप उसका सुख देखते हैं न की स्वार्थ में आप अपना और उसका जीवन बर्बाद कर देते हैं. आज के ज़माने में तो लोग कुछ दिनों के साथ आकर्षण को प्रेम समझ जाते हैं फिर समाज-परिवार से उसे पाने की जिद करते हैं और न मिलने पर बिना समाज-परिवार के अकेले बंधन में भी बंध जाते हैं फिर उसके ही जान के दुश्मन बन जाते हैं. या फिर माँ-बाप को मजबूर कर उस पाप में शामिल कर उन्हें भी समाज-कानून के कटघरे में खड़े कर देते हैं. फिर उन्हें भी बराबर के हर घटनाओं में दोषी बना देते हैं.


प्रेम इतना की राधा जी का नाम पहले


किसी भी धर्म ग्रन्थ या पौराणिक कथाओं में राधा कृष्णा, सीता राम ही आज तक पढ़ा होगा. मतलब पौराणिक कालों में प्रेम इतना होता था की प्रेयसी या पत्नी का नाम पुरुष वर्ग से पहले होता था. कृष्णा ने प्रेम में यही सीख दिया है की प्रेम पाना नहीं होता. प्रेयसी के जिद में भी उसे उसके अच्छे के लिए समझाना होता है. उसके अच्छे-बुरे के लिए कदम उठाना होता है. उससे बिना शरीर और किसी चीज के स्वार्थ के बिना प्रेम करना होता है. आजकल के ज़माने में तो प्रेम का अर्थ कुछ दिन का साथ फिर पागलपन और फिर ओयो का रास्ता तय... फिर शादी और बच्चा फिर हत्या और ख़तम. बस यही रह गया है.




कोई अपनी आत्मा से शादी करता है क्या

धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा के बीच आध्यात्मिक प्रेम था. इसी के चलते दोनों ने शादी नहीं की थी. श्रीकृष्ण ये भी संदेश देना चाहते थे कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग हैं, प्रेम का अर्थ विवाह नहीं होता. उनका मानना था कि राधा उनकी आत्मा हैं, ऐसे में क्या कोई अपनी आत्मा से शादी करता है.


श्रीकृष्ण की मामी हैं राधा


ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण और राधा का विवाह न होने की एक वजह रिश्ते का सही मिलानन होना भी था. माना जाता है कि राधा का विवाह यशोदा के भाई रायान गोपा से होने के कारण वह रिश्ते में श्रीकृष्ण की मामी हो गईं थीं.


राधा और रुक्मणी एक ही अंश

देवी का स्वरूप थीं राधा-रुक्मणी: कहते हैं कि राधा रानी मां लक्ष्मी का स्वरूप थीं और रुक्मणी भी मां देवी का स्वरूप थीं, इसलिए माना जाता है कि राधा और रुक्मणी एक ही अंश थे. इस प्रकार श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था.



Next Story