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Teeja Tihar 2024 in Chattisgarh : आज करु भात, कल अक्षय सुहाग के लिए सुहागिनें रहेंगी "निर्जला व्रत" करेंगी शिव-पार्वती पूजन...शहर के बाजार गुलजार, तैयारी में लगी महिलाएं

Teeja Tihar 2024 : आज से शुरू हुआ यह तीजा पर्व शनिवार को चतुर्थी तिथि तक जारी रहेगा। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। इस बीच तीज की रात घरों में महिलाएं इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से शिव-पार्वती की पूजा करेंगी। तीजा को लेकर पिछले एक हफ़्ते से शहर के बाजार में रौनक है।

Teeja Tihar 2024 in Chattisgarh : आज करु भात, कल अक्षय सुहाग के लिए सुहागिनें रहेंगी निर्जला व्रत करेंगी शिव-पार्वती पूजन...शहर के बाजार गुलजार, तैयारी में लगी महिलाएं
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By Meenu

Teeja tihar 2024 : छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति से जुड़ा दो दिनों तक चलनेे वाला तीजा तिहार (हरितालिका तीज) आज से करु भात खाने की रस्म के साथ शुरू हो गया।

आज से शुरू हुआ यह पर्व शनिवार को चतुर्थी तिथि तक जारी रहेगा। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। इस बीच तीज की रात घरों में महिलाएं इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से शिव-पार्वती की पूजा करेंगी। इसके बाद रातभर भजन-कीर्तन करते हुए सभी रात्रि जागरण करेंगी। सुबह नदी के बालू या मिट्टी से बनाए गए भगवान शिव की प्रतिमा का विधिविधान से विसर्जन करेंगी.




तीजा को लेकर पिछले एक हफ़्ते से शहर के बाजार में रौनक है। इस दौरान महिलाएं खरीदारी के लिए बड़ी संख्या में बाजार पहुंचीं। पार्लर और मेहंदी पार्लर भी हाउसफुल हैं. श्रृंगार सामग्री के साथ ही पूजन का सामान खरीदने महिलाएं बाजार पहुंचीं। इस बीच परंपरा के अनुरूप घरों में बेटियां तीजा मनाने के लिए पहुंचीं। तीजा लाने का क्रम पोला के दिन ही शुरू हो जाता है। विवाहित बेटियां माइके में आकर यह व्रत रखती हैं। मायके के पुरुष उन्हें लेने के लिए उनके ससुराल जाते हैं।




इसलिए खाया जाता है करु भात


कल हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा। इससे पहले आज दिन से लेकर रात तक करु भात खाने की परंपरा पूरी की जा रही है. आमजन में यह सवाल उठता है कि तीजा से पहले करु भात यानी करेले की सब्जी और चावल क्याें खाया जाता है। इस बारे में महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला बताते हैं कि तीजा का व्रत निर्जला रखा जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य है कि करेला खाने से ज्यादा प्यास नहीं लगती। इससे व्रत के दौरान निराहार रहने के बावजूद शरीर में एनर्जी बनी रहती है। वे बताते हैं कि अब करु भात खाना परंपरा का हिस्सा बन गया है और व्रत से पहले इसे खाना जरूरी माना जाता है।


ये है प्राचीन मान्यता




हिन्दू मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने सर्वप्रथम यह व्रत रखा था और भगवान शिव को प्राप्त किया था। प्राचीन मान्यता है कि आज के दिन माता पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए तीजा के दिन निर्जला और निराहार रहकर घनघोर तप किया था। भगवान शंकर पार्वती से प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें (Hartalika Teej 2024) अपने जीवन में पत्नी के रूप में स्थान देते हैं। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की कामना के लिए उपवास रखती हैं। उड़ीसा में यह गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है।


पूजन सामग्री की कर लें तैयारी

फुलेरा, गीली काली मिट्टी अथवा बालू रेत, आमपत्ता, केले का पत्ता, फल एवं फूल पत्ते, बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरा, तुलसी मंजरी, जनेऊ, मौलीधागा, वस्त्र, माता गौरी के लिए सुहाग सामग्री, घी, तेल, दीपक, कपूर, कुमकुम, सिंदूर, अबीर, चंदन, नारियल, कलश, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद से पंचामृत।

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