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Dussehra vrat katha 2025: विजयादशमी के अवसर पर पढ़ें ये 'दशहरा व्रत कथा'; सौभाग्य के खुलेंगे द्वार, मिलेगी सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति

भारत में दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन दो बड़ी पौराणिक घटनाएं हुई थीं। मान्यता है की इसे सुनने भर मात्र से ही मनुष्य के पापों का नाश हो जाता है।

Dussehra vrat katha 2025: विजयादशमी के अवसर पर पढ़ें ये दशहरा व्रत कथा; सौभाग्य के खुलेंगे द्वार, मिलेगी सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति
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By Ashish Kumar Goswami

Dussehra 2025: भारत में दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल विजयादशमी 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिन गुरुवार को पड़ रहा है, जो खुद शुभता का प्रतीक है। दोपहर 2 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक का समय पूजा और रावण दहन के लिए सबसे उत्तम माना गया है।

आपको बता दें कि, यह दिन सिर्फ रावण दहन का ही नहीं, बल्कि अच्छाई की बुराई पर जीत का जश्न का होता है। इस दिन दो बड़ी पौराणिक घटनाएं हुई थीं, जिसमें पहला यह है कि, भगवान श्रीराम ने इस दिन रावण का वध किया था और दूसरा यह की मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। दोनों ही कथाये बहुत प्रसिद्ध है, मान्यता है की इसे सुनने भर मात्र से ही मनुष्य के पापों का नाश हो जाता है।

भगवान राम की विजय की कहानी

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, अयोध्या के राजकुमार श्रीराम को 14 साल का वनवास मिला था। उनके साथ भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता भी वन में गए थे। एक दिन रावण ने छल से माता सीता का अपहरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। श्रीराम ने हनुमान, सुग्रीव, जामवंत, अंगद और विभीषण की मदद से लंका पर चढ़ाई की। नौ दिनों तक युद्ध चला और दशमी के दिन श्रीराम ने रावण का वध कर दिया। तभी से इस दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

मां दुर्गा की महिषासुर पर जीत

महिषासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। उसने ब्रह्माजी से वरदान लिया था कि उसकी मृत्यु किसी स्त्री के हाथों ही हो। तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपनी शक्तियों से मां दुर्गा को उत्पन्न किया। मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दशमी के दिन उसका वध किया। इसलिए नवरात्रि के बाद विजयादशमी को मां दुर्गा की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।

विजयादशमी का महत्व

विजयादशमी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक संदेश है कि, चाहे कितनी भी बड़ी बुराई हो, उसका अंत निश्चित है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चाई, धर्म और न्याय के रास्ते पर चलने से जीत जरूर मिलती है। इस दिन लोग नए काम की शुरुआत करते हैं, शस्त्र पूजन करते हैं और अपने बही-खातों की पूजा करते हैं।

शमी वृक्ष और विजय काल

शास्त्रों में बताया गया है कि विजयादशमी के दिन जब तारा उदय होता है, तब ‘विजय काल’ आता है। यह समय सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला होता है। भगवान राम ने इसी विजय काल में रावण पर विजय प्राप्त की थी। अर्जुन ने भी शमी वृक्ष से अपना धनुष उठाकर शत्रुओं को हराया था। इसलिए इस दिन शमी वृक्ष की पूजा करना शुभ माना जाता है।

अपराजिता पूजन की परंपरा

इस दिन अपराजिता देवी की पूजा भी की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से क्षत्रिय वर्ग करता है, लेकिन अब हर कोई इसे करता है ताकि जीवन में कोई बाधा न आए और हर काम में सफलता मिले।

विजयादशमी के दिन क्या करें

सबसे पहले सुबह उठकर नहा-धोकर साफ और सादे कपड़े पहनें फिर भगवान राम और मां दुर्गा की पूजा करें। अगर आप कोई नया काम शुरू कर रहे हैं तो शस्त्र पूजा करना न भूलें। दिन में रावण दहन का दृश्य देखें और अपने मन से बुराइयों को दूर करने का संकल्प लें। साथ ही शमी वृक्ष की पूजा करें और उस शुभ समय यानी विजय काल में कोई अच्छा काम करें, ताकि आपके जीवन में खुशियाँ और सफलता आएं।

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