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Shardiya Navratri Beej Mantra Puja : मां दुर्गा की आराधना इन बीज मंत्रों से करें,इन बातों का अखंड ज्योत में रखें ध्यान

Shardiya Navratri Beej Mantra Puja : नवरात्रि में देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। हर पूजा की तरह मां दुर्गा की भी अपनी मान्यता है। क्‍या आपको पता है कि दुर्गा पूजा क्‍यूं की जाती है?

Shardiya Navratri Beej Mantra Puja :  मां दुर्गा की आराधना इन बीज मंत्रों से करें,इन बातों का अखंड ज्योत में रखें ध्यान
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By Shanti Suman

Shardiya Navratri Puja Mantra: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना को समर्पित है।नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में पूजा पाठ के लिए मां के 9 अलग-अलग रंगों का उपयोग किया जाता है। मां के हर स्वरूप के लिए अलग-अलग मंत्रों के जाप किए जाते हैं। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के दौरान नवदुर्गा के बीज मंत्रों का जाप करना बहुत कल्याणकारी होता है. जानते हैं मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के बीज मंत्रों के बारे में....

नवरात्रि के त्योहार को बहुत ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। नौ रातों तक चलने वाले इस पर्व में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान सभी घरों में एक अलग और धार्मिक माहौल रहता है। चारों ओर देवी मां के पंडाल सजते हैं, जागरण होते हैं, हालांकि इस बार कोरोना वायरस के चलते ऐसा नहीं हो पाएगा। लेकिन आप इस त्योहार को घरों में भी उतने ही उत्साह के साथ मना सकते हैं, जैसे आप हर साल मनाते हैं।

नवरात्रि इन मंत्रों से कल्याण

  • नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है. मां दुर्गा की उपासना में दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन माता शैलपुत्री के ध्यान और उनके मंत्रों का जाप किया जाता. मां के इस रूप का मंत्र है, 'ॐ शैलपुत्र्यै नमः.'नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है. प्रथम दिन की तरह दुर्गासप्तशती का पाठ करें.
  • इस दिन मां भगवती का ध्यान करने के बाद देवीभागवत के तृतीय स्कन्ध से चतुर्थ स्कन्ध के अष्टम अध्याय तक पाठ करना चाहिए. इसके बाद मां 'ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए.
  • तीसरे दिन माता दुर्गा के चन्द्रघंटा स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन देवी भागवत के चतुर्थ स्कन्ध के 9वें अध्याय से आरंभ करते हुए पंचम स्कन्ध के 18वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए. इस दिन 'ॐ चंद्रघण्टायै नमः' का जाप किया जाता है.
  • नवरात्रि के चौथे दिन माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है. मां भगवती का ध्यान करने के बाद देवीभागवत का पाठ किया जाता है. पंचम स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए छठवें स्कन्ध के 18वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए. इनका मंत्र है, 'ॐ कूष्माण्डायै नमः'
  • नवरात्रि के 5वें दिन माता मां स्कन्दमाता स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन मां भगवती की आरती करने के बाद मां का ध्यान मंत्र करना चाहिए. इनका मंत्र है, 'ॐ स्कन्दमात्रै नमः.'
  • नवरात्रि के 6वें दिन माता कात्यायनी की उपासना की जाती है. मां भगवती का ध्यान करने के बाद देवी भागवत के 7वें स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए 8वें स्कन्ध के 17वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए. मां के इस स्वरूप के लिए, 'ॐ कात्यायन्यै नमः' मंत्र का जाप करना उत्तम है.
  • नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की उपासना की जाती है. मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवी भागवत के आठवें स्कन्ध के 18वें अध्याय से आरंभ करते हुए 9वें स्कन्ध के 28वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए.मां के इस रूप जपनीय मंत्र, 'ॐ कालरात्र्यै नमः' है.
  • नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवीभागवत के 9वें स्कन्ध के 29वें अध्याय से आरंभ करते हुए दसवें स्कन्ध की समाप्ति तक पाठ करना चाहिए. इनका ध्यान और जपनीय मंत्र, 'ॐ महागौर्ये नम:'
  • नवरात्र के 9वें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की उपासना की जाती है.देवी भागवत के 11वें स्कन्ध के प्रथम अध्याय से आरंभ करते हुए 12वें स्कन्ध की समाप्ति तक पाठ करना चाहिए. अंतिम दिन पाठ समाप्त होने के बाद हवन करना चाहिए. इन मां का मंत्र है, 'ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः' है.


नवरात्रि में अखंड ज्योत होती है बेहद खास

नवरात्रि में लोग व्रत रखते हैं और सुबह-शाम माता रानी के गीत गाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इस दौरान घरों में अलग ही रौनक होती है। वहीं इस पर्व में एक चीज बेहद खास और आवश्यक माना जाता है और वो है पूजा में जलने वाला अखंड दीपक। वैसे तो हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले दीपक जलाए जाते हैं, दीवाली में भी ऐसा ही होता है, लेकिन नवरात्रि में जलने वाले इस दीपक को नौ दिन वो भी बिना बुझे जलाने का प्रावधान है। नवरात्र में सभी घरों में अखंड दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि नवरात्रि में अखंड दीपक क्यों जलाते हैं। चलिए हम बताते हैं इसके पीछे की वजह-क्यों जलाते हैं अखंड दीपक?

नवरात्रि के दौरान माता रानी को खुश करने के लिए श्रद्धालु कलश स्थापना, अंखड ज्योत, माता की चौकी करके पूजन-अर्चन करते हैं। नवरात्रि के दौरान घर में कलश स्थापना की जाती है और अखंड दीपक जलाते हैं। ये अखंड ज्योति पूरे नौ दिन तक बिना बुझे जलाने का प्रावधान होता है। कहते हैं कि अखंड दीपक जलाने के बाद उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि अगर ये बुझ जाए तो इसे अपशगुन समझा जाता है। इस अखंड ज्योति को देवी मां को प्रसन्न करने और मनवांछित फल पाने के लिए जलाया जाता है।

अखंड ज्योति की बाती का भी विशेष महत्व होता है, इसे रक्षासूत्र यानि कलावा से तैयार किया जाता है। अखंड दीपक को हमेशा मां के दाईं ओर रखना चाहिए। लेकिन अगर आप घी की जगह तेल का उपयोग कर रहे हैं तो फिर इसे बाईं तरफ ही रखें। दीपक को चौकी या पटरे में रखकर ही जलाएं। वहीं दीपक का संरक्षण करने के लिए इसे कांच की चिमनी से ढक कर रखना चाहिए। वहीं संकल्प समय खत्म हो जाने के बाद इस दीपक को अपने आप ही बुझने देना चाहिए। इसे फूंक मारकर या गलत तरीके से बुझाने की गलती बिल्कुल भी ना करें।

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