Shivarinarayan: माघी पूर्णिमा पर पुण्य स्नान के साथ शुरू हुआ शिवरीनारायण मेला, शाम को संगम पर होगी भव्य आरती
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Shivarinarayan: रायपुर। छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा माघी मेला आज माघी पूर्णिमा पर शिवरीनारायण में शुरू हो गया। माघी पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक चलने वाला ये मेला इस बार 8 मार्च तक चलेगा। माघी पूर्णिमा के पुण्य मुहूर्त में पुण्य स्नान के लिए हजारों श्रद्धालु कल रात से ही शिवरीनारायण पहुंच चुके थे। रातभर भजन-कीर्तन और रतजगा करने के बाद आज सुबह से ही महानदी, जोंक और शिवनाथ नदी के संगम पर पुण्य स्नान का सिलसिला शुरू हुआ। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दीपदान किया। फिर भक्तिमय वातावरण में लोग भगवान नरनारायण के दर्शन के लिए पहुंचे। शाम को महानदी के त्रिवेणी संगम में गंगा आरती भी होगी। शिवरीनारायण पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां मनोरंजन के भी सभी संसाधन मेला में उपलब्ध हैं। मेला में बड़े-बड़े झूलों के साथ टॉकीज और खरीदी के लिए सारे सामान हैं। मेले में मौत कुंआ, विभिन्न प्रकार के झूले, टूरिंग टॉकीज, हॉटल, मनिहारी की दुकानें, कपड़ा की दुकानें, जनरल की दुकानें सज गई है। मेला को लेकर आसपास के रहवासियों के साथ लगभग पूरे प्रदेश में खुशमय माहौल है। दूसरे राज्यों से भी लोग इस मेले को देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
फूलों से सजा मंदिर का गर्भगृह
माघी पूर्णिमा को देखते हुए नर नारायण मंदिर में के गर्भगृह को आकर्षक फूलों व रंग बिरंगी झालरों से सजाया गया है। नर नारायण मंदिर के पुर्णेंद्र तिवारी बताते हैं कि भगवान के दर्शन के लिए बड़े मंदिर का पट सुबह 4 बजे खोल दिया गया। इसके पहले से ही लोग भगवान की एक झलक पाने के लिए कतार में लगे थे। उन्होंने बताया कि नर नारायण और शबरी मंदिर से लोगो की विशेष आस्था जुड़ी हुई है। लोग यहां अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए लोट मारते हुए पहुंच रहे हैं।
सुरक्षा के इंतजाम
मेले में आने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने मंदिर की व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। मंदिर दर्शन करने पहुंचने वाले भक्तों को भीड़ में परेशानी न हो, इसके लिए बेरिकेड्स लगाए गए हैं। अपर कलेक्टर एसपी वैद्य ने बताया कि भगवान शिवरीनारायण मंदिर परिसर व मेला परिसर में बेरिगेटिंग कराने व मेले के अंदर चिन्हित स्थानों पर वाच टावर बनाए गए हैं। मेले के अंदर सुरक्षा व्यवस्था करने के साथ ही मेले के अंदर बाइक के प्रवेश पर कार्रवाई की जा रही है। झूले व घाटों के चेंजिंग रूम के पास महिला आरक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। मेले में शाम को टीम बनाकर गश्त की जाएगी। साथ ही महानदी के घाटों व नगर के चौक चौराहों में पुलिस के जवान किए गए हैं।
15 दिनों तक बिखरेंगे संस्कृति के रंग
माघी पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक चलने वाला ये मेला इस बार 8 मार्च तक चलेगा। इस दौरान मेला महोत्सव भी हो रहा है। जिसके तहत विभिन्न लोक गीतों, नृत्य, गायन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी।
यहीं नारायण ने खाए थे माता शबरी के जूठे बेर
शिवरीनारायण की पावन भूमि भगवान श्रीराम की चरण धूलि से सजी है। महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के त्रिधारा संगम तट पर बसे शिवरीनारायण में प्रदेश का इकलौता शबरी मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण के समय से यहां शबरी आश्रम है। भगवान श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर यहीं खाये थे और उन्हें मोक्ष प्रदान किया था। शबरी की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए शबरी-नारायण नगर बसा।
यहीं से पुरी गए भगवान जगन्नाथ
हिंदू वेद पुराणों के मुताबिक भगवान जगन्नाथ की विग्रह मूर्तियों को शिवरीनारायण से ही ओडिशा के पुरी ले जाया गया था। ये भी मान्यता है कि हर साल माघी पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ यहां नारायण रुप में विराजते और दर्शन देते हैं। याज्ञवलक्य संहिता और रामावतार चरित्र में उल्लेख है कि भगवान श्रीराम का नारायणी रूप यहां गुप्त रूप से विराजमान हैं। इसीलिए शिवरीनारायण को गुप्त तीर्थधाम भी कहा जाता है।
हर युग में शिवरीनारायण का अस्तित्व
हर युग में शिवरीनारायण का अस्तित्व रहा है। सतयुग में बैकुंठपुर, त्रेतायुग में रामपुर और द्वापरयुग में विष्णुपुरी तथा नारायणपुर के नाम से विख्यात शिवरीनारायण मतंग ऋषि का गुरूकुल आश्रम और शबरी की साधना स्थली भी रहा है। छत्तीसगढ़ की जगन्नाथपुरी के नाम से विख्यात शिवरीनारायण का जिक्र स्कंध पुराण में भी मिलता है। जिसे श्री पुरूषोत्तम और श्री नारायण क्षेत्र कहा गया है। शिवरीनारायण को तीर्थनगरी प्रयाग जैसी मान्यता है।
प्रमुख जगहों से दूरी
राजधानी रायपुर से 140 किलोमीटर
जिला जांजगीर से 50 किलोमीटर
कोरबा से 110 किलोमीटर
रायगढ़ से 110 किलोमीटर
बलौदाबाजार से 52 किलोमीटर