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Sharad Purnima Par Laxmi Puja कब करें शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा, जानिए महत्व और मुहूर्त

Sharad Purnima Par Laxmi Puja शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व रहता है। इस दिन अगर लक्ष्मी जी की पूजा कि जाए तो वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है...

Sharad Purnima Par Laxmi Puja कब करें शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा, जानिए महत्व और मुहूर्त
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By Shanti Suman

Sharad Purnima Par Laxmi Puja: आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है और इस दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा कुछ जगहों पर शरद पूर्णिमा को ही कोजागिरी या कोजागरी पूजा कहा जाता है। इसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व विशेष तौर पर मिथिलांचल, बंगाल या उड़ीसा में मनाया जाता है और इस दौरान रात्रि के समय मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इस साल कोजागरी लक्ष्मी पूजा 28 अक्टूबर 2023 को है और यह दिन नवविवाहितों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।

पूर्णिमा पर कोजागरी लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा को ही कोजागरी व्रत कहा जाता है जो कि इस साल 28 अक्टूबर 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. पंचांग के अनुसार कोजागर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 .42 मिनट से लेकर दोपहर 12 .27 मिनट तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 1. 56 मिनट से लेकर दोपहर 2 . 41 मिनट तक का समय भी पूजा के ​लिए बेहद शुभ है. बता दें कि कोजागर पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त रात्रि का होता है जो कि रात को 11.39 मिनट पर शुरू होगा और 12 . 31 मिनट तक रहेगा.

पूर्णिमा का महत्व

मिथिलांचल में इस दिन रात नवविवाहित लोगों के लिए उत्सव का माहौल रहता है। इस दिन दही, धान, पान, सुपारी, मखाना, चांदी के कछुए, मछ्ली, कौड़ी के साथ दूल्हे का पूजन किया जाता है। इस दिन वधू पक्ष की ओर से दुल्हे और उसके घर के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े मिठाई और मखाना आता है. कोजागिरी पर्व में मखाना का बहुत अधिक महत्व होता है. दूल्हा पक्ष के लोग अपनी क्षमता के मुताबिक, गांव के लोगों को निमंत्रण देकर पान, सुपारी और मखाना से उनका स्वागत करते हैं।

पूर्णिमा पूजा विधि

इस दिन वर की पूजा के बाद सगे-संबंधियों और परिचितों के बीच मखाना, पान, बताशे, लड्डू का वितरण किया जाता है. इस अवसर पर वर एक खास तरह की टोपी पहनते हैं जिसे पाग कहते हैं. मिथिला में पाग सम्मान का प्रतीक माना जाता है। घर के बड़े बुजुर्ग इस दिन वर को दही लगाकर दुर्घायु औऱ सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं. लोग मखाना,पैसे और बताशे लुटाकर उत्सव का आनंद मनाते हैं. इसे विवाह के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्सव माना गया है।

शरद पूर्णिमा का समय और पूजा विधि

इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को रहेगी। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं। 28 अक्टूबर को 4:17 AM पर पूर्णिमा तिथि लगेगी, जो कि 29 अक्टूबर की मध्यरात्रि 1:58 AM पर तक रहेगी, इस लिहाज से 28 अक्टूबर को ही शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।

इस दिन पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान चुनें और उसे सजाने के लिए साफ सफाई करें।पूजा स्थल पर लक्ष्मी माता की मूर्ति या तस्वीर रखें।लक्ष्मी माता की मूर्ति को गंध और अक्षत चढ़ाएं।आपके पसंदीदा फल को धूप दीपक के साथ पूजा स्थल पर रखें।अब एक कटोरी में दूध डालें और उसमें चीनी, गुड़, इलायची और बादाम डालें।उसके बाद, एक कढ़ाई में घी गरम करें और उसमें चावल का आटा (रावा) डालें। चावल को सुनहरे ब्राउन करें।अब चावल को दूध के साथ मिलाकर बनाएं।इस बने हुए प्रसाद को लक्ष्मी माता को अर्पण करें।फिर व्रती और उनके परिवार के सभी लोग प्रसाद को खाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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